(mediasaheb.com)| भारतीय नृत्य के अनेक प्रकार हैं। इनमें कथक, भरत नाट्यम, ओडिसी, मणिपुरी, कुचिपुडि, कथकली आदि प्रमुख हैं। ऐसा लगता है कि बदलते दौर में पश्चिमी संगीत और डांस के तौर तरीकों ने भारतीय शास्त्रीय संगीत और भारतीय नृत्य परम्परा को कहीं पीछे छोड़ दिया। लेकिन जिसने भी पीहू श्रीवास्तव के ओडिसी नृत्य को देखा, उसने माना कि इसके सामने दूसरे डांस जैसे बौने हैं। ओडिसी पर सधे हुए कदम और हर लय और ताल पर चेहरे की बदलती भाव भंगिमा ने लोगों को मंत्र मुग्ध कर दिया। बड़ी बात यह है कि पीहू श्रीवास्तव अत्याधुनिक कहे जाने वाले दिल्ली शहर की रहने वाली है। उसने आधुनिक कहे जाने वाले जाज, बैले, हिप-हॉप, बालरूम आदि पश्चिमी या कहें कि आधुनिक डांस की भीड़ से अलग रहकर एक ऐसी पहचान बनायी है, जो जल्द ही अन्तरराष्ट्रीय मंचों पर भी स्थापित होगी।
बीते रविवार को नई दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में ओडिसी की युवा नृत्यांगना पीहू श्रीवास्तव की मनमोहक प्रस्तुति “नृत्य प्रवाह” देखने को मिली। पीहू श्रीवास्तव ओडिसी की प्रख्यात नृत्यांगना गुरु अल्पना नायक की शिष्या हैं और “नृत्य प्रवाह” की सबसे ख़ास बात यह रही कि पीहू ने चार दिव्यांग नर्तक बच्चों के साथ नृत्य किया और सन्देश दिया “हम भी सक्षम” । कार्यक्रम का आयोजन दिल्ली की स्वयंसेवी संस्था “अल्पना” ने किया था । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगातार इस बात पर बल देते हैं कि समग्र समाज के निर्माण के लिए दिव्यांगजनों को भी समाज में बराबरी से देखने और पर्याप्त अवसर देने की आवश्यकता है । इसी से प्रेरणा लेकर गुरु अल्पना ने नृत्य प्रवाह का आयोजन किया, जहाँ पीहू श्रीवास्तव ने दिव्यांग तन्मय अग्रवाल, अभिषेक राणा, ख़ुशी सागर और प्रीती के साथ मंच साझा किया । गौरतलब है कि गुरु अल्पना के सान्निध्य में पीहू 2 साल से लगातार दिव्यांग बच्चों को नृत्य का प्रशिक्षण भी दे रही हैं ।
रविवार को आयोजित इस नृत्य प्रवाह कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे राज्यसभा के वरिष्ठ सांसद आर.के.सिन्हा और विशिष्ट अतिथियों में पद्मश्री गुरु गीता महालिक, डीडी न्यूज़ के महानिदेशक मयंक अग्रवाल , राज्यसभा के पूर्व सांसद तरुण विजय, सामाजिक कार्यकर्ता भारती सिंह और हंसराज कॉलेज की प्रिंसिपल रमा भी उपस्थित थीं ।
कार्यक्रम की शुरुआत में पीहू ने दिव्यांग तन्मय, अभिषेक, ख़ुशी और प्रीती के साथ शिव तांडव के माध्यम से भगवान् शिव को पुष्पांजलि अर्पित की। इसके पश्चात दिव्यांग बच्चों की “हम भी सक्षम” प्रस्तुति हुई। इस नृत्य में दिव्यांग बच्चों ने बट्टू की प्रस्तुति दी, जो विशुद्ध नृत्य है। दिव्यांग बच्चों के इस नृत्य के बाद पीहू ने एक के बाद एक दो बेहद खूबसूरत प्रस्तुतियां दीं। पहली अष्टपदी नृत्य की बेहद सुन्दर प्रस्तुति थी। यह नृत्य गीत गोविन्दम का हिस्सा है, जो ओडिया के महान कवि जयदेव की कृति है। अंत में पीहू ने लोकप्रिय ओडिया भक्ति गीत “ऐ निला शैला प्रबला” पर नृत्य किया, जिसमें पीहू के अभिनय, नृत्य और असीम ऊर्जा को देखकर सभी दर्शक मंत्रमुग्ध रह गए।
कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि आर.के.सिन्हा ने पीहू के नृत्य की प्रशंसा करते हुए कहा कि जिस तरह गैर ओडिया होते हुए भी पीहू ने ओडिसी नृत्य को अंगीकार किया है और जिस तरह की प्रस्तुति दी है, उसकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है । (हि स )