पंचम दा : सुरों के जादूगर
बिलासपुर (mediasaheb.com)| आज के दौर में,आप सत्तर व अस्सी के दशकों जिन गानो को, उनके म्यूजिक को क्लासिक मानते है और आज के गानो से बेहतर समझते है, उन में से अधिकांश गीत आर डी बर्मन यानि पंचम दा के है उन दिनों वे अपने से पुरानी पीढ़ी के म्यूजिक डायरेक्टर की कड़ी आलोचना झेलते थे अज़ी साहब, ये भी कोई गाना हुआ, ये भी कोई म्यूजिक हुआ.. दरअसल भारत के क्लासिक संगीत पर आधारित संगीत ही उन दिनों श्रेष्ठ माना जाता था वैसे तो ये हर पीढ़ी के साथ होता है, वे अपने दौर को श्रेष्ठ बताते है पंचम दा
मानो किसी ने बंद कमरे की खिड़की खोली हो और बाहर उपवन से फूलो की भीनी भीनी ख़ुशबु हवा के साथ अंदर आ कमरे का महका गयी… पंचम दा ने बंद खिड़की को खोला और फ्रेश एयर की तरह, नए दौर के संगीत को हिन्दी सिनेमा में प्रवेश कराया संगीत में नित नए अनगिनत प्रयोग का नाम है पंचम दा कहते है, अपनी पहली धुन नौ साल की उम्र में तैयार की और इसे किशोर दा ने गाया था ए मेरी टोपी पलट के आ फ़िल्म फंटूश (1956)के लिए..
महान पिता सचिनदेव बर्मन की महान संतान पंचम दा व पत्नी सुरों की मलिका आशा भोसले.. वे अपनी अंतिम फ़िल्म 1942:ए लव स्टोरी(1994) की सफलता सेलिब्रेट करने इस संसार में नहीं रहें थे, नब्बे के दशक आते आते नए म्यूजिक डायरेक्टर काबिज़ हो चुके थे, पंचम दा लगभग खाली बैठे थे, ऐसे में विदु विनोद चोपड़ा ने अपनी इस क्लासिक फ़िल्म में उन्हें म्यूजिक डायरेक्शन के लिए चुना
और उनका चुनाव एकदम सही साबित हुआ इक लड़की को देखा तो ऐसा लगा सारे गाने इस फ़िल्म के बेजोड़ साबित हुए, फ़िल्म फेयर भी मिला.. आज़कल बहुत सारे यंग, सोशल मिडिया में पंचम दा के गाने पर अपना वीडियो बना शेयर कर रहें पंचम दा की अद्भुत धुन का जादुई नशा ऋषि कपूर और पद्मिनी पर रेल की छत पर फिल्माया गीत होगा तुम से प्यारा कौन, हम को तुमसे है हे कांची प्यार या याद करिये, फ़िल्म शोले का शानदार बेहतरीन म्यूजिक वाला गीत, ज़ब बजे तो पैरो में अपने आप थिरकन आ जाए हेलन पर फिल्माया महबूबा महबूबा… हमेशा नए नित प्रयोग… जब गिलासों के टकराने की आवाज सुनाई देती है तो बरबस ही फिल्म ‘यादों की बारात’ का गाना ‘चुरा लिया है तुमने’ याद आ जाता है। इस गाने को क्रिएट करने के लिए पंचम दा ने गिलास का इस्तेमाल किया था पंचम दा की क्रिएटिविटी को आज के म्यूजिक डायरेक्टर फॉलो करते हैं,उन्होंने हर तरह के गाने बनाए, हर गीतकारों के साथ अलग-अलग काम किया,चाहे वो आनंद बक्शी साहब के साथ ‘दम मारो दम’, मजरूह सुल्तानपुरी के साथ ‘चुरा लिया है तुमने जो दिल को’, खुर्शीद हल्लौरी का लिखा गीत ‘तुमसे मिलकर ऐसा लगा’ हो। हर गीत में आपको अलग धुन और स्टाइल मिलेगा पंचम दा के बिना हम हिन्दी सिनेमा के सत्तर अस्सी के दशक की कल्पना भी नहीं कर सकते आज जयंती पर नमन *संजय ‘अनंत’©*