भिलाई(mediasaheb.com)| 12 वीं बोर्ड में सीजी टॉपर दोस्त की बात सुनकर डॉक्टर बनने का सपना सजाने वाले मुंगेली जिला के छोटे से गांव लओदा निवासी डॉ. कमलकांत साहू अपने गांव के आज पहले डॉक्टर हैं। गांव के लोग अपने बच्चों को डॉ. साहू की सफलता की कहानी सुनाकर उनके जैसे बनने के लिए बच्चों को प्रेरित करते हैं लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब डॉक्टर साहू ने असफलता मिलने पर अपना कैरियर ही बदलने की ठान ली थी। 12 वीं बोर्ड के बाद एक साल ड्रॉप लेकर जब उन्होंने मेडिकल एंट्रेस की तैयारी शुरू की तो उस साल उनका सलेक्शन नहीं हुआ । इस असफलता का उनके जेहन पर बड़ा असर हुआ और वे शिक्षाकर्मी और बैंक के एग्जाम की तैयारी करने लगे। साथ-साथ मेडिकल एंट्रेस के लिए भी पढ़ते रहे। दूसरे साल फिर एमबीबीएस की सीट नहीं मिली ऐसे में उन्होंने वेटरनरी कॉलेज ज्वाइन कर लिया। वेटरनरी की पढ़ाई करते हुए बाकी स्टूडेंट को देखकर उनका मन फिर मेडिकल एंट्रेस की ओर फोकस किया और घर वालों की बिना बताए उन्होंने वेटरनरी कॉलेज छोड़ दिया। ये जानते हुए भी कि घर वाले उनके इस फैसले से काफी नाराज होंगे मेडिकल एंट्रेस की तैयारी में जुटे रहे। फाइनली तीसरे ड्रॉप में उन्होंने सीजी पीएमटी टॉप 30 में रैंक लाकर ये साबित कर दिया कि दिल में जुनून हो तो राही अपनी मंजिल ढूंढ ही लेता है। अपने स्टूडेंट लाइफ का जिक्र करते हुए डॉ. साहू कहते हैं कि जीवन में सही समय पर सही मागदर्शन मिलना बहुत जरूरी है। वर्ना कई स्टूडेंट डिडेकेशन के बावजूद बीच में भटक कर दूसरी दिशा में चलने की कोशिश करते हैं।
डॉ. साहू ने बताया कि उनकी स्कूलिंग सरकारी स्कूल से हुई है। उस वक्त दिमाग में केवल यही फिट रहता था कि जो एग्जाम में आता है वहीं पढ़कर अच्छे माक्र्स लाने हैं। बेसिक स्टडी मायने नहीं रखती थी। जब पहली बार मेडिकल एंट्रेस के लिए किया तब समझ आया कि सागर में तैरने के लिए बेसिक स्ट्रांग करना बहुत जरूरी है। आधा साल बेसिक और आधा साल सिलबेस को समझने में निकल गया। पहले ड्रॉप में जब एग्जाम दिया तो रैंक भी काफी पीछे आया। सालभर मेहनत के बाद भी असफलता देखकर मैं काफी निराश हो गया। इसलिए दूसरे साल मेडिकल एंट्रेस के साथ शिक्षाकर्मी और बैंक के एग्जाम की तैयारी में जुट गया। सेंकंड ड्रॉप में वेटरनरी की सीट मिली तो पैरेंट्स के कहने पर वेटरनरी कॉलेज ज्वाइन कर लिया। सपना एमबीबीएस का था ऐसे में वेटरनरी की पढ़ाई में मन नहीं लग रहा था। बीच सेशन मैंने आखिरकार वेटरनरी कॉलेज छोड़ दिया और फिर से मेडिकल एंट्रेस की तैयारी में जुट गया। तीसरे ड्रॉप में आखिरकार सीजी पीएमटी क्वालिफाई कर लिया। अगर मैं जीवन में रिस्क नहीं लेता तो शायद कभी डॉक्टर नहीं बन पाता। इसलिए जो लोग अपने जीवन में कुछ करना चाहते हैं उन्हें रिस्क लेने से कभी नहीं डरना चाहिए बस अपने लक्ष्य पर फोकस करना चाहिए।
सचदेवा की काउंसलिंग और टेस्ट सीरिज से मिली मदद
मेडिकल एंट्रेस की तैयारी के लिए सचदेवा को चुनने वाले डॉ. साहू ने बताया कि सचदेवा एक ऐसा कोचिंग है जहां रेगुलर हर सब्जेक्ट की क्लास होती है। यहां वीक सब्जेक्ट पर स्टूडेंट्स को अलग से टीचर्स गाइडलाइन देते हैं। स्टडी मटेरियल भी काफी अच्छा है। इसके अलावा बार-बार असफलता का स्वाद चखने वाले स्टूडेंट्स को यहां की काउंसलिंग और टेस्ट सीरिज से काफी मदद मिलती है। मंै जब निराश होता तो सचदेवा के डायरेक्टर चिरंजीव जैन सर की मोटिवेशन क्लास में कही गई बातों को याद करके अपने माइंड को स्थिर करता था। टेस्ट सीरिज में खुद की तैयारी परखने का मौका मिलता है।
नीट की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स से कहना चाहूंगा कि आप अपना टारगेट पहले से सेट करके रखे। यदि आपने एमबीबीएस तय कर रखा है तो वेटरनरी, डेंटल और बीएएमएस के बारे में न सोचें। जहां हम खुद को ऑप्शन याद दिलाते हैं वहीं हमारा ध्यान भटक जाता है और हम सोचने लगते हैं कि कम से कम कुछ है करने के लिए। माइंड को केवल एक ही लक्ष्य पर फोकस रखें। जरूरत पडऩे पर किसी मार्गदर्शक या फिर टीचर की सलाह भी ले सकते हैं। ऐसा करने से सफलता मिलने की राह थोड़ी आसान हो जाती है।