दिल्ली, (mediasaheb.com) इस कानून के जानकर प्रभाकर पटनायक ने विस्तार से इस बिल को समझाया है |नागरिकता (संशोधन) विधेयक, यानी सिटिज़नशिप (अमेंडमेंट) बिल (Citizenship – Amendment Bill) या CAB को सोमवार को लोकसभा में पेश किया| इसके ज़रिये पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता दी जा सकेगी I नागरिकता (संशोधन) विधेयक (Citizenship Amendment Bill) का उद्देश्य छह समुदायों – हिन्दू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध तथा पारसी – के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है| नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2016 में यह प्रावधन था कि प्राकृतिक रूप से नागरिकता प्राप्त करने के लिए इन व्यक्तियों ( अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों) को कम से कम 6 वर्ष भारत में रहना चाहिए लेकिन नया बिल इस अवधि को घटाकर 5 वर्ष कर देगा अर्थात वे भारत में रहने के 5 सालों की बाद ही भारत के नागरिक बन जायेंगे |
बिल के ज़रिये मौजूदा कानूनों में संशोधन किया गया है, ताकि चुनिंदा वर्गों के गैरकानूनी प्रवासियों को छूट प्रदान की जा सके. चूंकि इस विधेयक में मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया है, इसलिए विपक्ष ने बिल को भारतीय संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के खिलाफ बताते हुए उसकी आलोचना की है|ख़बरों के अनुसार, नए विधेयक में अन्य संशोधन भी किए गए हैं, ताकि ‘गैरकानूनी रूप से भारत में घुसे’ लोगों तथा पड़ोसी देशों में धार्मिक अत्याचारों का शिकार होकर भारत में शरण लेने वाले लोगों में स्पष्ट रूप से अंतर किया जा सकेIदेश के पूर्वोत्तर राज्यों में इस विधेयक का विरोध किया जा रहा है, और उनकी चिंता है कि पिछले कुछ दशकों में बांग्लादेश से बड़ी तादाद में आए हिन्दुओं को नागरिकता प्रदान की जा सकती है|
नागरिकता (संशोधन) विधेयक का संसद के निचले सदन लोकसभा में आसानी से पारित हो जाना तय है, लेकिन राज्यसभा में, जहां केंद्र सरकार के पास बहुमत नहीं है, इसका पारित हो जाना आसान नहीं होगा.Iकांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (TMC), द्रविड़ मुनेत्र कषगम (DMK), समाजवादी पार्टी (SP), वामदल तथा राष्ट्रीय जनता दल (RJD) इस बिल के विरोध में हैं, लेकिन राज्यसभा में मतदान की नौबत आने पर ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (AIADMK) जैसी पार्टियां सरकार के पक्ष में संतुलन कायम कर सकती हैं. BJP की सहयोगी असम गण परिषद (AGP) ने वर्ष 2016 में लोकसभा में पारित किए जाते वक्त बिल का विरोध किया था, और सत्तासीन गठबंधन से अलग भी हो गई थी, लेकिन जब यह विधेयक निष्प्रभावी हो गया, AGP गठबंधन में लौट आई थी|
लोकसभा में विधेयक को पेश किये जाने के लिए विपक्ष की मांग पर मतदान करवाया गया और सदन ने 82 के मुकाबले 293 मतों से इस विधेयक को पेश करने की स्वीकृति दे दी. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस सहित विपक्षी सदस्यों ने विधेयक को संविधान के मूल भावना एवं अनुच्छेद 14 का उल्लंघन बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की.Iगृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस, आईयूएमएल, एआईएमआईएम, तृणमूल कांग्रेस समेत विपक्षी सदस्यों की चिंताओं को खारिज करते हुए कहा कि विधेयक कहीं भी देश के अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है और इसमें संविधान के किसी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं किया गया.Iशाह ने सदन में यह भी कहा ‘अगर कांग्रेस पार्टी देश की आजादी के समय धर्म के आधार पर देश का विभाजन नहीं करती तो इस विधेयक की जरूरत नहीं पड़ती|
राष्ट्रीयता और नागरिकता के बीच क्या अंतर होता है?
राष्ट्रीयता उस स्थान या देश के बारे में बताती हैं जहाँ पर व्यक्ति का जन्म होता है, जबकि नागरिकता सरकार द्वारा प्रदान की जाती है. नागरिकता अधिनियम, 1995 भारत में नागरिकता प्राप्त करने के 5 तरीके बताता है जिसमे जन्म के आधार पर और वंश के आधार पर नागरिकता मुख्य आधार है. आइये इस लेख में राष्ट्रीयता और नागरिकता में अंतर जानते हैं|
सामान्य रूप से लोग राष्ट्रीयता और नागरिकता को समानार्थक शब्द के रूप में इस्तेमाल करते हैं. लेकिन वास्तव में ये दोनों शब्द एक-दूसरे से कई तरह से भिन्न हैं,यह लेख इन्ही दो शब्दों के बीच के अंतर पर आधारित है|
भारतीय संविधान में नागरिकता से सम्बंधित प्रावधान संविधान के भाग II में अनुच्छेद 5 से 11 तक दिए गए हैं. नागरिकता अधिनियम, 1995 भारत में नागरिकता प्राप्त करने के 5 तरीके बताता है. 1. जन्म के आधार पर2. वंश के आधार पर3. पंजीकरण के आधार पर4. प्राकृतिक रूप से5. किसी क्षेत्र विशेष के अधिकरण के आधार पर राष्ट्रीयता की परिभाषा: “किसी व्यक्ति की राष्ट्रीयता से उसकी जन्मभूमि का पता चलता है या यह पता चलता है कि व्यक्ति किस मूल का है.” राष्ट्रीयता एक व्यक्ति को कुछ अधिकरों और कर्तव्यों को प्रदान करती है. एक राष्ट्र अपने नागरिकों को विदेशी आक्रमण से सुरक्षा प्रदान करता है जिसके बदले में वह नागरिकों से यह उम्मीद करता है कि राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों का भी पालन करें|
नागरिकता की परिभाषा:किसी व्यक्ति को किसी देश की नागरिकता उसे देश की सरकार द्वारा तब दी जाती है जब वह व्यक्ति कानूनी औपचारिकताओं का अनुपालन करता है. इस प्रकार नागरिकता के आधार पर किसी व्यक्ति की जन्म भूमि का पता नही लगाया जा सकता है |