रायपुर (mediasaheb.com) |हर वर्ष 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस के रूप से मनाया जाता है। इस अवसर पर, संजीवनी कैंसर केयर फाउंडेशन ने तंबाकू के उपयोग के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाने के साथ-साथ किसी भी रूप में तंबाकू के उपयोग को हतोत्साहित करने के उद्देश्य से एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। विभिन्न कैंसर विशेषज्ञों ने इस जागरूकता कार्यक्रम में लोगों को तंबाकू सेवन के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूक करने के लिए अपनी अंतर्दृष्टि और ज्ञान साझा किया।
डॉ. युसूफ मेमन ने कहा कि तंबाकू के सेवन से भारत में हर साल 13 लाख से अधिक मौतें होती हैं, जो प्रति दिन 3500 मौतों के बराबर है। तम्बाकू से होने वाली मौतों और बीमारियों के अलावा देश के आर्थिक और सामाजिक विकास पर भी प्रभाव पड़ता है। उन्होंने आगे कहा कि न केवल तंबाकू का उपयोग कई प्रकार के कैंसर और बीमारियों के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक है, बल्कि धूम्रपान करने वाले स्वयं अकेले नहीं हैं जिन्हें तंबाकू के धुएं से कैंसर हो सकता है। उनके आसपास के लोग, जिनमें उनके बच्चे, साथी, दोस्त, सहकर्मी और अन्य लोग शामिल हैं, सेकेंड हैंड धूम्रपान के शिकार हो जाते हैं।
डॉ. अर्पण चतुर्मोहता ने तंबाकू के सेवन से होने वाली बीमारियों पर विस्तार से बताते हुए कहा कि जब तंबाकू के हानिकारक प्रभावों पर आमतया लोग केवल फेफड़ों के कैंसर के बारे में सोचते हैं। हालांकि तंबाकू का सेवन (सिगरेट और सिगार सहित) फेफड़ों के कैंसर के दस में से नौ मामलों का कारण बनता है, इस बात की जागरूकता जरूरी है कि तम्बाकू का उपयोग आपके शरीर में लगभग कहीं भी, मूत्राशय (ब्लैडर), रक्त और फेफड़े (एक्यूट मायलोइड ल्यूकेमिया) सहित कैंसर का कारण बन सकता है। गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स), बृहदान्त्र (कोलोन) और मलाशय (रेक्टम), अन्नप्रणाली (इसोफेगस), गुर्दे (ब्लैडर) और रेनल पेल्विस, यकृत (लिवर), फेफड़े, ब्रांकाई और श्वासनली, मुंह और गले, अग्न्याशय (पैंक्रियाज), पेट और आवाज बॉक्स (लैरिंक्स) मानव शरीर के सभी भाग हैं जिनमें टोबैको की वजह से कैंसर हो सकता है।
डॉ अनिकेत ठोके ने लोगों को तंबाकू सेवन छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से तंबाकू छोड़ने के बाद के कुछ लाभों को साझा किया। उन्होंने बताया कि 20 मिनट के बाद रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) और नाड़ी की दरं (पल्स रेट) सामान्य हो जाती है, हमारे शरीर के रक्त में ऑक्सीजन का स्तर आठ घंटे के बाद सामान्य हो जाता है, दिल का दौरा पड़ने का खतरा कम होने लगता है, 24 घंटे के बाद कार्बन मोनोऑक्साइड शरीर से बाहर निकल जाती है, स्वाद और गंध की इंद्रियों में सुधार होता है, 72 घंटे के बाद सांस लेना आसान हो जाता है, फिर हमारे शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ने लगता है। आमतया तीन से नौ महीने बाद, खांसी, सांस की तकलीफ और घरघराहट दूर हो जाती है। दिल का दौरा पड़ने का रिस्क, पांच साल बाद, धूम्रपान करने वालों की तुलना में लगभग आधा हो जाता है। दस वर्षों के बाद, फेफड़ों के कैंसर होने का रिस्क धूम्रपान करने वालों की तुलना में लगभग आधा होने की संभावना होती है।
डॉ दिवाकर पांडे ने साझा किया कि सिगरेट, सिगार और पाइप से निकलने वाले धुएं में कम से कम 70 रसायन कैंसर का कारण बन सकते हैं। जब कोई व्यक्ति उस धुएं में सांस लेता है, तो रसायन उनके ब्लड स्ट्रीम में प्रवेश करते हैं, जहां वे अपने लिए शरीर के सभी हिस्सों में जाते हैं। इनमें से कई रसायन आपके डीएनए को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं, जो यह नियंत्रित करता है कि आपका शरीर कैसे नई कोशिकाओं का निर्माण करता है और प्रत्येक प्रकार की कोशिका को अपना काम करने के निर्देशित करता है। क्षतिग्रस्त डीएनए, कोशिकाओं को उन तरीकों से बढ़ने का कारण बन सकता है जिनकी अपेक्षा नहीं की जा सकती है। इन असामान्य कोशिकाओं में कैंसर में विकसित होने की काफी संभावना होती है।
डॉ. विकास गोयल ने इस वर्ष के विश्व तंबाकू निषेध दिवस की थीम “तंबाकूः हमारे पर्यावरण के लिए खतरा” के बारे में बताते कारण बनता है, साथ ही यह पर्यावरण को में डाल रहा है। तंबाकू उत्पादन, निर्माण और माइक्रोप्लास्टिक सहित सिगरेट के टुकड़े, हुए कहा कि नष्ट कर रहा है खुपत, हमारे और ई-सिगरेट तंबाकू विश्व स्तर पर हर साल और इसके माध्यम से मानव पानी, मिट्टी, समुद्र तटों और 80 लाख से अधिक स्वास्थ्य एवं अर्थव्यवस्था शहर की सड़कों में, रसायन, लोगों की मृत्यु का को भी खतरे पॉयसन, अपशिष्ट का कारण बनता है जो कि हमारे पर्यावरण को भारी जानी पहुंचाते हैं। तंबाकू के सेवन से शरीर के लगभग हर अंग में कैंसर होने की संभावना होती है।
डॉ राकेश मिश्रा ने साझा किया कि धूम्रपान तम्बाकू सेवन के बहुत से रूपों में से एक है। सिर्फ सिगरेट पीना ही नहीं बल्कि धूम्रपान रहित तंबाकू उत्पाद, (जैसे कि चबाने वाला तंबाकू) भी कैंसर का कारण बन सकता है, जिसमें एसोफेजिएल, मुंह और गले, और अग्नाशय का कैंसर भी शामिल हैं। डॉ रमेश कोठरी एवं डॉ सतीश देवांगन आगे कहा कि इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट, स्वाद और रसायनों वाले तरल को गर्म करके एक धुंध (मिस्ट) उत्पन्न करती है, जिनमें से कई काफी हानिकारक रसायन भी होते हैं, इसीलिए लोगों को किसी भी प्रकार के तंबाकू प्रोडक्ट से दूर रहना चाहिए। इस कार्यक्रम में उपस्थित शहर के जागरूक लोगों ने कैंसर विशेषज्ञों के साथ मिलकर स्वयं को तंबाकू उत्पादों से दूर रखने और समाज के लोगों को तंबाकू के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाने का संकल्प लिया।