रायपुर(mediasaheb.com) भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने कहा है कि बिलासपुर हाई कोर्ट ने पुलिस आरक्षक भर्ती रोकने के सरकारी आदेश को निरस्त करके प्रदेश सरकार की नासमझी और तुगलकशाही पर करारी चोट की है। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि मौजूदा प्रदेश सरकार के पास न तो प्रशासनिक सूझबूझ है, और न ही कोई सुविचारित दृष्टिकोण है। इसीलिए नासमझी में लिए गए फैसलों पर प्रदेश सरकार की फजीहत हो रही है।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री श्रीवास्तव ने कहा कि पूर्ववर्ती भाजपा शासनकाल में सन् 2018 में पुलिस विभाग में आरक्षक भर्ती परीक्षा शुरू की गई थी, जिसे सितंबर, 2019 में मौजूदा प्रदेश कांग्रेस सरकार ने निरस्त करने का तुगलकी फैसला लिया था। आरक्षक भर्ती परीक्षा के अभ्यर्थियों द्वारा हाईकोर्ट में दायर एक याचिका पर हाई कोर्ट ने सरकार के फैसले को रद्द कर 90 दिनों के भीतर शारीरिक दक्षता परीक्षा लेने का आदेश दिया है। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि हाईकोर्ट के इस फैसले से शिक्षित बेरोजगार युवकों में अपने भविष्य के प्रति नए विश्वास और नई आकांक्षाएं जगी हैं। लेकिन, इस फैसले ने प्रदेश सकरार के कामकाज पर बड़ा सवाल खड़ा किया है। ऐसे अनेक कार्यक्षेत्र हैं, जहां प्रदेश सरकार ने राजनीतिक प्रतिशोध और संकीर्ण नजरिए के चलते समाज के विभिन्न वर्गों के कल्याण व सुविधाओं के लिए भाजपा की पूर्ववर्ती प्रदेश सरकार द्वारा जारी योजनाओं को रोकने या फिर उन्हें अधर में लटकाने का काम किया है। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि जिस दल में नेतृत्व, नीति और नीयत को लेकर लगातार सवाल खड़े होते रहे हों, उस दल की सरकार से ऐसे ही जनविरोधी और प्रतिशोध-प्रेरित फैसलों की उम्मीद रखी जा सकती है।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश सरकार ने छत्तीसगढ़ के युवकों को छलने का काम किया है। प्रदेश में एक तरफ बेरोजगारों को सब्जबाग दिखाने और दूसरी तरफ उन्हीं बेरोजगार युवकों के सपनों को चूर करके उनके भविष्य से खिलवाड़ करने का काम इस प्रदेश सरकार ने अब तक के अपने पूरे कार्यकाल में किया है। हर वर्ग की तरह बेरोजगार युवकों से भी मौजूदा कांग्रेस सरकार ने दगाबाजी की है और उन्हें न तो रोजगार के अवसर मुहैया कराए गए, न ही नए अवसर पैदा किए गए। और तो और, 25 सौ रुपये प्रतिमाह बेरोजगारी भत्ता देने का अपना वादा भी यह सरकार भुला बैठी है। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि हाईकोर्ट के इस फैसले के आलोक में अब प्रदेश सरकार को अपने राजनीतिक चरित्र का मूल्यांकन कर प्रदेश के लोगों के हितों पर ध्यान देना चाहिए।