रायपुर (mediasaheb.com)| W.H.O. के अनुसार दुर्लभ रोग वे रोग है जो की बहुत कम जनसंख्या (10000 में १) को प्रभावित करता है तथा जिनके निदान एवं उपचार काफी महंगा है। प्रति वर्ष फरवरी माह के अंतिम दिन पूरे विश्व में दुर्लभ रोग दिवस के रूप में मनाया जाता है जिसका मुख्य उद्देश्य दुर्लभ बीमारियों के प्रति जागरूकता बढ़ाना तथा दुर्लभ रोग से ग्रस्त रोगियो के उपचार और चिकित्सा प्रतिनिधित्व तक पहुंच में सुधार करना है।
पूरे विश्व में लगभग 7000 प्रकार के दुर्लभ रोग पाए जाते हैं जिसमें से लगभग 450 प्रकार के दुर्लभ रोगों का प्रकरण भारत में पाया जा चुका है इन रोगियों की संख्या भारत में लगभग 8 से 10 करोड़ तक अनुमानित है जिसमें 75% बच्चे हैं तथा शेष 25% व्यस्क है।
एक अध्ययन में पाया गया है कि लगभग 30% रोगी जो की दुर्लभ लोगों से ग्रस्त है उनकी मृत्यु 5 वर्ष से पहले हो जाती है, गौरतलब है कि पूरे विश्व में केवल 5% दुर्लभ रोगों का ही उपचार उपलब्ध हो पाया है तथा शेष 95% दुर्लभ लोग आज भी अनुपचारित है।
दुर्लभ रोगों से ग्रस्त रोगी मुख्यतः चलने फिरने तथा रोजमर्रा के काम करने में अक्षम हो जाते हैं तथा यह मारियां समय के साथ बढ़ती जाती हैं। भारत में पाए जाने वाले कुछ प्रमुख दुर्लभ लोगों में थैलेसीमिया लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर, अटैक्सिया, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी, स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी, मल्टीपल क्लोरोसिस इत्यादि है। छत्तीसगढ़ राज्य में लगभग 1000 से भी अधिक दुर्लभ रोग ग्रस्त रोगी पाए जाने की संभावना है हालांकि राज्य में इनका डाटा एकत्र करने की कोई पहल अभी तक नहीं की गई है। वर्तमान में दुर्लभ रोगों के उपचार हेतु बहुत कम दवाइयां उपलब्ध है तथा जो उपलब्ध है उनका भी मूल्य लाखों-करोड़ों रुपए में होने के कारण आम वर्ग के पहुच से बाहर है, फिर भी केरल तथा गोवा जैसे राज्यों में शासन द्वारा इन रोगियों को यथासंभव उपचार तथा दवाइयां उपलब्ध कराई जा रही है, हरियाणा तथा बिहार जैसे राज्य में प्रतिमाह 3000 से 5000 रूपए दुर्लभ रोगियों को उपलब्ध कराई जा रही है। केंद्र शासन द्वारा राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति 2021 के अंतर्गत 50 लाख रुपए तक का अनुदान प्रस्तावित है किंतु बहुत कम रोगियों को अभी तक इसका लाभ प्राप्त हो सका है। भारत में क्योर एस. एम. ए. इंडिया तथा डीएमडी रोग पिडित संगठन इन लोगों की आवाज शासन तथा चिकित्सा जगत में पहुंचाने का काम कर रही है।
छत्तीसगढ़ शासन से दुर्लभ रोग ग्रस्त पीड़ितों की अपेक्षाएं –
१. वर्तमान में दुर्लभ रोगों खासकर अनुवांशिक बीमारीयो के निदान हेतु दूसरे बड़े राज्य में स्थित अस्पतालों एवं
प्राइवेट लैब पर निर्भरता है, राज्य शासन से अपेक्षा है कि छत्तीसगढ़ में इन रोगों की निदान की सुविधा उपलब्ध
कराई जाए।
२. पूरे देश में 13 सेंटर आफ एक्सीलेंस खोले गए हैं छत्तीसगढ़ में भी सेंटर आफ एक्सीलेंस की स्थापना की जाए
जिससे कि पीड़ितों को दूसरे राज्यों पर निर्भरता खत्म हो सके।
३. देश के अन्य राज्यों की तरह सभी रोगियों को उपचार, दवाइयां तथा मासिक अनुदान प्रदान की जाए ।
४. राज्य के प्रमुख चिकित्सालय तथा जिला चिकित्सालय में दुर्लभ रोग पीड़ितों का डाटा एकत्र कराया जाए जिससे
कि राज्य में इन रोगियों की वास्तविक संख्या पता की जा सके।
५. दुर्लभ रोग पीड़ितों को लगातार चिकित्सा सहायता की जरूरत पड़ती है, इस हेतु राज्य की राजधानी में प्रमुख
चिकित्सा केंद्रों जैसे डी. के. एस. हॉस्पिटल या एम्स में चिकित्सा विशेषज्ञों की टीम गठित किया जाए जो समय
समय पर पीड़ितों को आवश्यक सहायता छत्तीसगढ़ राज्य में ही प्रदान कर सके।