नई दिल्ली, ( mediasaheb.com) । सुप्रीम कोर्ट केरल के सबरीमाला मंदिर जाने से रोकी गई एक्टिविस्ट ( #Activist ) बिंदु अम्मिनी की याचिका पर 13 दिसम्बर को सुनवाई करेगा। चीफ जस्टिस एस ए बोब्डे की अध्यक्षता वाली बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली इस बेंच के दूसरे सदस्य जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्य कांत हैं ।
पिछले 5 दिसम्बर को अम्मिनी की तरफ से वकील इंदिरा जयसिंह ने चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच से कहा था कि जब अम्मिनी मंदिर गई थीं तो उन पर हमला हुआ। पुलिस ने मंदिर के अंदर जाने में मदद नहीं की। चीफ जस्टिस ने कहा कि पिछले साल का फैसला अंतिम नहीं है। मसला बड़ी बेंच में जा चुका है। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने हर आयु की महिला को वहां जाने की इजाज़त दी थी।
याचिका में कहा गया है कि सबरीमाला मामले पर दाखिल रिव्यू पिटीशंस पर सुप्रीम कोर्ट के 14 नवम्बर के फैसले के बाद केरल सरकार ने 10 से 50 साल तक की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश नहीं करने दे रही है। अम्मिनी ने कहा है कि जब वो पिछले 26 नवम्बर को कोच्चि सिटी पुलिस कमिश्नर के यहां मंदिर में प्रवेश के लिए सुरक्षा की मांग करने गई थी तो उस पर कोई तीखा स्प्रे फेंका गया था। अम्मिनी ने 26 नवम्बर को तृप्ति देसाई और सरस्वती महाराज के साथ मंदिर में जाने की योजना बनाई थी।
याचिका में कहा गया है कि पुलिस सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों को नजरअंदाज कर रही है। 14 नवम्बर को सुप्रीम कोर्ट ने मामला बड़ी बेंच को भेजने का आदेश दिया था जबकि केरल सरकार ने यह कहते हुए महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने पर रोक लगा दी कि सुप्रीम कोर्ट के पहले के आदेश पर रोक है। राज्य सरकार के इस रुख से असामाजिक तत्वों को महिलाओं को रोकने का मौका मिल रहा है। पुलिस सुरक्षा नहीं होने की वजह से किसी भी महिला को मंदिर में प्रवेश करना मुश्किल कार्य है।
उल्लेखनीय है कि पिछले 14 नवम्बर ( #14 November ) को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को बड़ी बेंच को रेफर कर दिया था। तीन-दो के बहुमत वाले फैसले में कहा गया है कि कि 7 सदस्यीय संविधान बेंच सिर्फ सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश से जुड़े मामले की सुनवाई नहीं करेगी बल्कि वो मस्जिदों और दरगाहों में मुस्लिम महिलाओं के प्रवेश और पारसी महिलाओं के खतना जैसी प्रथा पर भी सुनवाई करेगी। (हि.स.)