भारत की समृद्ध वैदिक संस्कृति के प्रचार के लिए हो मोबाइल का इस्तेमाल: डॉ असले टोजे
हरिद्वार (mediasaheb.com)| दुनिया में सबसे प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार समिति के सदस्य डॉ असले टोजे ने कहा है कि मोबाइल फोन आज की पीढ़ी के लिए महत्वपूर्ण है लेकिन भारत जैसी महान सांस्कृतिक विरासत वाले देश में इसका इस्तेमाल वैदिक संस्कृति को पूरे विश्व में पहुंचने के लिए होना चाहिए ताकि दुनिया भारत की महान सांस्कृतिक विरासत से परिचित हो सके।
डा. टोजे ने कहा कि भारत शांति का संदेश देने वाली भूमि है और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को समझो यह है इसलिए आज के युग में मोबाइल फोन का उपयोग सिर्फ मनोरंजन के लिए ही नहीं बल्कि रचनात्मक कार्यों के अलावा संस्कृति को जानने तथा आत्मिक विकास के लिए भी होना चाहिए। उनका कहना था कि विनम्रता और शालीनता प्रत्येक भारतीय को एकता के सूत्र को पिरोने का काम करता है और वैदिक संस्कृति के रूप में भारत जो धरोहर और वसियत संजोये है वह विश्व के लिए बहुत उपयोगी है और सकारात्मकता का परिचायक है।
डॉ टोजे ने यहां देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में वसुधैव कुटुम्बकम् विषय पर आयोजित व्याख्यानमाला कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए कहा कि भारत ने दुनिया को शांति का संदेश दिया है। शांति का संदेश अंतःकरण को मानवता और प्रकृति से जोड़ने के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि भारत आध्यात्मिक प्रवाह का केन्द्र है और यह मेरे हृदय के सबसे करीब है।
देसंविवि के प्रतिकुलपति व संयुक्त राष्ट्र संगठन (यूएनओ) द्वारा विश्व शांति के लिए गठित अंतरराष्ट्रीय सामाजिक आध्यात्मिक मंच के निदेशक डॉ चिन्मय पण्ड्या ने देसंविवि के कुलपिता युगऋषि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी की वसुधैव कुटुंबकम् की भावना को विस्तार से बताते हुए कहा कि एकता, समता, शुचिता एवं ममता गायत्री परिवार का आधार है। इन्हीं गुणों के साथ गायत्री परिवार आगे बढ़ रहा है।
प्रतिकुलपति ने मुख्य अतिथि डॉ टोजे को गायत्री मंत्र लिखित चादर, रुद्राक्ष माला, स्मृति चिह्न आदि भेंटकर सम्मानित किया। (वार्ता)