नई दिल्ली, (media saheb) सबरीमाला मंदिर मामले पर सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने सुनवाई शुरू कर दी है। वरिष्ठ वकील मोहन परासरण ने अपनी दलीलें शुरू कर दी हैं। सुनवाई करने वाली बेंच में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस आर एफ नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदू मल्होत्रा शामिल हैं। सबरीमाला मामले पर 56 रिव्यू पिटीशन, 4 रिट पिटीशन, केरल सरकार की ओर से दायर दो ट्रांसफर पिटीशन और त्रावणकोर देवासम बोर्ड की फैसले को लागू करने के लिए समय देने की मांग करने वाली याचिकाएं दायर की गई हैं।
सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने वाली दो महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर रिव्यू पिटीशन की सुनवाई में खुद को पक्षकार बनाने की मांग की है। याचिका कनक दुर्गा और बिंदु अम्मानि ने दायर की है।
याचिका में कहा गया है कि उन्हें सबरीमाला मंदिर से जुड़े मामलों के रिव्यू पिटीशंस पर सुनवाई में पक्षकार बनाया जाए। दोनों महिलाओं ने सबरीमाला मंदिर के अगली बार खोलने पर फिर से प्रवेश करने की अनुमति भी मांगी है। दोनों महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अपनी सुरक्षा की मांग की थी। उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए पिछले 18 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार को निर्देश दिया था कि वो दोनों महिलाओं को पूरी सुरक्षा प्रदान करें। इन दो महिलाओं ने अपनी सुरक्षा की मांग की थी।
28 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने 4-1 के बहुमत से फैसला सुनाया था। कोर्ट ने कहा था कि महिलाओं के साथ काफी समय से भेदभाव होता रहा है। महिला पुरुष से कमतर नहीं है। एक तरफ हम महिलाओं को देवी स्वरुप मानते हैं दूसरी तरफ हम उनसे भेदभाव करते हैं। कोर्ट ने कहा था कि बायोलॉजिकल और फिजियोलॉजिकल वजहों से महिलाओं के धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता को खत्म नहीं किया जा सकता है। तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा समेत चार जजों ने कहा था कि ये संविधान की धारा 25 के तहत मिले अधिकारों के विरुद्ध है। हि.स.