रायपुर (mediasaheb.com) । नारायणपुर में ईसाइयों के द्वारा आदिवासियों पर किए गए हमले की शिकायत लेकर बस्तर से राजधानी पहुँचे आदिवासियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने रविवार को राज्यसभा अनुसुइया उइके से राजभवन में मुलाकात की।
राज्यपाल से मुलाकात कर आदिवासी समाज के पीड़ित समूह ने नारायणपुर में ईसाइयों के द्वारा की गई हिंसा और इसके पश्चात आदिवासियों के साथ हो रहे अत्याचार को लेकर एक ज्ञापन सौंपकर अपनी शिकायत दर्ज कराई है। ज्ञात हो कि बीते 1 जनवरी, 2023 को जिला नारायणपुर के एडक़ा थाना क्षेत्रान्तर्गत स्थित गोर्रा ग्राम में नव धर्मान्तरित समूह ने मूल आदिवासी संस्कृति को मानने वाले ग्रामीणों पर जानलेवा हमला किया था, जिसमें बड़ी संख्या में ग्रामीण घायल हुए थे। इस हिंसा के दौरान ईसाइयों ने धर्मान्तरण का विरोध करने वाले ग्रामीणों, आदिवासी पुजारियों एवं नेतृत्वकर्ताओं को जान से मारने का प्रयास किया था, जिसके बाद घायलों को अपनी जान बचाकर घटनास्थल से भागना पड़ा था।
इस हिंसा के दौरान आदिवासियों की शिकायत पर ईसाइयों को रोकने पहुंची पुलिस बल पर भी ईसाइयों ने हमला किया था, जिसमें एड़का थाना प्रभारी को गंभीर चोट आई है। इस हिंसक मामले को लेकर राजभवन पहुंचे आदिवासियों के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल के समक्ष ज्ञापन देकर यह आरोप लगाया कि आदिवासी समाज को न्याय से वंचित किया जा रहा है, साथ ही आदिवासियों के ऊपर अत्याचार की घटनाएं देखी जा रही है। पुलिस एवं प्रशासन पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए आदिवासी समाज के पीड़ितों ने राज्यपाल को बताया कि हिंसा की घटना के बाद जब पुलिस के समक्ष आरोपियों के नाम के साथ शिकायत दर्ज कराई गई, तब भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। आदिवासियों के प्रतिनिधिमंडल का कहना है कि इस हिंसा में ईसाई पादरी एवं नावधर्मान्तरित समूह के लच्छूराम पिता डुमरी ग्राम चिपरेल, बहादुर पिता मंगलू बोरपाल, लच्छू राम पिता सूदू कनागांव, प्रेमलाल पिता हीरालाल ताड़ोपाल, सोपसिंह पिता मोहन ताडोपाल, रजमन पिता गांडोराम तेरडुल, विजय कचलाम पिता दसरू देवगांव, पुनु राम पिता जग्गू चिपरेल, साधु पिता दुकरु चिपरेल और अन्य का नाम शामिल है, जिनके नाम समाज ने अपने शिकायत पत्र में भी दिए थे, लेकिन बावजूद इसके पुलिस ने इनपर कोई कार्रवाई नहीं की है।
आदिवासी समाज ने आरोप लगाया है कि पुलिस एवं जिला प्रशासन आरोपी ईसाइयों को बचाने के लिए आदिवासियों को न्याय से वंचित कर उनके मूल अधिकारों का हनन कर रही है। आदिवासी समाज के पीड़ितों ने बताया कि ईसाइयों को बचाने एवं जनजाति समाज के लोगों को ही फंसाने के दुर्भावनापूर्ण उद्देश्य से 100 से अधिक आदिवासियों पर झूठे आरोप गढ़े गए हैं, जिसके बाद बड़ी संख्या में जिले के आदिवासी ग्रामीणों को जेल में बंद कर दिया गया है। आदिवासियों ने इस पूरी घटना में आरोपी ईसाइयों, पुलिस, जिला प्रशासन और सरकार की सांठ-गांठ का आरोप लगाते हुए कहा है कि उनके साथ पक्षपात किया जा रहा है। आदिवासियों ने राज्यपाल को बताया कि पुलिस द्वारा किए गए एफआईआर के बाद स्थानीय आदिवासी ग्रामीणों में भय का माहौल व्याप्त हो चुका है, जिसके कारण उनके साथ अत्याचार एवं मानवाधिकार हनन की घटनाओं को भी अंजाम दिया जा रहा है। पक्षपाती पुलिसिया कार्रवाई एवं ईसाई मिशनरियों के द्वारा किए जा रहे अत्याचार के आदिवासी के लोग अब अपनी जान पर खतरा महसूस कर रहे हैं, जिसके कारण उन्हें अपना घर छोड़कर इस भारी सर्दी में जंगलों में भटकना पड़ रहा है। इन सभी अत्यचारो के बाद भी आदिवासियों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। आदिवासी समाज के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को अपनी व्यथा सुनाते हुए मांग की है कि आदिवासियों के साथ हो रहे अत्यचारो एवं मानवाधिकार हनन के मामले पर तत्काल संज्ञान लें और आदिवासियों को न्याय दिलाएं।
इसके अलावा आदिवासियों ने कहा है कि सरकार, प्रशासन, पुलिस और आरोपी ईसाइयों के के द्वारा की जा रही आदिवासी विरोधी गतिविधियों की स्वतंत्र एवं निष्पक्ष तरीके से सीबीआई जांच कराई जाए साथ ही दोषियों पर कठोरतम कार्रवाई हो।आदिवासी समाज के प्रतिनिधिमंडल की समस्याओं को सुन कर राज्यपाल अनुसुइया उइके ने उन्हें न्याय दिलाने का
आश्वासन देते हुए कहा है कि किसी निरपराध आदिवासी पर आंच नहीं आने दिया जाएगा। राज्यपाल महोदया ने कहा कि उन्हें इस पूरे मामले की जानकारी है, और आरंभ से ही इस विषय पर वो लगातार अपडेट ले रहीं हैं। इसके साथ राज्यपाल ने इस विषय से संबंधित पुलिस अधिकारियों को आवश्यक निर्देश जारी किए हैं।
राज्यपाल महोदया ने आदिवासियों के प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त करते हुए कहा है कि वें इस मामले को गंभीरता से देखेंगी
एवं आवश्यकता पड़ने पर राज्य सरकार से चर्चा भी करेंगी। बस्तर से राजधानी पहुँकर राज्यपाल से मिलने पहुंचे आदिवासियों के प्रतिनिधिमंडल में श्री भोजराज नाग, श्री मोड़ोराम कोडो (नारायणपुर), श्री राजहोराम उसेंडी, श्रीमती रनाय उसेंडी, श्रीमती सियाबत्ती दुग्गा, बेबी ज्योति, श्री शिगलूराम दुग्गा और श्री रमेश दुग्गा शामिल थे।