नई दिल्ली(mediasaheb.com)|। मैगनॉन भविष्य में कभी हमारे विचारों के वाहक के रूप में इलेक्ट्रॉन की जगह ले सकता है और अधिक सक्षम तरीके से नियंत्रण कर सकते हैं। शोधकर्ताओं ने पुनर्विन्यास किए जाने वाले प्रकार्यात्मक मैगनॉमिक क्रिस्टल के व्यापक डिजाइन और इंजीनियरिंग के तरीके खोजे हैं, जो मैगनॉन आधारित कंप्यूटिंग सिस्टम का मार्ग दिखा सकते हैं और कंप्यूटिंग व संचार उपकरणों में बदलाव का एक मिसाल पेश कर सकते हैं।
इलेक्ट्रॉन सबसे हल्का ज्ञात कण है जो प्रोटॉन से लगभग दो हजार गुना हल्का है और सभी ‘इलेक्ट्रॉनिक’ उपकरणों में सूचना के वाहक हैं। जैसे ही सीपीयू के सेमीकंडक्टिंग डिवाइस में इलेक्ट्रानों का प्रवाह होता है, वैसे ही संकेत तकरीबन प्रकाश की गति से मिलता है। हालांकि, यह प्रवाह डिवाइस में गर्मी उत्पन्न करता है, जिसे सीपीयू से बाहर निकालना पड़ता है।
इसलिए, दुनियाभर के वैज्ञानिक ऐसी सामग्री की खोज कर रहे हैं जिसमें चुंबकीय घूर्णन तरंगों का उपयोग गर्मी पैदा किए बिना सूचना के परिवहन के लिए किया जा सके। मैग्नॉन घूर्णन तरंगों के कण अवतार हैं जो नैनो आयामों के सूक्ष्म लौह चुंबकीय कणों की जाली के माध्यम से तरंगित हो सकते हैं।
चूंकि मैगनॉन कणवत होते हैं, इसलिए सामग्री के माध्यम से उनकी गति से किसी तरह की गर्मी उत्पन्न नहीं होती है। मैगनॉन से नैनोसाइंस में एक उभरते अनुसंधान क्षेत्र, मैगनॉनिक्स पैदा हुआ है जो आवधिक चुंबकीय माध्यम के जरिये मैगनॉन्स या घूर्णन तरंगों कर उत्तेजना, प्रसार, नियंत्रण और पता लगाने से संबंधित है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त संस्थान, एसएन बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज में स्पट्रिंोनिक्स एंड स्पिन डायना मिक्स लैब के शोधकर्ता वैज्ञानिकों ने हाल ही में ‘आर्टिफिशियल स्पिन आइस’ के साथ मैगनॉटिक्स का विलय कर दिया है, जिससे व्यापक डिजाइन और इंजीनियरिंग के पुनर्विन्यास करने वाले प्रकार्यात्मक मैगनॉनिक क्रिस्टल के लिए तरीकों बन गए हैं। कृत्रिम घूर्णन बर्फ यानी एएसआई विभिन्न जाली पर व्यवस्थित युग्मित नैनोमैग्नेट से बने अधिसामग्री हैं। ‘आइस’ नाम चतुष्फलक के आकार के बर्फ क्रिस्टल के साथ आणविक संरचना में समानता से आया है जिसमें दो हाइड्रोजन परमाणु केंद्रीय ऑक्सीजन परमाणु के करीब होते हैं, और दो दूर होते हैं। घूर्णन बर्फ सामग्री भी कोने से जुड़े चतुष्फलक से बनी होती है। चतुष्फलक का प्रत्येक शीर्ष एक चुंबकीय आयन है जिसमें चुंबकीय गुरुत्व होता है। अपनी कम ऊर्जा की स्थिति में, वे दो भीतर और दो बाहर की व्यवस्था का अनुपालन करते हैं।
कृत्रिम स्पिन आइस (एएसआई) सिस्टम स्पिन आइस सिस्टम के सिद्धांतों को दोहराते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, ‘एएसआई के एक प्रकार्यात्मक मैगनॉनिक क्रिस्टल के रूप में सफल उपयोग उनके चुंबकीय सूक्षम स्थिति और आगामी घूर्णन तरंग गुणों की कुशल पुनर्विन्यास क्षमता पर निर्भर करेगा।’ संक्षेप में यही उनके शोध का निष्कर्ष है।
अध्ययन का विषय एस एन बोस सेंटर और इंपीरियल कॉलेज, लंदन के बीच सहयोग है। जबकि एएसआई संरचनाएं डॉ विलियम की अध्यक्षता में प्रयोगशाला में इम्पीरियल कॉलेज में गढ़ी गई हैं। आर. ब्रैनफोर्ड, एस.एन. बोस सेंटर में प्रो. अंजान बर्मन की टीम, इन एएसआई संरचनाओं में मैगनॉन के व्यवहार का अध्ययन कर रही है।
संस्थान में विकसित एक प्रयोगात्मक संरचना का उपयोग करते हुए एस एन बोस सेंटर के वैज्ञानिक ब्रिलुवां प्रकाश प्रकीर्णन (बीएलएस) के माध्यम से नमूनों का अध्ययन कर रहे हैं। बीएलएस मैगनॉन्स या फोनॉन्स जैसे अर्धकणों से प्रकाश क्वांटम फोटॉन की एक लोचहीन प्रकाश प्रकीर्णन घटना है, जो बाहरी चुंबकीय क्षेत्र के प्रभाव में घूर्णन तरंग प्रसार और प्रकीर्णन को समझने में मदद कर सकता है। पहले के प्रयोगों में मुख्य रूप से लौह-चुंबकीय प्रतिध्वनि तकनीक (एफएमआर) का इस्तेमाल किया जाता था, जिससे एएसआई के वैश्विक या बड़े पैमाने पर व्यवहार का अध्ययन करने में मदद मिलती थी। इसलिए, बीएलएस विधि पहले की प्रायोगिक विधियों से अलग है। बीएलएस का उपयोग करने वाले प्रायोगिक अवलोकनों को सिमुलेशन के माध्यम से समेकित और बहिर्वेशित किया जाता है।
एसीएस प्रकाशनों में प्रकाशित उनके अध्ययन से पता चलता है कि एएसआई सिस्टम संभावित रूप से चुंबकीय सूक्षम स्थिति की एक विशाल विविधता को जन्म दे सकता है, जिसे वैश्विक या स्थानीय रूप से चुंबकीय क्षेत्र द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है। इससे बाहरी चुंबकीय क्षेत्र में सूक्ष्म परिवर्तन, जैसे ओरिगेमी या कैलाइडोस्कोप द्वारा विभिन्न चुंबकीय क्रिस्टलों की प्रभावी रचना होगी। इसलिए, मैगनॉटिक सर्किट के घटकों के विभिन्न कार्य एक ही सक्रिय तत्व या मैगनॉनिक क्रिस्टल में केवल एक मामूली चुंबकीय क्षेत्र को बाहरी रूप से ट्यून करके किए जा सकते हैं जिनमें लागत और ऊर्जा की काफी बचत हो सकती है।