नई दिल्ली, (media sahib) रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को लोकसभा में कहा कि मोदी सरकार देश की रक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए रक्षा सौदा करती है जबकि कांग्रेस सरकारों ने राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करते हुए रक्षा क्षेत्र में समझौता किया है।
राफेल युद्धक विमानों की खरीद सौदे पर लम्बी चर्चा का उत्तर देते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा कि विमानों की कीमत, समय पर उसकी आपूर्ति, विमानों के रखरखाव और अन्य आवश्यक सुविधाओं के लिहाज से मोदी सरकार का समझौता मनमोहन सरकार के दौरान प्रस्तावित सौदे से कहीं बेहतर और देशहित में है। करीब ढाई घंटे के लम्बे भाषण में सीतारमण ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत विभिन्न विपक्षी नेताओं के आरोपों का विंदुवार खंडन करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने देश की रक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए भ्रष्टाचार रहित पारदर्शी समझौते किए हैं।
विपक्ष की असली चिंता यह है कि आखिर बिना भ्रष्टाचार और दलाली के यह समझौते कैसे सम्पन्न हुए हैं। सीतारमण ने कांग्रेस अध्यक्ष पर करारा प्रहार करते हुए कहा कि वह बार-बार सदन के अंदर और बाहर रक्षामंत्री और प्रधानमंत्री को झूठा और चोर कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम सामान्य परिवेश से आते हैं लेकिन हमारा भी अपना सम्मान है। इस पर मनमाने तरीके से कोई कीचड़ नहीं उछाला जा सकता।
अनिल अंबानी की रिलायंस को ऑफसेट सहयोगी के तौर पर ठेका दिए जाने से जुड़े सवाल पर रक्षामंत्री ने कहा कि भारत और फ्रांस के बीच हुए अंतर-सरकारी समझौते में किसी ऑफसेट सहयोगी का कोई जिक्र नहीं है। समझौते में केवल यह प्रावधान है कि सौदे की कीमत के 50 प्रतिशत उपकरण एवं सामग्री की खरीद भारतीय कंपनियों से करनी होगी। रक्षामंत्री ने कहा कि ऑफसेट प्रक्रिया की शुरुआत इस वर्ष अक्टूबर से शुरू होगी। दसॉल्ट इस संबंध में सरकार को जानकारी देगी।
कंपनी ऑफसेट दावों के भुगतान के लिए सरकार को जानकारी उपलब्ध करायेगी। अभी यह प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है, इसलिए यह कहना संभव नहीं है कि दसॉल्ट को कौन सी भारतीय कंपनी कौन सा उपकरण मुहैया करा रही है। रक्षा मंत्री ने कहा कि पूरी तरह तैयार 36 युद्धक विमानों के अलावा 90 विमानों का निर्माण भारत में होना है। यह निर्माण कार्य किस भारतीय कंपनी में होगा, इसके लिए बोली प्रक्रिया शुरू की गई है।
एचएएल सहित कोई भी भारतीय कंपनी इस बोली में शामिल हो सकती है। उन्होंने सदन को बताया कि राफेल सौदे का ऑडिट नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) कर रहा है तथा इसने अपनी प्रारूप रिपोर्ट गत सितम्बर में सरकार को सौंप दी है। सरकार रिपोर्ट के संबंध में अपना उत्तर तैयार कर रही है, जिसके बाद कैग अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपेगा। रक्षा मंत्री ने राफेल विमान सौदे में वर्षों तक चले विचार-विमर्श और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि हर चरण में पारदर्शिता बरती गई तथा यह सुनिश्चित किया गया कि भारतीय वायुसेना को जल्दी से जल्दी यह युद्धक विमान हासिल हो जाए। पिछली सरकार वायुसेना की जरूरतों को नजरअंदाज करते हुए केवल कार्रवाई में सक्षम केवल 18 विमानों की खरीद का इरादा जाहिर किया था। हमने ऐसे 36 विमान खरीदने का फैसला किया है। इसमें से पहली खेप सितम्बर में आ जाएगी। पड़ोसी दुश्मन देशों की वायुसेना की बढ़ती क्षमताओं के मद्देनजर भारतीय वायुसेना की तात्कालिक जरूरत इससे पूरी हो सकेगी।
उन्होंने पिछली सरकार पर इस सौदे को जानबूझ कर लटकाने का आरोप लगाते हुए कहा कि तत्कालीन रक्षामंत्री एके एंटनी ने सौदे की सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद फरवरी 2014 में टिप्पणी की थी कि विमानों की खरीद के लिए पैसा कहां है। वह भी उन्होंने तब कहा जब भुगतान की क्रमवार समय सीमा तय हो चुकी थी। रक्षामंत्री ने कटाक्ष किया कि एंटनी किस पैसे की बात कर रहे थे। क्या यह पैसा रक्षा सौदे में दलाली की धनराशि थी। सीतारमण ने कहा कि राफेल सौदे में विमानों की कीमत सहित सभी पहलुओं की समीक्षा सुप्रीम कोर्ट कर चुका है। उन्होंने कोर्ट के फैसले के 25वें पैराग्राफ का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार ने कोर्ट को सभी सूचनायें उपलब्ध कराईं।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के इस विचार से सहमति जताई है कि हथियारों सहित विमान से जुड़ी कीमत व अन्य जानकारी संवेदनशील मामला है और इसे संसद से साझा नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जहां तक कोर्ट को गुमराह करने का सवाल उठाया जा रहा है, सरकार ने फैसले में कुछ भाषागत गलतियों के बारे में अपनी ओर से ही ध्यान आकृष्ट कराया है, जिसपर वह खुद ही फैसला सुनायेगा। रक्षामंत्री ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के हिन्दुस्तान एयरनॉटिक्स लि. (एचएएल) को लेकर कांग्रेस घड़ियाली आंसू बहा रही है।
हकीकत यह है कि पिछली सरकारों ने एचएएल को पर्याप्त आर्थिक संसाधन उपलब्ध नहीं कराए, जिससे उसकी हालत में गिरावट आई। मोदी सरकार के दौरान को सशक्त और सक्षम बनाया जा रहा है तथा इसका विस्तार कर नासिक और लखनऊ में नई इकाइयां स्थापित की जा रही हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि राफेल समझौते में इस बात का प्रावधान किया गया है कि भारत में राफेल विमान निर्माण में यदि कोई देरी होती है तो कंपनी पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
रक्षामंत्री ने दोहराया कि मूल विमान की कीमत पिछली सरकार के प्रस्तावित सौदे से 9 प्रतिशत और हथियारों से सुसजित विमानों की कीमत 20 प्रतिशत कम है। उन्होंने कहा कि वायुसेना मध्यम दूरी की प्रहार क्षमता वाले युद्धक विमानों की खरीद का आग्रह अनेक वर्षों से कर रही थी लेकिन कांग्रेस सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया। तत्कालीन रक्षामंत्री ने स्वयं कहा था कि सौदे के संबंध में 51 प्रतिशत प्रक्रिया पूरी कर ली गई है।
इसके बावजूद खरीद का अंतिम सौदा नहीं किया गया । सीतारमण ने द्रमुक सदस्य एम थम्बीदुरई के सवाल के जवाब में कहा कि अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर सौदे पर फैसला वाजपेयी सरकार के दौरान नहीं बल्कि मनमोहन सरकार के दौरान हुआ था। राफेल युद्धक विमान खरीद पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि वर्तमान सरकार का सौदा पिछली सरकार से कई मामलों में बेहतर है। इसलिए राफेल सौदे पर विपक्ष की कीमतों, प्रक्रिया और अन्य विषयों पर उठाए गए सवाल बेबुनियाद हैं। (हि.स.)।