सिम्स में इलाज के बाद अब 26 बच्चे मां की सूनी गोद में
बिलासपुर (mediasaheb.com) | छत्तीसगढ़ में बिलासपुर जिले के साथ ही मुंगेली, कोरबा, जांजगीर चांपा में कहीं भी लावारिस नवजात मिले तो उसका सहारा बनकर सिम्स की टीम परवरिश में जुट जाती है। अब तक 26 अनाथ बच्चों का इलाज कर स्वस्थ किया है। छह साल में लावारिस हालत में रेलवे ट्रैक, खेत, कूड़ेदान में गंभीर हालत में बच्चे मिले। सिम्स के शिशु रोग विभाग में स्थित एनआईसीयू में लावारिस और अनाथ बच्चों के लिए अच्छा कार्य किया जा रहा है। शिशु रोग विभागाध्यक्ष ने बताया कि 6 साल में करीब 30 नवजातों को संभाग के विभिन्न जिलों से लाकर सिम्स में भर्ती कराया गया।
चार बच्चों ने लाने के दौरान तोड़ दिया दम
- लावारिस हालत में मिले अधिकांश बच्चों में इंफेक्शन के साथ ही उनकी हालत बहुत गंभीर थी। सिम्स में 30 बच्चे भर्ती हुए जिनमें से हमने 26 बच्चों को नया जीवन दिया। लेकिन चार बच्चों ने सिम्स लाने या यहां पहुंचने के दौरान दम तोड़ दिया। हमें यह अफसोस कि हम मानवता के नाते उन चार बच्चों को बचा नहीं पाए। यह लगन अन्य लोगों के लिए भी प्रेरणा स्रोत हैं। लावारिस बच्चों की परवरिश कर उन्हें परिवार से जोड़ा है। विभागाध्यक्ष डॉ. राकेश के साथ ही इस कार्य में चिकित्सक डॉ. समीर जैन, इंचार्ज पिंकी दास के स्टाफ नर्सों की टीम अपना सहयोग दे रही हैं।
- स्वस्थ बच्चों को मातृछाया भेजा गया सिम्स ने लावारिस हालत में नवजात बच्चों का इलाज और देखभाल करने के बाद चाइल्ड के माध्यम से मातृछाया को दिया। सिम्स से 6 साल में 26 बच्चे स्वस्थ होकर मातृछाया में गए। यहां से बच्चों के गोद लेने की प्रक्रिया होती है। इन स्वस्थ बच्चों को मातृछाया से निसंतान दंपती प्रक्रिया पूरी करने के बाद अपने घर ले जाते हैं। सिम्स में वर्ष 2019 में सबसे अधिक 6 लावारिस बच्चों का इलाज और देखभाल की गई। यहां पर डॉक्टरों की टीम के साथ स्टाफ ने बच्चों ने देखभाल में अपना सहयोग दिया।