नई दिल्ली, (mediasaheb.com) विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पहले संबोधन के अवसर पर उन्हें ‘मुक्तभाषण’ देने की बजाय लिखित भाषण देने के लिए बाध्य कर दिया था। मोदी ने सिने कलाकार अक्षय कुमार को दिए साक्षात्कार में सितंबर 2014 में हुई एक घटना का पहली बार खुलासा किया। अक्षय कुमार ने प्रधानमंत्री से पूछा था कि विश्व मंच पर अपने पहले संबोधन के समय क्या वह नर्वस थे। मोदी ने कहा कि वह नर्वस नही थे इसके विपरीत आत्मविश्वास से भरे हुए थे। भारत से न्यूयार्क के लिए रवाना होते समय उन्होंने तय किया था कि वह लिखित भाषण पढ़ने की बजाय मुक्त रूप से भाषण करेंगे। उनके इस इरादे का किसी अधिकारी ने विरोध भी नही किया। न्यूयार्क पहुंचने के बाद वहां पहले से मौजूद सुषमा स्वराज ने मोदी से उनके प्रस्तावित भाषण के बारे में पूछा। मोदी ने कहा कि वह सहज रूप से मुक्त भाषण देंगे। इस पर सुषमा ने कहा कि ऐसा नही हो सकता। दोनों नेताओं के बीच भाषण के स्वरुप को लेकर आधा घंटा तक वाद-विवाद हुआ।
सुषमा लिखित भाषण पर अड़ी रहीं और उन्होंने मोदी से कहा कि यहां आपकी नहीं चलेगी। आपको लिखित भाषण ही पढ़ना होगा। बाद में मोदी ने भाषण के कुछ बिंदुओं की जानकारी दी जिसके आधार पर लिखित भाषण तैयार किया गया और मोदी ने उसे पढ़ा। लिखित भाषण पढ़ने की आदत न होने के बावजूद प्रधानमंत्री को सुषमा की सलाह के अनुसार ही ऐसा करना पड़ा। साक्षात्कार में मोदी के इस खुलासे के बाद सुषमा स्वराज ने कई ट्वीट के जरिए उनका आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी 2014 की बात आपको जस की तस याद रही और अक्षय कुमार को इंटरव्यू देते समय आपने उसका उल्लेख किया। यह आपका बड़प्पन है। मैं हृदय से आपकी आभारी हूं। सुषमा ने कहा कि प्रधानमंत्री जी, आपका वो भाषण तो इतिहास में दर्ज हो गया है क्योंकि इसी भाषण में आपने यह इच्छा प्रकट की थी कि 21 जून के दिन को संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किया जाना चाहिए । उन्होंने कहा कि आपके इस भाषण के ठीक 75 दिन बाद 177 देशों के हस्ताक्षर के साथ संयुक्त राष्ट्र द्वारा भारत का यह प्रस्ताव निर्विरोध पारित हो गया। इतनी कम अवधि में पास होने वाला यह पहला प्रस्ताव है और इसी प्रस्ताव के पारित होने के कारण आज भारतीय योग की गूंज पूरे विश्व में सुनाई दे रही है।(हि.स.)।