नई दिल्ली/मुंबई, (mediasaheb.com) निजी क्षेत्र की विमानन कंपनी जेट एयरवेज की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं। कंपनी के कर्जदाताओं ने जेट एयरवेज को और कर्ज देने से इंकार कर दिया है। वित्तीय मुश्किलों से गुजर रही जेट एयरवेज अपने कर्मचारियों को समय पर सैलेरी नहीं दे पा रही है। एयरलाइंस के बेड़े में फिलहाल सात विमान ही ऑपरेशनल हैं, जबकि सालभर पहले कंपनी के बेड़े में 124 विमान थे। हालात इतने बिगड़ गए हैं कि कंपनी प्रबंधन ने कुछ समय के लिए जेट एयरलाइन के कई रूटों पर उड़ानों को रद्द करने का फैसला लिया है। कंपनी 18 अप्रैल तक ऑपरेशन बंद भी कर सकती है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को भी बंद किए जाने पर विचार किया जा रहा है। इस मामले से जुड़े सूत्रों के मुताबिक जेट एयरवेज निदेशक मंडल की बैठक में कंपनी को वित्तीय घाटे से उभारने के लिए तुरंत 10 हजार करोड़ रुपये की आवश्यकता बताई गई।
हालांकि कंपनी के कर्जदाताओं ने और कर्ज देने से मना कर दिया है। आईसीआईसीआई, पीएनबी, यस बैंक जैसे कर्जदाता जेट एयरवेज को कर्ज देने को तैयार नहीं है। जेट एयरवेज को कर्ज देने वाले बैंक समूह के मुखिया स्टेट बैंक ऑफ इंडिया(एसबीआई) पर अब कंपनी के वित्तीय पुनरोद्धार की जिम्मेदारी है। एसबीआई के लिए भी अब जेट एयरवेज के लिए कर्जदाताओं को मनाना आसान नहीं दिख रहा। जेट एयरवेज में करीब 24 फीसदी से ज्यादा की हिस्सेदार एतिहाद एयरवेज भी कुछ बातों को लेकर अड़ी हुई है। एतिहाद प्रबंधन जेट एयरवेज से नरेश गोयल की छुट्टी चाहता है। गोयल के पास जेट के करीब 51 फीसदी शेयर हैं। जेट एयरवेज के वित्तीय हालात इतने बिगड़ गए हैं कि उसके पायलट कंपनी छोड़कर दूसरी एयरलाइन में नौकरी के लिए जाने लगे हैं। बाजार के सूत्रों के मुताबिक जेट एयरवेज के पायलट, इंजीनियर आधी सैलेरी पर दूसरी कंपनी में नौकरी को तैयार हो रहे हैं। बाजार में जेट एयरवेज को अब डूबता जहाज कहा जा रहा है। वहीं कंपनी के कर्मचारी अपनी तनख्वाह नहीं मिलने के कारण लगातार प्रबंधन पर हड़ताल, सामूहिक अवकाश, अदालत में मुकदमा जैसे कदम उठा रहे हैं।(हि.स.)।