रायपुर(mediasaheb.com)| – मैट्स विश्वविद्यालय के मैट्स स्कूल आॅफ लाइब्रेरी साइंस विभाग द्वारा राष्ट्रीय पुस्तकालयाध्यक्ष दिवस का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। इस अवसर पर विद्यार्थियों के लिए भाषण स्पर्धा का आयोजन किया गया जिसमें विद्याार्थियों ने बड़े उत्साह के साथ भागीदारी की और अपने भाषण कला का प्रदर्शन किया।
उल्लेखनीय है कि प्रथम भारतीय विश्वविद्यालय पुस्तकालयाध्यक्ष प्रो.डाॅ. एसआर रंगनाथन के जन्म दिवस पर प्रतिवर्ष 12 अगस्त को पुस्तकालयाध्यक्ष दिवस मनाया जाता है। पुस्तकालय विज्ञान के जनक पद्मश्री डाॅ. एसआर रंगनाथन के 130 वीं जयंती के अवसर पर पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विभाग द्वारा प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी जन्म दिवस बड़े उत्साह से मनाया गया जिसमें विश्वविद्यालय के छात्रों सहित प्राध्यापकगण मौजूद रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डाॅ. कल्पना चंद्राकर, विभागाध्यक्ष मैट्स स्कूल आॅफ लाइब्रेरी साइंस विभाग द्वारा किया गया। विशिष्ट अतिथि के रूप में मैट्स विश्वविद्यालय के महानिदेशक श्री प्रियेश पगारिया, कुलपति प्रो. डाॅ. के. पी. यादव जी उपस्थित थे।
भाषण प्रस्तुतिकरण में छात्रों द्वारा पुस्तकालय विज्ञान में डाॅ. रंगनाथन महोदय के जीवन के चुनिंदा पहलुओं के बारे में बताया गया, साथ पुस्तकालय विज्ञान के पांच नियम जो पाठकों के लिए आज भी प्रासंगिकता लिए हुए हैं, की उपयोगिता पर प्रकाश डाला गया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डाॅ. क.े पी. यादव ने सूचना उपयोकर्ताओं की आवश्यकता को पूरा करने और आने वाली चुनौतियां से निपटने की तैयारी के बारे में विस्तार से अपने उद्बोधन में स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि वर्तमान में जो भौतिक ग्रंथ है उससे अधिक आभासी पुस्तकालय का स्वरूप दिखाई दे रहा है जिसमें सूचना आवश्यकता और सूचना प्रदाता दोनों के लिए भविष्य की राह आसान होगी, उन्होंने कहा कि हम सभी को आज आने वाली तकनीकी संसाधनों के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर मैट्स विश्वविद्यालय के कुलाधिपति गजराज पगारिया, महानिदेशक प्रियेश पगारिया, कुलपति प्रो.डाॅ. के.पी. यादव, उपकुलपति डाॅ. दीपिका ढांढ, कुलसचिव गोकुलानंदा पंडा, लाइब्रेरी कमेटी के अध्यक्ष डाॅ.प्रशांत मुंडेजा ने इस आयोजन की सराहना की एवं विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया। इस अवसर पर लाइब्रेरी साइंस विभाग के शिक्षकगण सहायक प्राध्यापक संजय शाहजीत, सहायक प्राध्यापक लाकेश कुमार साहू, सहायक ग्रंथपाल श्रीमति संध्या शर्मा एवं गिरधारी लाल पाल का कार्यक्रम को सफल बनाने में विशेष सहयोग रहा। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष एवं प्राध्यापकगण भी उपस्थित थे।