रायपुर/बिलासपुर, ( mediasaheb.com) । पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी ने सीएए और एनआरसी पर देश में अराजकता का माहौल बना दिया है। गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि विभाजन के समय पाकिस्तान में अल्पसंख्यक की संख्या पर्याप्त थी। धीरे-धीरे संख्या घटकर बहुत ही नीचे आ गयी। इसकी मुख्य वजह पाकिस्तान और बंग्लादेश में अल्पसंख्यक या तो मुसलमान बन गए या फिर पलायन कर गए। जबकि हिन्दुस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी बढ़ी है। जाहिर सी बात है कि भारत में अल्पसंख्यक सुरक्षित हैं लेकिन पाकिस्तान और बंग्लादेश, अफगानिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ बहुत ज्यादती हो रही है। इसलिए सीएए की जरूरत पड़ी। इससे देश के किसी भी नागरिक के साथ अन्याय नहीं होगा।
पूर्व सीएम रमन सिंह ने बताया कि आजादी के समय भारत में मुस्लिम आबादी 7 प्रतिशत थी। 13 प्रतिशत बढ़ गयी है। जबकि पाकिस्तान में हिन्दुओं की आबादी 23 प्रतिशत थी। घटकर 3.7 प्रतिशत हो गयी है। सवाल उठता है कि आखिर पाकिस्तान के अल्पसंख्यक गए कहां। या तो उनका धर्मांतरण किया गया है या फिर पलायन कर कहीं चले गए हैं। यह सोचनीय विषय है। कारण जानना जरूरी है। नेहरू और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने 1950 में समझौता किया था कि अल्पसंख्यकों का संरक्षण किया जाएगा। लेकिन पाकिस्तान ने समझौते का पालन नहीं किया। जबकि हिन्दुस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव नहीं किया गया। बंग्लादेश में भी यही हुआ। महात्मा गांधी ने भी कहा है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ अन्याय होने पर भारत सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि उनका ध्यान रखे। खुद मनमोहन सिंह ने साल 2003 में तात्कालीन गृहमंत्री आडवाणी से कहा था कि शरणार्थियों को नागरिकता दी जाए।
सवाल जवाब के दौरान डॉ.रमन सिंह ने कहा कि NRC और सीएए दो अलग अलग मामला है।
डॉ रमन सिंह ने कहा कि एनआरसी आसाम के लिए 1971 में लाया गया। यह कानून क्षेत्रीय अंसतुलन के लेकर आया था। यहां असमी और बंग्ला भाषाइयों को लेकर लाया गया था। बाद में राजीव गांधी ने इस पर काम किया। बाद में मनमोहन सिह भी समझौता करते हैं। फिर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अंतिम आदेश तैयार होता है। दरअसल एनआरसी घुसपैठियों के खिलाफ लाया गया है, ना की शरणार्थियों के खिलाफ।
एक सवाल के जवाब में डॉ.रमन सिंह ने बताया कि कांग्रेस पार्टी सीएए के खिलाफ दुष्प्रचार कर रही है। दरअसल सीएए लाने का मुख्य मकसद यही है कि पाकिस्तान से मजबूरी में भागकर आए अल्पसंख्यकों को नागरिकता ही देना है। यदि इन अल्पसंख्यकों भारत नागरिकता नहीं देगा तो कौन देगा। क्या एनपीए और एनआरसी अल्पसंख्यकों के खिलाफ पहला चरण है। रमन सिंह ने कहा इस गलतफहमी से दूर रहें। ऐसा कुछ नहीं है।
दरअसल एनआरसी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आसाम के लिए लाया गया। नागरिकों को रजिस्टर्ड करने का काम है। रमन सिंह ने कहा कि नागरिकता की एक प्रक्रिया होती है। उसका पालन करना होता है। सीएए का कांग्रेस विरोध का क्या कारण है, सवाल के जवाब में रमन ने कहा कि दरअसल कांग्रेस का अस्तित्व देश में समाप्त हो गया है। अपने वजूद को बचाने के लिए कांग्रेस ऐसे मुद्दे को लेकर जनता को भड़का रही है। रमन सिंह ने बताया कि भारत में धर्म के आधार पर राजनीति नहीं होती है। पाकिस्तान में होता है। आजादी के बाद पाकिस्तान ने अपने को इस्लामिक देश बना लिया। भारत ने धर्मनिरपेक्ष और पंथनिरपेक्ष का रास्ता चुना। आज भी यह लागू है।
एक सवाल पर रमन सिंह ने कहा कि किसी भी भारतीय मुसलमान को नागरिकता बताने की जरूरत नहीं है। यह भ्रम कांग्रेस ने फैलाया है। 130 करोड़ भारतीयों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। सीएए लाने का मूल उद्देश्य पाकिस्तान, बंग्लादेश अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों को न्याय देना है। जो 1947 के बाद वही रहे और आज मजबूरी की जिन्दगी जी रहे हैं। यदि नागरिकता मांगते हैं तो शर्तों के साथ उन्हें भारत की नागरिकता दी जाएगी। रमन सिंह ने बताया कि यह भ्रम है कि देश में बाहरी लोगों के लिए डिटेंशन सेन्टर बनाया गया है। (हि.स.)