रायपुर (mediasaheb.com)| आज का दिन हिंदुओं के साथ-साथ बौद्धों और जैनियों के लिए पवित्र दिन है। यह तिथि चारों वेदों का वर्गीकरण करने वाले एवं 18 पुराणों तथा महाभारत के रचयिता महर्षि वेद व्यास की जयंती है। बौद्ध साहित्य के अनुसार, इसी तिथि को भगवान गौतम बुद्ध ने लगभग 2500 वर्ष पूर्व सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया था। इसी दिन से चार महीने तक परिव्राजक साधु-सन्त एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं।
खबर चल रही है कि यह साल का पहला ग्रहण है, यह भारत में नहीं दिखाई देगा, जिस वजह से इसका सूतक काल भी भारत में मान्य नहीं होगा। पर पता नहीं क्यों, दिल कहता है कि खबर सही नहीं है। ये तो साल ही ग्रहण का है। रूस यूक्रेन विवाद में कूद चुके यूरोप, अमेरिका, इंग्लैंड से ले कर झुलसते पड़ोसी श्रीलंका तक वैश्विक दुनिया में ग्रहण ही ग्रहण लगे हैं। हमारे अपने यहां भी प्रेम के प्रकाश पर स्वार्थ के केतु का प्रकोप है और महंगाई के रूप में राहु का ग्रास भारी है। उस पर खबरिया चैनलों पर नफरत का सूतक है जो कभी खत्म ही नहीं होता।
इस परिप्रेक्ष्य में यह गुरु पूर्णिमा खास है क्योंकि जब प्रकाश को अंधकार ग्रसने लगे, जब मन की शांति को अवसाद डसने लगे, ऐसे समय ही गुरु की आवश्यकता और महत्ता सबसे ज्यादा होती है।