रायपुर, (mediasaheb.com) कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर परवानी, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष मगेलाल मालू, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, प्रदेश महामंत्री जितेंद्र दोशी, प्रदेश कार्यकारी महामंत्री परमानंद जैन, प्रदेश कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं प्रदेश प्रवक्ता राजकुमार राठी ने बताया कि कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) द्वारा दायर एक रिट याचिका पर, RJ उच्च न्यायालय की जोधपुर पीठ ने आज सरकार की एफडीआइ नीति के उल्लंघन के लिए अमेज़न और फ्लिपकार्ट को नोटिस जारी किए। कोर्ट ने यूनियन ऑफ इंडिया को भी नोटिस जारी किया है। सुनवाई की अगली तारीख 15 अक्टूबर है, जिसके द्वारा सभी पक्षों को नोटिस का जवाब प्रस्तुत करना होगा। जस्टिस दिनेश मेहता ने मामले की सुनवाई की। कैट की ओर से अधिवक्ता राजेंद्र सारस्वत और अबीर रॉय कोर्ट में पेश हुए।
कैट ने अपनी रिट याचिका में अमेज़ॅन और फ्लिपकार्ट द्वारा एफडीआई नीति के निरंतर और बार-बार उल्लंघनों पर ज़ोर डाला और उनके द्वारा एफडीआई नीति के उल्लंघन को दोहराया है । कैट ने याचिका में कहा कर क्योंकि ये कम्पनियाँ गहरी छूट, लागत से भी कम मूल्य पर माल देना और हानि फंडिंग में संलग्न हैं, और इन्वेंट्री को नियंत्रित कर रहे हैं, जिससे उनका मार्केट प्लेस इन्वेंट्री आधारित मॉडल के रूप में स्थापित हो रहा है, जो एफडीआई नीति का स्पष्ट उल्लंघन है। कैट ने यह भी कहा कि ये ई-कॉमर्स कंपनियां गहरी छूट दे रही हैं, जो एक तरह से बाज़ार में कीमतों को प्रभावित कर रही हैं जो एफडीआई नीति के तहत फिर से निषिद्ध हैं।
कैट ने यह मुद्दा भी उठाया कि चूंकि ये ई-कॉमर्स कंपनियां इन्वेंट्री के मालिक नहीं हैं, इसलिए वे अन्य व्यक्तियों के स्वामित्व वाले सामान पर छूट की पेशकश कैसे कर सकते हैं। कैट ने आगे कहा कि ये ई कॉमर्स कंपनियां एफडीआइ नीति को बहुत खुले तौर पर दरकिनार कर रही हैं, और अधिकारियों को शिकायत करने के बावजूद उनके खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। नीति के उल्लंघन में ये ई-कॉमर्स कंपनियां बाज़ार में एक असमान प्रतिस्पर्ध के वातावरण का निर्माण कर रही हैं जो ग़ैर वाजिब है । एफडीआई नीति के तहत जो कुछ भी निर्धारित किया गया है, ये ई-कॉमर्स कंपनियां अपनी ठीक उसके उलट अपनी व्यावसायिक गतिविधियाँ चला रही हैं।
सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने नोटिस जारी किया जिसका अर्थ यह होगा कि अब इन कम्पनियों को न्यायालय को संतुष्ट करना होगा कि उनका व्यापारिक संचालन नीति के अनुरूप है।


