रायपुर (mediasaheb.com) |देश भर में 1 जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। गुब्बारों की स्टिक, लॉलीपॉप की डंडी, थर्माकोल के सजावटी सामान, कप, गिलास, चम्मच, स्ट्रॉ, सिगरेट पैकेट सहित 19 प्रकार की वस्तुएं अब सिर्फ तस्वीरों में सिमट कर रह जाएंगी। इस पर प्रतिबंध इसलिए भी जरूरी था क्योंकि प्रदूषण को बढ़ाने में सिंगल यूज प्लास्टिक का सबसे ज्यादा योगदान है। सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि वे इसके अभ्यस्त हो चुके हैं तथा 40 फीसदी से ज्यादा सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल खाद्य पदार्थों में होता है। लेकिन पर्यावरण की सुरक्षा, उत्तम स्वास्थ्य तथा आने वाली पीढ़ी के लिए पृथ्वी को रहने योग्य बनाये रखने के लिए ये आवश्यक है। सिंगल यूज प्लास्टिक ऐसा प्लास्टिक है जो आसानी से अपघटित नहीं होता है। बल्कि वातावरण में पड़े-पड़े जहरीले रसायन छोड़ता रहता है। इसको जलाने से जहरीली गैस मुक्त होती हैं, जो सभी जीवित प्राणी के लिए हानिकारक है। गिरता भू-जल संकट, त्वचा एवं सांस संबंधी बीमारियां, भूमि की अनुर्वरता आदि के लिए कुछ हद तक सिंगल यूज प्लास्टिक भी जिम्मेदार है।
नालियों से निकलने वाले कचरे का लगभग 70% हिस्सा सिंगल यूज प्लास्टिक का होता है। बाज़ारों में अभी भी ग्राहक और दुकानदार इनका प्रयोग कर रहे हैं। इनके उपयोग पर लगे प्रतिबंध की निगरानी के लिए जिन संस्थाओं को जिम्मेदारी दी गई हैं वे अभी अपनी क्षमता के अनुसार कार्य नहीं कर रहे हैं। लोगों में इसके प्रयोग से होने वाले नुकसान तथा प्रतिबंध के बाद उपयोग करते हुए पाए जाने पर जो दंड के प्रावधान किए गए हैं उसकी भी जानकारी नहीं है। साथ ही सिंगल यूज प्लास्टिक के निपटान के लिए हमारे यहां अभी तकनीक और उद्योग दोनों की कमी है। अवशिष्ट प्रबंधन से जुड़े लोगों का एक बड़ा हिस्सा इसके सुरक्षित निपटान की विधि से पूरी तरह परिचित नहीं हैं।
सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल करते हुए पाए जाने पर जेल और जुर्माना दोनों हो सकता है। सिर्फ प्रतिबंध लगा देने और दंडित करने से बात नहीं बनेगी। लोगों को सिंगल यूज़ प्लास्टिक का विकल्प भी देना होगा। इसके साथ उनके उपयोग के लिए जागरूक भी करना होगा। इको-फ्रेंडली का विकल्प चुनना फायदेमंद है। किराना, सब्जी आदि लेते जाते वक्त प्लास्टिक थैलियों की बजाय कॉटन थैलियों का इस्तेमाल करना चाहिए। साथ ही प्राकृतिक कपड़ों का उपयोग किया जा सकता है। जैविक कॉटन, ऊन या बांस से बने टिकाऊ कपड़े धोने पर प्लास्टिक के रेशे नहीं छोड़ते हैं। लोगों को अपनी आदतों में बदलाव लाकर इस प्रतिबंध का समर्थन करना चाहिए। पुराने समय में 3 आर यानी कम उपयोग पुन: चक्रण, और पुन: उपयोग का बहुत महत्व हुआ करता था। आज फिर से इसी मंत्र को अपनाकर न सिर्फ संसाधनों पर से दबाव कम कर सकते हैं, बल्कि प्रदूषण जैसी समस्या का समाधान भी निकाल सकते हैं। स्वच्छता अभियान की तरह ही सिंगल यूज प्लास्टिक के प्रतिबंध को भी जन अभियान बनाने की जरूरत है। ऐसा करने से न सिर्फ पर्यावरण में सुधार होगा बल्कि वोकल ़फॉर लोकल को भी बल मिलेगा।
2019 में आयोजित चौथी संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा में, भारत ने एकल उपयोग वाले प्लास्टिक उत्पादों के प्रदूषण से निपटने के लिए एक प्रस्ताव रखा था, जिसमें वैश्विक समुदाय द्वारा इस बहुत महत्वपूर्ण मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करने की तत्काल आवश्यकता को स्वीकार किया गया था। यूएनईए 4 में इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया जाना एक महत्वपूर्ण कदम था। मार्च 2022 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा के हाल ही में संपन्न पांचवें सत्र में, भारत प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ वैश्विक स्तर पर कार्रवाई शुरू करने के संकल्प पर आम सहमति विकसित करने के लिए सभी सदस्य देशों के साथ रचनात्मक रूप से जुड़ा।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 16 फरवरी, 2022 को प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2022 के रूप में प्लास्टिक पैकेजिंग पर विस्तारित उत्पादकों की जिम्मेदारी पर दिशा-निर्देशों को भी अधिसूचित किया है। विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर) दरअसल उत्पाद की शुरुआत से अंत तक उसके पर्यावरण की दृष्टि से बेहतर प्रबंधन के लिए एक उत्पादक की जिम्मेदारी होती है। ये दिशा-निर्देश प्लास्टिक पैकेजिंग कचरे की चक्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने, प्लास्टिक पैकेजिंग के नए विकल्पों के विकास को बढ़ावा देने और कारोबारी जगत द्वारा टिकाऊ प्लास्टिक पैकेजिंग के विकास की दिशा में कदम बढ़ाने से संबंधित रूपरेखा मुहैया कराएंगे।
एमएसएमई इकाइयों के लिए क्षमता निर्माण कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है, ताकि उन्हें सीपीसीबी/एसपीसीबी/पीसीसी के साथ-साथ लघु, सूक्ष्म और मध्यम उद्यम मंत्रालय तथा केंद्रीय पेट्रोकेमिकल इंजीनियरिंग संस्थान (सीआईपीईटी) और उनके राज्य-केन्द्रों की भागीदारी के साथ प्रतिबंधित एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं के विकल्प के निर्माण के लिए तकनीकी सहायता प्रदान की जा सके। ऐसे उद्यमों को प्रतिबंधित एकल उपयोग वाली प्लास्टिक के निर्माण को बंद करने में सहायता करने के भी प्रावधान किये गए हैं। 1 जुलाई 2022 से चिन्हित एसयूपी वस्तुओं पर प्रतिबंध को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय नियंत्रण कक्ष स्थापित किये जायेंगे तथा प्रतिबंधित एकल उपयोग प्लास्टिक के अवैध निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री एवं उपयोग की निगरानी के लिए विशेष प्रवर्तन दल गठित किये जायेंगे। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को किसी भी प्रतिबंधित एकल उपयोग वाली प्लास्टिक की वस्तुओं के अंतर-राज्य परिवहन को रोकने के लिए सीमा जांच केंद्र स्थापित करने के लिए कहा गया है।
इन पर लगी रोक– भारत सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक से उत्पन्न कचरे से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं। प्रतिबंधित वस्तुओं की सूची में ये वस्तुएं शामिल हैं- प्लास्टिक स्टिक वाले ईयर बड, गुब्बारों के लिए प्लास्टिक स्टिक, प्लास्टिक के झंडे, कैंडी स्टिक, आइसक्रीम स्टिक, सजावट के लिए पॉलीस्टाइनिन (थर्मोकोल), प्लास्टिक की प्लेट, कप, गिलास, कटलरी, कांटे, चम्मच, चाकू, स्ट्रॉ, ट्रे, मिठाई के डिब्बों को रैप या पैक करने वाली फिल्म, निमंत्रण कार्ड, सिगरेट के पैकेट, 100 माइक्रोन से कम के प्लास्टिक या पीवीसी बैनर, स्टिरर।