मथुरा(mediasaheb.com)| जहां उत्तरी भारत में बारिश और कड़ाके की ठंढ से जन जीवन अस्तव्यस्त हो गया है वहीं बसंत पंचमी से ब्रज के मन्दिरों में किशोरी जी एवं श्यामसुन्दर की होली शुरू हो जाती है। मथुरा के अधिकांश मन्दिरों में बसंत पंचमी का त्योहार 26 जनवरी को मनाया जाएगा। वृन्दावन की बिहारी जी मन्दिर एवं सप्त देवालयों की होली मशहूर है। बांकेबिहारी मन्दिर के शयनभोग सेवा अधिकारी शंशांक गोस्वामी ने आज बताया कि मन्दिर में गुरूवार को आयोजित वसंत पंचमी से होली की शुरूआत हो जाती है। ठाकुर के कपोलों पर गुलाल लगना शुरू हो जाता है तथा बसंत पर पीली पोशाक में ठाकुर लकुटी की जगह लट्ठ लेते हैं और फेंटा बांधते है। दिन में आयोजित तीनों आरतियों में प्रसाद स्वरूप भक्तों पर गुलाल का उड़ना शुरू हो जाता है तथा अधिकांश भोग भी पीला होता है।
वृन्दावन के मन्दिरों में राधा बल्लभ मन्दिर में भी बसंत से होली शुरू हो जाती है तथा भक्तों को आरती के बाद गुलाल प्रसाद स्वरूप मिलता है। इस दिन भोग भी बसंती, श्रंगार भी बसंती और समाज गायन भी राग बसंत में होता है तो राधारमण मन्दिर के सेवायत आचार्य दिनेशचन्द्र गोसवामी के अनुसार भोग में अधिकांशतः केशर का प्रयोग होता है तथा भोग में पीले ऋतु फल का प्रयोग होता है। ठाकुर को इस दिन सरसों के फूल की माला धारण कराई जाती है। पोशाक भी वसंती होती है। संध्या समय ठाकुर जी जगमोहन में विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देते हैं। राजभोग में ठाकुर के कपोलो पर गुलाल लगाते हैं और फिर भक्तों पर यह प्रसादस्वरूप डाला जाता है।
वृन्दावन के सप्त देवालयों में मशहूर राधा दामोदर मन्दिर में बसंत पंचमी से गौर पूर्णिमा तक संध्या आरती बसंत राग में गाई जाएगी। मन्दिर के सेवायत आचार्य बलराम गोस्वामी के अनुसार इस दिन ठाकुर को बसंती पोशाक धारण कराकर बसंती भोग लगाया जाता है। ठाकुर के कपोलों में गुलाल लगाकर उसे उनके श्रीचरणों में अर्पित करते हैं और बाद में यही भक्तों पर डाला जाता है।
लाडली मन्दिर बरसाना में बसंत से समाज गायन शुरू हो जाता है जो होली तक चलता है। मन्दिर के सेवायत रास बिहारी गोस्वामी के अनुसार इस दिन बसंती बंगला बनता है। पूरे मन्दिर को पीले कपड़े से ढ्का जाता। श्यामाश्याम इस दिन से पहले गुलाल की होली खेलते हैं बाद में प्रसादस्वरूप इसे भक्तों के मत्थे पर लगाया जाता है। इस मन्दिर में शिवरात्रि से भक्तों पर गुलाल डालना शुरू हो जाता है। उधर दाऊजी मन्दिर बल्देव में आज ही वसंत मनाया जा रहा है तथा आज पहले रेवती मां और दाऊजी ने गुलाल से होली खेली और बाद में किशोरी जी और श्यामसुन्दर ने खेली तथा अंत में प्रसादस्वरूप भक्तो पर यही गुलाल डाला गया । मन्दिर के रिसीवर राम कठोर पाण्डे ने बताया कि आज से 45 दिवसीय होली महोत्सव शुरू हो गया है। 42वें दिन मशहूर हुरंगा होगा तथा इसके तीन दिन बाद तक रंग पंचमी मनाई जाएगी।
इसी श्रंखला में भारत विख्यात द्वारकाधीश मन्दिर में भी बसंत पंचमी से होली की शुरूवात हो जाती है। श्यामाश्याम द्वारा होली खेलने के बाद राजभोग में इसे भक्तों पर डाला जाता है। प्राचीन केशवदेव मन्दिर मल्लपुरा में बसंतोत्सव मन्दिर के पाटोत्सव के रूप में मनाया जाता है । मन्दिर के सेवायत बिहारीलाल गोस्वामी के अनुसार इस दिन ठाकुर का 56 भोग लगता है तथा पीला हेाता है। भागवत सप्ताह के समापन के बाद आज हवन का अयोजन किया गया तथा वसंत को संतो का भंडारा एवं प्रसाद वितरण होगा । ठाकुर के श्रीचरणों में गुलाल इसी दिन से रखा जाता है जो भक्तों के मस्तक पर प्रसादस्वरूप लगाया जाता है। अधिकांश मन्दिरों में इसी दिन प्रतीक के रूप में होली का ढांड़ा गाड़ा जाता है। कुल मिलाकर इसी दिन से ब्रज में होली का धूम धड़ाका शुरू हो जाता है जो 50 दिन तक चलता है।(वार्ता)
Tuesday, July 1
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