लखनऊ (mediasaheb.com)| सुप्रसिद्ध रचनाकार डॉ0 सत्यदेव प्रसाद द्विवेदी ‘पथिक’ द्वारा रचित महाकाव्य कृति ’च्यवन चरित’ के अध्ययन, मनन, और अनुशीलन के उपरांत निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि ’च्यवन चरित’ कृति महाकाव्य के लक्षणों के आधार पर एक सफल प्रबंध महाकाव्य कृति है। यह भाव सौंदर्य, शिल्प सौष्ठव एवं रचनात्मक अभिप्रेत की दृष्टि से अप्रतिम एवं प्रभविष्णु कृति है।
इसका कथानक बड़ा सरस, रोचक कौतूहलवर्धक एवं सन्देशप्रद है, जो भारतीय वाग्डमय के वैदिक ऋषि च्यवन के जीवन की विशद् व्याख्या की गई है। डॉ0 सत्यदेव प्रसाद द्विवेदी ‘पथिक’ ने मूल कथा को मनोवैज्ञानिक आधार पर छन्द के माध्यम से बहुत प्रभावशाली तरीके से सरस शैली में चित्रित किया है तथा कथा से पूर्व समर्पण के रूप में माँ सरस्वती की वंदना प्रस्तुत की है। कृति के मुख्य पात्र च्यवन ऋषि है।
इसका उद्देश्य धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष आदि चारों पुरुषार्थों को दृष्टिगत रखते हुए मानव जीवन में सत्यम्, शिवम्, सुंदरम् की स्थापना करना है और त्याग के महत्व को प्रतिपादित करना है। इसमें शांत, शृंगार व करुण रस की प्रधानता है। देशकाल और वातावरण कथानुरूप है। भाषा सरल, सुबोध, खड़ी बोली हिंदी है। बीच-बीच में तत्सम व तद्भव शब्दों का समावेश भी हुआ है । शैली सरस, चित्रात्मक और विश्लेषणात्मक है। अलंकारों का स्वाभाविक प्रयोग देखते ही बनता है, विशेष रूप से अनुप्रास, उपमा, रूपक, यमक, दृष्टांत, श्लेष, अतिशयोक्ति, पुनरुक्ति आदि का प्रयोग हुआ है। निष्कर्षतः जीवन में त्याग की उपादेयता को रेखांकित करती प्रबंध महाकाव्य कृति ’ च्यवन चरित’ भाव सौंदर्य, शिल्प सौष्ठव, शीर्षक, सन्देश, काव्य प्रयोजन, उद्देश्य एवं रचनात्मक अभिप्रेत की दृष्टि से अत्यंत उत्कृष्ट एवं उपादेय है। यह पठनीय एवं संग्रहणीय काव्य कृति में प्रथम बार च्यवन ऋषि के सम्पूर्ण व्यक्तित्व को एकाकार रूप में प्रस्तुत किया गया है। सुधीजनों एवं साहित्य जगत में यह अपना उल्लेखनीय स्थान बनाएगी, ऐसा मेरा ध्रुव विश्वास है। शुभकामनाओं सहित।
पुस्तक : ’च्यवन चरित’ ( महाकाव्य ) लेखकः डॉ0 सत्यदेव प्रसाद द्विवेदी ‘पथिक’
प्रकाशकः शतरंग प्रकाशन,लखनऊ-226001, मूल्य : 750 रुपये सजिल्द