(mediasaheb.com) भारत और स्विट्जरलैंड के बीच एक करार हुआ है जो 1 सितंबर से प्रभावी होने जा रहा है. इससे कालेधन का पता लगाना आसान हो जाएगा.
- 1 सितंबर से बदल गए गोपनीयता नियम
- भारत को मिलेंगी स्विस बैंकों की जानकारी
- स्विट्जरलैंड सौंपेगा काला धन वालों की सूची
- सीबीडीटी के पास होगी खाताधारकों की लिस्ट
1 सितंबर से भारत के टैक्स अधिकारी आसानी से जान सकेंगे कि स्विस बैंकों में किन भारतीयों का कितना काला धन जमा है. इसके लिए भारत और स्विट्जरलैंड के बीच एक करार हुआ है जो 1 सितंबर से प्रभावी होने जा रहा है. इससे काले धन का पता लगाना आसान हो जाएगा.
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) लंबे दिनों से इस इंतजार में था कि किसी तरह स्विस बैंकों से गोपनीयता का दौर समाप्त हो ताकि वहां जमा काले धन की जानकारी मिल सके. अब वह दौर आ गया है. स्विस बैंकों में 1 सितंबर से गोपनीयता का नियम हटने के बाद भारत आसानी से खाताधारकों की जानकारी जुटा सकेगा.
सीबीडीटी आयकर विभाग के लिए नीति बनाता है. सीबीडीटी के लिए अच्छी बात यह है कि उसे अब स्विट्जरलैंड में भारतीय नागरिकों के साल 2018 में बंद किए खातों की जानकारी भी मिलेगी. भारत सरकार की ओर से सख्ती अपनाने के बाद कई लोगों ने स्विस बैंकों में अपने खाते बंद कर दिए थे और पैसा कहीं और ट्रांसफर कर दिया था. अब टैक्स विभाग को ऐसे लोगों पर भी नकेल कसने में आसानी होगी.
सीबीडीटी के मुताबिक, सूचना लेने-देने की यह व्यवस्था शुरू होने के ठीक पहले भारत आए स्विट्जरलैंड के एक प्रतिनिधिमंडल ने राजस्व सचिव एबी पांडेय, बोर्ड के चेयरमैन पीसी मोदी और बोर्ड के सदस्य (विधायी) अखिलेश रंजन के साथ बैठक की. 29-30 अगस्त के बीच आए इस प्रतिनिधिमंडल की अगुआई स्विट्जरलैंड के निकोलस मारियो ने की.
एक आंकड़े के मुताबिक साल 1980 से साल 2010 के बीच 30 साल के दौरान भारतीयों ने लगभग 246.48 अरब डॉलर (17,25,300 करोड़ रुपये) से लेकर 490 अरब डॉलर (34,30,000 करोड़ रुपये) के बीच काला धन देश के बाहर भेजा. इसमें ज्यादातर हिस्सा स्विस बैंकों में जमा है. भारत सरकार काफी दिनों से इसकी जानकारी जुटाने की कोशिश में लगी थी. 1 सितंबर से स्विस बैंकों में गोपनीयता का नियम हटने के बाद भारत को बड़ी कामयाबी हासिल होने जा रही है.