रायपुर , (mediasaheb.com )कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंड़िया ट्रेडर्स (कैट) (#CAIT )के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, प्रदेश महामंत्री जितेंद्र दोशी, प्रदेश कार्यकारी महामंत्री परमानंद जैन, प्रदेश कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं प्रदेश प्रवक्ता राजकुमार राठी ने बताया कि केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को आज भेजे गए पत्र में ई-कॉमर्स कंपनियों को वैश्विक आर्थिक आतंकवादी और आर्थिक घुसपैठिए”, कर वंचक एवं देश की एफडीआइ (#FDI )नीति एवं कानून(#LAW ) का घोर उल्लंघन कर्ता बताते हुए काॅन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने श्री गोयल ऐसी से ई-कॉमर्स के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की। वे कंपनियाँ जो एफडीआई नीति का पालन नहीं करती हैं और भारत में अपने ई-कॉमर्स व्यवसाय के संचालन में अनुचित, अनैतिक और दुर्भावना से व्यापार कर रही हैं। कैट ने ई कॉमर्स पॉलिसी, नेशनल रिटेल पॉलिसी, ई कॉमर्स लोकपाल के गठन और रिटेल नियामक प्राधिकरण के गठन की माँग की है ।
श्री पीयूष गोयल को लिखे पत्र में कैट ने इस बात पर बहुत आपत्ति जताई कि एमएसएमई मंत्रालय ने छोटे खुदरा विक्रेताओं को ई कॉमर्स से जोड़ने लिए कुछ प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ हाथ मिलाने का इरादा किया है, जिसके लिए मंत्रालय उन्हें वित्तीय सहायता भी प्रदान करेगा। कैट ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार उन कंपनियों के साथ हाथ मिला रही है जो आदतन अपराधी हैं और जिनके खिलाफ विभिन्न देशों में कई जांच शुरू की गई हैं और उन पर विभिन्न देशों में उन पर दंड भी लगाया गया है । दूसरे शब्दों में, ये वैश्विक आर्थिक आतंकवादी हैं और उनके साथ सरकार का हाथ मिलाना बेहद निराशाजनक है और देश के व्यापारी सरकार की ऐसी मिलीभगत को स्वीकार नहीं करेंगे और इसका कड़ा विरोध करेंगे।
कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी ने एफडीआई समर्थित ई कॉमर्स कंपनियों द्वारा एफडीआई नीति का अनुपालन सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता के लिए श्री गोयल के विभिन्न बयानों की सराहना की है जो उचित बाजार को सुनिश्चित करने के सरकार के इरादे को दर्शाता है और बड़े स्तर पर बराबरी की प्रतिस्पर्धा को भी सुनिश्चित करता है। बेहद अफसोस है कि इस तरह की ई कॉमर्स कंपनियां एफडीआई नीति के सभी मूल सिद्धांतों का उल्लंघन कर रही हैं और आर्थिक घुसपैठिए, कर अपराधी, सरकार की नीति के उल्लंघनकर्ता और कानून और क्रोनी कैपिटलिस्ट बन कर देश के ई कॉमर्स एवं रीटेल व्यापार को नियंत्रित करना और बाजार पर एकाधिकार करने के उद्देश्य के साथ न केवल ई कॉमर्स बल्कि रीटेल बाजार को अपने अनुकूल बनाना है।
लेकिन इसके कारण प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी का मेक इन इंडिया उनके व्यापार के तौर-तरीकों में बहुत बाधित हो रहा है घरेलू उत्पादक इन ई कॉमर्स कम्पनियों द्वारा लागत से भी कम मूल्य पर माल बेचना और गहरी छूट देने की रणनीति के साथ प्रतिस्पर्धा करने में असमर्थ हैं।
श्री पारवानी ने कहा कि श्री गोयल के कड़े बयान को बेहद रूप से नजरअंदाज करते हुए ऐसी ई-कॉमर्स कंपनियाँ खुल कर सरकार की नीति और कानून का खुलेआम उल्लंघन कर रही हैं और अब तक देश में किसी भी एजेन्सी ने इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। इन कंपनियों ने ऑफलाइन रिटेलर्स के व्यापार को बहुत नष्ट कर दिया और तबाह कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, किराना, एपरेल्स, घड़ियां, गिफ्ट आइटम, किचन अप्लायंसेज, इलेक्ट्रिकल आइटम आदि से जुड़ी हजारों दुकानें बंद हो गईं।
श्री पारवानी ने सुझाव दिया कि भारत के ई-कॉमर्स बाजार और खुदरा व्यापार को कारगर बनाने के लिए, वाणिज्य मंत्रालय को न केवल ई वाणिज्य नीति को लागू करना चाहिए, बल्कि आंतरिक व्यापार के लिए राष्ट्रीय खुदरा नीति को भी लागू करना चाहिए और जो कोई भी दोनों नीति के अधिदेश और मापदंडों का उल्लंघन करे उसके खिलाफ कार्यवाही जोनी चाहिए भारत के ई-कॉमर्स और खुदरा व्यापार की निगरानी और विनियमन के लिए एक ई-कॉमर्स लोकपाल और एक खुदरा नियामक प्राधिकरण का गठन करने का भी सुझाव कैट ने दिया है।
चूंकि ई-कॉमर्स व्यवसाय का एक प्रगतिशील और भविष्य का तरीका है, इसलिए कैट ने श्री गोयल को एक सुझाव दिया है कि वे स्वदेशी ई-कॉमर्स मार्केट प्लेस बनाएँ जो सभी गड़बड़ियों और अनुचित प्रथाओं से मुक्त हो ताकि उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर सर्वश्रेष्ठ उत्पाद प्राप्त करने में सक्षम बनाया जा सके। कैट ने ऐसे पोर्टल के लिए प्रदेश के 6 लाख व्यापारियों एवं देश के 7 करोड़ व्यापारियों का समर्थन करने का आश्वासन दिया है और ई-कॉमर्स पोर्टल से अधिकतम व्यापारियों को जोड़ने की पूरी कोशिश करेगा।
व्यापार जगत के नेताओं ने स्पष्ट किया कि देश के कैट ने कहा की व्यापारी किसी भी प्रतियोगिता से डरते नहीं हैं और ई कॉमर्स का विरोध नहीं करते हैं, लेकिन समान स्तर की प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए, जिसमें कोई खराबी न हो। एफडीआई को निजी इक्विटी या वेंचर कैपिटलिस्ट द्वारा बिना किसी ब्याज के उपलब्ध कराया जाता है क्योंकि पीई या वीसी जब निवेश की हुई कंपनी का मूल्यांकन बाजार में बड़ जाता है तब वो बड़ी राशि के साथ उक्त कम्पनी से बाहर निकल जाते हैं ।
दूसरी ओर, यूके, यूएसए, यूरोप और अन्य देशों में धनराशि ब्याज दर पर 1.5 प्रतिशत से लेकर 3 प्रतिशत प्रति वर्ष तक ही उपलब्ध है जबकि हमारे देश में यह 9 प्रतिशत से 14 प्रतिशत है। ब्याज दर का यह अंतर बाजार को नियंत्रित करने के लिए अकेला पर्याप्त है और वे कॉमर्स को असमान बना देता है।
कुछ प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनियों ने छोटे व्यापारियों की सहायता करने और उन्हें बड़ा बनाने का दावा किया है जो कि एक सुनियोजित षड्यंत्र है और इन कम्पनियों के गलत कामों पर पर्दा डालने की कोशिश है । यदि ये कंपनियां छोटे व्यापारियों के बारे में चिंतित हैं, तो उन्हें चाहिए पिछले 5 वर्षों से अपने कॉमर्स पोर्टल पर पिछले पाँच वर्षों में पहले 10 विक्रेताओं के नाम घोषित करें किन्होंने सबसे ज्यादा व्यापार किया है ।