उस्ताद डागर बंधु ने किया एमआईटी सांस्कृतिक संध्या का उद्घाटन
पुणे(mediasaheb.com), सांस्कृतिक संध्या यह संगीत की साधना से शांत रस की अनुभूति कराता है. इसके माध्यम से सभी को दिव्य दृष्टि मिलती है. सार्वभौमिक भारतीय संस्कृति मानवतावादी है. आज की युवा पीढ़ी भारतीय संस्कृति को भूलती जा रही है. भारतीय संगीत उनमें भारतीय संस्कृति को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. ऐसी राय एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष प्रो. डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने व्यक्त की.
विश्व शांति केंद्र आलंदी, माइर्स एमआईटी, पुणे भारत द्वारा विश्वराज बंधारा लोणी कालभोर विश्वशांति गुरुकुल, राजबाग में आयोजित दो दिवसीय एमआईटी सांस्कृतिक संध्या संगीत समारोह के उद्घाटन पर बोल रहे थे. इस मौके पर उस्ताद नफीसुद्दीन डागर और उस्ताद अनीसुद्दीन डागर बतौर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे. साथ ही पं. उद्धवबापू आपेगांवकर, विश्वशांति कला अकादमी के महासचिव आदिनाथ मंगेशकर, दूरदर्शन के पूर्व निदेशक डॉ. मुकेश शर्मा, नागपूर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. एस.एन.पठाण और विख्यात डॉ. संजय उपाध्ये उपस्थित थे.
प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा.कराड ने कहा, भारतीय युवा जिस रास्ते पर जा रहे हैं वह सही नहीं है. यहां की संस्कृति सर्वश्रेष्ठ है और यह विश्वशांति का रास्ता दिखा रही है. डॉ. मुकेश शर्मा ने कहा, भारतीय संस्कृति संस्कार की है. जैसे ही हम नए साल में प्रवेश करते हैं, हमें संस्कृति को संरक्षित करना चाहिए. संगीत साधना सभी विज्ञानों में सर्वोच्च है. इसमें ध्वनि और लय है. यह एक संगीतमय शांत नहीं बल्कि एक संस्कृति है.
संगीत समारोह के उद्घाटन के बाद भारतरत्न श्रीमती लता मंगेशकर विश्वशांति संगीत अकादमी के छात्रों ने शिव वंदना और गणेश वंदना प्रस्तुत की. प्राचार्य श्रेयसी पावगी ने गायन किया. वायलिन वादक तेजस उपाध्ये ने वायलिन वादन किया. वरिष्ठ गायिका कल्याणी बोंद्रे का गायन हुआ. उसके बाद उस्ताद नफीसुद्दीन डागर और उस्ताद अनीसुद्दीन डागर ने ध्रुपद गाया. उन्हें पं. उद्धव बापू आपेगावकर ने पखवाज पर साथ संगत दी. आदिनाथ मंगेशकर ने स्वागत पर भाषण दिया. सूत्रसंचालन आदिनाथ मंगेशकर ने किया.