मुंबई, (mediasaheb.com) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को रेपो रेट में 0.35 फीसदी की कटौती की है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अब तक किसी भी गवर्नर ने इतनी कटौती नहीं की है। आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए रेपो रेट में कटौती का फैसला किया गया है। डिमांड कंडिशन और इनवेस्टमेंट कंडिशन को ध्यान में रखते हुए रेपो रेट 0.35 फीसदी घटाकर 5.40 फीसदी कर दिया गया है। यह रेपो रेट नौ साल के निचले स्तर पर है।
गवर्नर दास ने कहा कि इनकमिंग डेटा और आर्थिक स्थिति के आधार पर अगली एमपीसी की बैठक में कटौती पर विचार किया जा सकता है। रेपो रेट में इस कटौती का ज्यादा असर एनबीएफसी और बैंकों को मिलेगा। बैंकों को उम्मीद है कि अगली बैठक में रेपो रेट में कटौती की ज्यादा गुंजाइश है। इन सब के बीच शेयर बाजार के साथ ही भारतीय रुपया भी अब तक के सबसे निचले स्तर तक लुढ़क चुके हैं।
आर्थिक स्थिति पर कटौती पर फैसला
उल्लेखनीय है कि आरबीआई की मौद्रिक नीतिगत समीक्षा बैठक के बाद बुधवार को गवर्नर शक्तिकांता दास ने रेपो रेट में 0.35 बेसिस अंक की कटौती मौजूदा आर्थिक स्थिति को देखकर की है। आऱबीआई लगातार चौथी द्वि-मासिक बैठक में अब तक कुल 110 बेसिस प्वाइंट तक कटौती कर चुका है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि आऱबीआई का ध्यान एनबीएफसी, लघु उद्योग व अन्य सेक्टर पर है। अगर लक्षित सेक्टरों में भविष्य में ग्रोथ दिखाई देती है और यह ग्रोथ स्थाई रहेगी, तो आरबीआई आगे रेट में कोई कटौती नहीं करेगा। अगर इन सेक्टरों में ग्रोथ नहीं आती है तो आरबीआई फिर से दर कटौती कर सकता है।
बैंकों ने दिया तोहफा
वित्त वर्ष 2019-20 की तीसरी द्वि-मासिक मौद्रिक नीति की बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक के रेपो रेट में कटौती करने के बाद देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने ग्राहकों को तोहफा दिया है। एसबीआई ने मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट (एमसीएलआर) में 0.15 फीसदी की कटौती की है। नई दरें 10 अगस्त से लागू होंगी। इसके अलावा एमसीएलआर की दर एक साल के लिए 8.40 फीसदी से घटकर अब 8.25 फीसदी हो जाएगी। देश के सबसे बड़े निजी बैंक एचडीएफसी बैंक ने हालांकि मंगलवार को आरबीआई की मौद्रिक नीति की घोषणा से पहले ही अपने सभी अवधि के कर्ज के लिए ब्याज दरों में 0.10 फीसदी की कमी कर दी थी। बताया जा रहा है कि ग्राहकों को रेपो रेट में कमी का फायदा नहीं दिए जाने से नाराजगी बढ़ रही है।
होम – ऑटो लोन होंगे सस्ते
बैंक का लोन अप्रैल 2019 से अब तक 0.35 फीसदी सस्ता हो गया है। होम और ऑटो लोन लेने वालों को फायदा मिलेगा। इससे पहले जुलाई में ही भारतीय स्टेट बैंक ने अलग-अलग परिपक्वता अवधि के ऋणों पर ब्याज दर में 0.05 फीसदी की कमी की थी। एक साल के कर्ज पर ब्याज दर को 8.45 फीसदी से कम करके 8.40 फीसद कर दिया था। देश के सबसे बड़े ऋणदाता एसबीआई सहित कई बैंकों ने भी अपनी उधारी दरों में मामूली कमी की है।
बाजार को कटौती की उम्मीद
बाजार को लग रहा है कि अबकी बार ज्यादा मिला है तो आगे चलकर इसमें 0.25 प्रतिशत से कम की कटौती भी हो सकती है। कारोबारियों का मानना है कि मार्च 2020 तक रेपो रेट पांच प्रतिशत तक के निचले स्तर तक पहुंच सकता है। हालांकि कई कारोबारियों को इस स्तर से भी नीचे रेपो रेट के जाने की आस है।
घर खरीदारों और कॉर्पोरेट के लिए लाभदायकद बया कंपनी के निदेशक रोहित खरेच ने कहा कि बुधवार को आरबीआई ने जो रेपो रेट में कटौती का फैसला किया है, वह अब तक का ऐतिहासिक कदम है। आरबीआई के इस कदम से उद्योग सेक्टर को गति मिलेगी। घर खरीदारों और कॉर्पोरेट सेक्टर के लिए भी यह लाभदायक फैसला साबित होगा। इसके अलावा कर्जदाताओं के साथ ही बैंकों के पास नया अवसर उपलब्ध होगा। इससे रियल इस्टेट और अन्य सेक्टर में आई मंदी से उबरने व इस सेक्टर को पुनर्जीवित करने में मदद मिलेगी।
मध्य आय वर्ग पर पड़ेगा सकारात्मक प्रभाव
गोदरेज अप्लायंसेज के कार्यकारी उपाध्यक्ष और बिजनेस हेड कमल नंदी ने कहा कि रेपो रेट रिवीजन का अनुमान पहले ही लगाया गया था। मौजूदा स्थितिय़ों को देखते हुए रेपो रेट में भारी कटौती की गुंजाइश थी। आरबीआई ने 35 बेसिस प्वाइंट की जो कटौती की है, उसका उद्योग जगत की ओऱ से स्वागत किया जाना चाहिए। रेपो रेट में लगातार चौथी बार संशोधित किया गया है। अप्रैल 2010 से रेपो दर सबसे कम पर पहुंच गया है। अर्थव्यवस्था में आई मंदी से निबटने में उद्योग सेक्टर को मदद मिलेगी। रेपो दर में कटौती से मध्य आय वर्ग पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। सिस्टम में उच्च तरलता होगी। बैंकों से अपेक्षा करते हैं कि वे ब्याज दर में कटौती का फायदा सभी उपभोक्ताओं को दें। इससे डिस्पोजेबल आय में वृद्धि होगी और उपकरणों सहित समग्र खपत में वृद्धि होगी।
निर्यात सेक्टर को प्रोत्साहन मिलेगा
ऑल इंडिया एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज (एआईएआई) के अध्यक्ष विजय कलंत्री ने कहा कि रेपो में 35 बेसिस अंकों की कटौती की गई है। रेपो रेट 5.4 फीसदी तक के स्तर पर पहुंच गया है। इससे देश की गिरती अर्थव्यवस्था को संभालने के साथ ही उद्योग सेक्टर में आई मंदी को रोकने में भी मदद मिल सकेगी। हालांकि रिज़र्व बैंक ने अर्थव्यवस्था में सात फीसदी की वृद्धि दर को घटाकर 6.9 फीसदी का संकेत दिया है। इससे केंद्र सरकार के अनुमानों को झटका लगा है। आरबीआई का यह फैसला साबित करता है कि बैंकों को सकारात्मक कदम उठाते हुए व्यापार और उद्योगों सेक्टर को कर्ज वितरण करने पर विचार करना होगा। एमएसएमई सेक्टर के लिए ब्याज दरों में एकरूपता होनी चाहिए। बड़े उद्योगों की तुलना में एमएसएमई सेक्टर के लिए ब्याज दर दो फीसदी कम है। निर्यात और आयात सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए आरबीआई का यह फैसला लाभदायक होगा। निर्यात सेक्टर को रिवाइव किया जा सकेगा।
बाजार और रुपया धड़ाम
रिजर्व बैंक की ओर से रेपो रेट में बड़ी कटौती के फैसले के कुछ ही मिनट के भीतर भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले 70.99 के निचले स्तर तक गिर गया। भारतीय शेयर बाजार भी बुधवार के कारोबार के दौरान ऊंचाई से 494.22 अंक नीचे तक लुढ़क गया। कारोबारी सत्र के पहले हाफ में शेयर बाजार में 100 से ज्यादा अंकों की तेज उछाल दर्ज की गई थी। लेकिन जैसे ही रेपो रेट में कटौती की घोषणा हुई, बाजार -286.35 अंक की भारी गिरावट में चला गया। मंगलवार को शेयर बाजार 277 अंकों की बढ़त बनाने में सफल रहा था। निफ्टी भी पहले हाफ तक हरे निशान में कारोबार कर रहा था, लेकिन बाद में यह उच्च स्तर से 139.75 अंक फिसलकर लाल निशान में चला गया। निफ्टी में 93 अंकों की गिरावट दर्ज की गई है। (हि.स.)।