नई दिल्ली, (mediasaheb.com) देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और सतत विकास के लिए ब्लू इकोनॉमी (#Blue economy ) की आवश्यकता बताने वाली एक रिपोर्ट भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) ने जारी की। फिक्की सभागार में शुक्रवार को आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री और संसदीय मामले के राज्यमंत्री वी. मुरलीधरन ने यह रिपोर्ट जारी की। इस अवसर पर फिक्की के महासचिव मनीष सिंघल तथा राजीव भाटिया भी विशेष तौर पर मौजूूद थे।
फिक्की के महासचिव ने ब्लू इकोनॉमी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसका मकसद तीन तरफ से समुद्र से घिरे इस देश की लंबी समुद्रीय सीमाओं का भरपूर उपयोग करना हमारी रिपोर्ट का उद्देश्य है। इसी के माध्यम से देश के विकास में तेजी लाने के साथ-साथ साल 2024 तक भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य.हासिल किया जा सकता है। गौरतलब है कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के अपने पहले बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
ने ब्लू इकोनॉमी की चर्चा की थी। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संबोधनों में अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के ब्लू इकोनॉमी को विकसित करने की बात कही है।
ब्लू इकोनॉमी पर विस्तार से चर्चा करते हुए मनीष सिंघल ने कहा कि इसमें देश के 9 राज्यों को शामिल किया गया है, जिसकी सीमा समुद्री तटों से जुड़ी हैं।
खासकर तौर पर केरल, गुजरात और आंध्रप्रदेश को इसमें शामिल किया जाएगा। साथ ही ब्लू इकोनॉमी
को विकसित करने के लिए दुनिया के उन देशों को भी शामिल किया जाएगा, जिसके साथ भारत के व्यापार होता है। इन देशों में नार्वे, जर्मनी और साउथ अफ्रीका जैसे देश प्रमुख
हैं। इन देशों के साथ मिलकर भारत एशियन और ब्रिक्स जैसे समिट का भी आयोजन करेगा।
मनीष सिंघल ने ब्लू इकोनॉमी के बारे में विस्तारपूर्वक बताते हुए कहा कि जिस तरह से पी. जे. कुरियन ने स्वेत क्रांति के जरिए
देश को दूध के मामले में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बेहतर प्रयास किया था। उसी
तरह प्रधानमंत्री मोदी के विजन को आगे बढ़ाते हुए ब्लू इकोनॉमी को मेरिन टूरिज्म, क्रूज टूरज्मि, ई-कॉमर्स, फिशरीज, मेरिन बायोटेक्नोलॉजी, मेरिन टूरिज्म, मेरिन रेन्यूबल एनर्जी, शिपिंग पोर्ट एंड लॉजिस्टिक, मेरिन कंस्ट्रक्शन, मेरिन कॉमर्स एंड आईटीसी, मेरिन मैन्यूफैक्चरिंग, मेरिन एजुकेशन और रिसर्च
के जरिए हासिल किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि ब्लू इकोनॉमी न केवल भारत के लिए सामरिक बल्कि आर्थिक लिहाज से बेहद फायदेमंद
है। भारत के कुल व्यापार का करीब 90 फीसदी हिस्सा समुद्री मार्ग से ही होता है। ब्लू इकोनॉमी के तहत
अर्थव्यवस्था समुद्री क्षेत्र पर आधारित होती है, जिसमें पर्यावरण की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए डायनैमिक बिजनेस
मॉडल तैयार किए जाते हैं। दरअसल हमारे पास 7500 किलोमीटर लंबी समुद्री सीमा है, इसके ऊपर 2 मिलियन स्क्वॉयर किलोमीटर का एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन
है। इसके अलावा 1300 से ज्यादा आइसलैंड व साथ ही नदियों का नेटवर्क भी है। (हि.स.)।