लॉस एंजेल्स, (media saheb.com) उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के एक छोटे से गांव काठी खेड़ा में फिल्माई गई भारतीय फिल्म प्रोड्यूसर गुनीत मोंगा की ‘पीरियड. एंड आफ सेंटेन्स’ को बेस्ट डॉक्युमेंट्री शॉर्ट कैटिगरी फिल्म के लिए आस्कर अवॉर्ड से नवाजा गया। इस फिल्म का मुकालबा कई विदेशी फिल्मों के साथ था लेकिन आखिरकार भारतीय फिल्म ने आस्कर जीतने में बाजी मारी। इस अवॉर्ड के मिलते ही इस फिल्म की नायिका स्नेहा और संचालिका सुमन खुशी के मारे झूम उठीं। इस फिल्म की रूपरेखा में यहां महीनों से जुटे ओकवुड मिडल स्कूल की छात्राओं और टीचर लिसा बर्टन ने आस्कर अवॉर्ड मिलने पर खुशी का इजहार किया। असल में यह क्षण ही ऐसा था, जिसने इस लघु वृत्त फिल्म के जरिए भारत की किशोर बालिकाओं के लिए सेनेटरी पैड की अहमियत का अद्भुत संदेश दिया था।
इस अवार्ड के मिलने पर अपनी खुशी को ज़ाहिर करते हुए रयाक्ता ने कहा कि उन्हें यकीन ही नहीं हो पा रहा है कि पीरियड्स पर बनी फिल्म ने अवार्ड जीत लिया है। साथ ही गुनीत ने ट्वीट करते हुए लिखा, “हम जीत गए। धरती पर मौजूद हर लड़की इस बात को जान ले कि वह देवी है…।” लॉस एंजेल्स स्थित ओकवुड हाई स्कूल की छात्राओं और टीचर लिसा बर्टन ने ‘पैड प्रोजेक्ट’ के अंतर्गत फिल्म निर्माण के लिए जिस तरह फंड एकत्र किया और फिर सरकार की मदद से उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के काठी खेड़ा गांव पहुंची। यहां की रहने वाली स्नेहा सेनेटरी पैड बनाने का काम करती हैं।
इस फिल्म की कहानी हापुड़ में स्थित गांव की महिलाओं पर केंद्रित है जिन्हें पैड की सुविधा उपलब्ध नहीं है और उनके पास माहवारी के दिनों में पैड्स उपलब्ध न होने के कारण कई महिलाओं को बीमारियां चपेट में ले लेती हैं जो मौत का कारण भी बनती है। 26 मिनट की इस फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह से पैड न होने के कारण लड़कियां स्कूल तक नहीं जा पाती हैं। लिहाजा एक दिन उनके गांव में पैड मशीन लगाई जाती है, जिसके बाद महिलाओं को पैड के बारे में पता चलता है। महिलाएं इसके लिए जागरुकता फैलाने के लिए खुद भी पैड बनाने का भी फैसला करती हैं। महिलाओं की इस पहल का रूढ़िवादी लोग आपत्ति उठाते हैं और अड़चनें पैदा करते हैं। इसके बावजूद गांव की स्नेहा के नेतृत्व में महिलाएं अपने इरादे से पीछे नहीं हटतीं और परेशानियों का डटकर सामना करती हैं। पैड निर्माण के इस प्रोजेक्ट को विदेश से भी सहायता मिलती है। गांव में बनने वाली इस सेनिटरी नैपकिन को फ्लाई (Fly) का नाम देकर यह सन्देश देने की कोशिश की जाती है कि सेनिटरी पैड्स के साथ ही महिलाओं को मासिक धर्म से होने वाली परेशानियों से आजादी पाकर वह खुलकर बुलंदियों को हासिल कर सकती हैं। यह समस्या भारत की ही नहीं, हर उस विकासशील देश की है, जहां किशोर बालिकाएं पहली माहवारी के खौफ से स्कूल जाना ही छोड़ देती हैं।
स्पाइडर मैन: इन टू द स्पाइडर वर्स को कार्टून फिल्म का आस्कर अवार्ड दिया गया। इस अवार्ड समारोह के लिए दोपहर से ड़ोल्बी थिएटर (हालीवुड) जाने वाले सभी सड़क मार्गों को बंद कर दिया गया था, जबकि नाथ हालीवुड में जगह-जगह रेस्तरां में अपार भीड़ थी, जो अपनी प्रिय फिल्मों और नायक नायिकाओं को जीतते देखना चाहते थे। दुनिया भर में विख्यात आस्कर के 91वें अवार्ड समारोह में सर्वश्रेष्ठ फ़ीचर फिल्म का पुरस्कार ”ग्रीन बुक” को मिला, जबकि ‘रोमा’ फिल्म को एक विदेशी भाषा की फिल्म का पुरस्कार दिया गया। इस श्वेत स्याम ‘रोमा’ फिल्म के निर्देशक को सिनेटोमाग्राफ़ी के दूसरी बार अवार्ड मिले। बेस्ट एक्टर्स का ऑस्कर अवॉर्ड ओलिविया कोलमन को द फेवरिट के लिए मिला।बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर्स का ऑस्कर रेजिना किंग ने इफ बील स्ट्रीट कुड टॉक के लिए जीता।
एक नजर में ऑस्कर विनर
बेस्ट एक्टर लीडिंग रोल- रामी मालेक
बेस्ट एक्टर्स लीडिंग रोल- ओलिविया कोलमन
बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर- माहर्शला अली
बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर्स- रेजिना किंग
बेस्ट डायरेक्टर- अलफॉन्सो क्यूरॉन
बेस्ट फिल्म- ग्रीन बुक
बेस्ट फॉरन फिल्म- रोमा
बेस्ट ऐनिमेटेड फीचर फिल्म- स्पाइडर मैन: इन टू द स्पाइडर वर्स
बेस्ट ऐनिमेटेड शॉर्ट फिल्म- बाओ
बेस्ट फिल्म- ग्रीन बुक
बेस्ट फॉरन फिल्म- रोमा
बेस्ट डॉक्युमेंट्री शॉर्ट सब्जेक्ट- पीरियड एंड ऑफ सेंटेस
बेस्ट विजुअल इफेक्ट- फर्स्ट मैन
बेस्ट ऑरिजनल स्क्रीनप्ले- ग्रीन बुक
बेस्ट ऑरिजनल सॉन्ग- शैलो
बेस्ट कॉस्ट्यूम डिजाइन- रुथ कार्टर
बेस्ट सिनेमटॉग्राफी- रोमा
बेस्ट ऑरिजनल स्कोर- ब्लैक पैंथर | (हि.स. )।