रायपुर (mediasaheb.com) | बालको मेडिकल सेंटर, नया रायपुर, के हेमटोलॉजी विभाग ने “हीमोफिलिया क्लिनिक एंड ट्रीटमेंट सेंटर” शुरू किया है। यहां हीमोफीलिया के मरीजों को आधुनिक डायग्नोस्टिक सुविधा, इनहिबिटर डेवलपमेंट की
लगातार मॉनिटरिंग और हीमोफीलिया के मरीजों को मल्टीडिसिप्लिनरी ट्रीटमेंट मुहैया कराया जाएगा। हीमोफीलिया के बारे में बताते हुए ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन के कंसल्टेंट, डॉ नीलेश जैन, ने कहा, “हीमोफीलिया एक दुर्लभ जन्मजात रक्त-विकार है जो रक्त के थक्के बनने की क्षमता को प्रभावित करता है। यह एक आनुवंशिक विकार है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी महिलाओं के माध्यम से अनुवांशिक रूप में गुजरता है, जबकि पुरुष प्रभावित होते हैं। हीमोफिलिया को दो प्रकारों में बांटा गया है: हीमोफिलिया ए, जो क्लॉटिंग फैक्टर VIII की कमी के कारण होता है, और हीमोफिलिया बी, जो क्लॉटिंग फैक्टर IX की कमी के कारण होता है।
हेमेटोलॉजी और हेमेटो-ऑन्कोलॉजी के कंसल्टेंट, डॉ दिब्येंदु दे ने बताया, “हीमोफिलिया का निदान बहुत मुश्किल है क्योंकि यह रोग मांसपेशियों और जोड़ों जैसे आंतरिक अंग में छिपे हुए रक्तस्राव के रूप में प्रकट होता है।
साथ ही उन्हें चोट से अत्यधिक रक्तस्राव होता है जो आसानी से नहीं रुकता। निदान न किए गए रोगियों को मांसपेशियों और जोड़ों में तेज दर्द, जोड़ों में सूजन, घुटनों और कूल्हे के जोड़ों को नुकसान होता है, रोगी खड़े होने में असमर्थ हो जाता है और प्रारंभिक जीवन में रक्तस्राव से उसकी मृत्यु हो सकती है। इस तरह के विकार के उपचार के लिए फैक्टर 8 और फैक्टर 9 की जीवन रक्षक दवा की आवश्यकता होती है। पहले, ऐसी दवा आसानी से उपलब्ध नहीं थी और रोगी को रक्तस्राव हो जाता था और कुछ घटनाएँ घातक भी सिद्ध हो जाती थी। बालको मेडिकल सेंटर में हीमोफिलिया क्लिनिक और उपचार केंद्र ऐसे रोगियों में किसी भी जटिलता को रोकने के लिए रोगनिरोध में फैक्टर प्रदान करेगा। हीमोफिलिया क्लिनिक एंड ट्रीटमेंट सेंटर विशेष लॉन्ग एक्टिंग फैक्टर, पेगीलेटेड फैक्टर 8 और 9 का उपयोग करेगा। यह नई तकनीक बार-बार अस्पताल जाने की आवश्यकता के बिना किसी भी रक्तस्राव की दीर्घकालिक रोकथाम प्रदान करती है। यह सुरक्षित है, लंबे समय तक चलने वाला और साथ ही इसमें रक्त-जनित वायरल संक्रमण की कोई संभावना नहीं है।