रायपुर (mediasaheb.com) |धरती का हरेक प्राणी बड़ी बेसब्री से बरसात का इंतजार करता है। आषाढ़ मास की घनघोर बरसात सावन की रिमझिम फुहार का लोग इंतजार करते रहे मगर बरसात नहीं हुई। वर्ष 1937 के आषाढ़ और फिर सावन माह में पानी नहीं बरसा। नदी सूखने लगी थी। कुआं, तालाब तो पहले ही सूख चुके थे। खेतों में दरार पड़ने लगी थी। पीने के पानी के लिए मारामारी होने लगी। भयावह अकाल की आशंका से लोग भयभीत हो उठे थे।
और तब जनसमूह जा पहुंचा, अयोध्या के रामानंदी महंत सालिकराम दास जी के पास जो भाटापारा में चातुर्मास के लिए ठहरे थे। महंत जी से अकाल मुक्ति के लिए उपाय पूछा तो उन्होंने तुलसीदास के रामचरितमानस की एक चौपाई कही ।
कलयुग केवल नाम अधारा, सुमिर सुमिर नर उतरहि पारा।
महंत जी ने समझाया,कि कलयुग में केवल राम का नाम लेने से सभी संकटों से मुक्ति मिल जाती है। इसलिए आप लोग ‘जय रघुपति राघव राजा राम,जय पतित पावन सीताराम महामंत्र का अखंड जाप करें, श्रीराम सब संकट हर लेंगे!
फिर क्या था..! मोहनदास मंदिर, चना मंदिर के पुजारी भगवान दास जी दीक्षित की अगुवाई में लोग जुट गए। अखंड जाप में रामलाल गुप्ता,कन्हैया लाल कारीगर ,पुत्तीलाल गुप्ता,शिव प्रसाद सोनी ,ददुआ पंडित, मन्नूलाल तिवारी सहित लोगों ने अखंड राम धुन आरंभ की। देवयोग से दो दिन बाद बारिश शुरू हो गई। ईश्वर की महिमा देख लोग झूम उठे। राम धुन थमी नहीं बारिश होती रही। लोगों के चेहरों में रौनक लौट आई।
और फिर साल दर साल “अखंड राम नाम सप्ताह” का सिलसिला चलने लगा। ईश्वरीय प्रेरणा से थह नियमित होने लगा। वरिष्ठ पत्रकार घनश्याम पुरोहित बताते हैं कि वर्तमान चना मंदिर के दूसरी ओर ‘लटुरिया मंदिर’ और पीछे ‘करिया तालाब’ के समीप एक बड़ा मैदान था,जहां तुलसी चौरा था। इस स्थान पर अस्थाई रूप से मंडप 1938 में तैयार हुआ। सन 1960 में इसे भव्य रूप प्रदान किया जो वर्तमान में है। फिर गांव-गांव की भजन मंडलियों को आमंत्रित किया गया जो शोभायात्रा में शामिल होती है।
‘जय रघुपति राघव राजा राम,जय पतित पावन सीताराम’ की अखंड राम धुन ‘रामनाम सप्ताह मंडप’ में एक सप्ताह तक चलती है। 83 बरस से हर साल भादों मास की द्वितीया से नवमीं तिथि तक संकीर्तन चलता है। सुबह समापन होता है और दोपहर से निकलती है श्री राम की शोभा यात्रा।
रथ पर राम दरबार की तस्वीर और उसकी अगुवाई करती है गांव- गांव से आई भजन मंडलियां। एक नहीं सैकड़ों की तादाद में रंग-बिरंगी अपनी पारंपरिक वेशभूषा में नाचती गाती भजन मंडलियां जब निकलती हैं अपने प्रभच राम की अगुवाई करते…! नगर के हर ओर से भजन मंडली राम की शोभायात्रा में पहुंचती है। अपनी धुन, अपने राग में भावविभोर हो नृत्य करती मंडलियां एक के पीछे एक चलती है ऐसा दृश्य देखते ही बनता है। एक अद्भुत उत्सव जिसे देखने के लिए दूरदराज से लोग आते हैं।
‘अखंड राम नाम सप्ताह” और शोभायात्रा धीरे-धीरे विशाल जन उत्सव में बदल गई, इसमें सभी धर्म जाति के लोग बिना भेदभाव आ जुटते हैं हर साल। समारोह का गुरुतर भार संभालने के लिए रामनारायण चांडक,मदन गोपाल राठी,शिव प्रसाद अग्रवाल,मीठालाल मल,दुलीचंद गांधी, जैसे लोग सामने आए। जन सहयोग से गांव -गांव से आई मंडलियों के जलपान के साथ भोजन की व्यवस्था शुरू हुई । उत्तरायण संस्था ने जुलूस के दर्शकों के लिए नाम मात्र शुल्क लेकर भोजन का इंतजाम प्रारंभ किया। इसका अनुकरण करते हुए व्यापारी संघ एवं विभिन्न समाज के लोग दर्शकों को लिए उत्तम भोजन का इंतजाम करने लगे जो आज भी चल रहा है। शोभा यात्रा के दौरान हर गली मोहल्ले में तरह-तरह की भोज्य सामग्री निशुल्क बांटी जाती है। शोभायात्रा के विशाल जनमानस को देखते हुए तमाम नामी कंपनियां भी अपने प्रचार के लिए आ जुटती हैं। जगह जगह बड़े आग्रह से दर्शकों को भोजन के लिए बुलाया जाता है।
भाटापारा के अखंड रामनाम सप्ताह को सतत चलाए रखने के लिए लोग आगे आते रहे। तुलसीराम मूंदड़ा, तारानाथ मिश्रा, प्रताप चंद अग्रवाल, गोवर्धन भट्टर, मदनलाल लाहोटी, करमचंद बाबू, मुरलीधर सेठ, माधव वाढेर, प्रभुलाल, रामप्रसाद पुरोहित आदि के सहयोग से अखंड रामनाम सप्ताह का आयोजन निर्बाध चलता रहा।
अकाल के संकट से उपजा रामनाम सप्ताह’ का अखंड संकीर्तन छत्तीसगढ़ का अनूठा जन उत्सव बन गया है। श्रीराम की शोभायात्रा में भाग लेने के लिए छत्तीसगढ़ के गांव गांव से सैकड़ों की तादाद में भजन मंडलिया भाटापारा पहुंचती हैं। एक के बाद एक सैकड़ों भजन मंडली रामधुन के साथ अगुवाई करतीं चलती है। शोभायात्रा दोपहर से शुरू होकर नगर भ्रमण कर अलसुबह रामनाम सप्ताह मंडप में समाप्त होती है। पूरा नगर गांव की भजन मंडली स्वागत करते उनका सम्मान करता है।
‘अखंड रामनाम सप्ताह’ का भव्य मंडप 1960, में तैयार हुआ। मदनलाल अग्रवाल और रमेश शर्मा ने बताया कि इसी के साथ दो दिन महिलाओं का संकीर्तन शुरू हुआ। भादों कृष्ण एकादशी से त्रयोदशी चलता है। 83 बरस से अखंड कीर्तन आज भी चला आ रहा है। धार्मिक उत्सव होते हुए भी यहां जात- पात, छुआछूत का नामोनिशान नहीं है। रामनाम सप्ताह मंडप और राम की शोभायात्रा में सभी भक्तजन सराबोर होते दिखते हैं…..।
Friday, December 13
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