ओपी जिन्दल यूनिवर्सिटी में “रोल ऑफ इनोवेशन, आंत्रप्रेन्योरशिप एंड मैनेजमेंट फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट” पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन
सम्मेलन का उद्घाटन इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ गवर्नेंस एंड लीडरशिप के चेयरमैन एवं ब्रिक्स चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (ब्रिक्स सीआईआई) के उपाध्यक्ष समीप शास्त्री द्वारा
देश के अनेक शोधकर्ता एवं विद्वान कर रहे भागीदारी। इनोवेशन, उद्यमिता एवं प्रबंधन से जुड़े सभी स्टेक होल्डर्स को एक मंच पर लाकर सतत विकास में उनकी भूमिका पर चर्चा सम्मेलन का उद्देश्य
रायगढ़, (media saheb.com) – जेएसपीएल फाउंडेशन की चेयरपर्सन एवं ओपी जिन्दल विश्वविद्यालय (ओपीजेयू) की कुलाधिपति श्रीमती शालू जिन्दल ने आज कहा कि सतत विकास के लिए इनोवेशन, उद्यमिता एवं प्रबंधन शीर्ष प्राथमिकता हैं जो उत्पादकता बढ़ाने, उभरते बाजारों से उत्पन्न अवसरों का फायदा उठाने एवं ज्ञान संचालित प्रतिस्पर्धात्मक लाभ पैदा करने की कुंजी हैं।
श्रीमती जिन्दल आज ओपीजेयू द्वारा “रोल ऑफ इनोवेशन, आंत्रप्रेन्योरशिप एंड मैनेजमेंट फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट” विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय डिजिटल सम्मेलन में अपने विचार प्रकट कर रही थीं। उन्होंने कहा कि सतत विकास केवल विकासशील देशों ही नहीं बल्कि सभी देशों के लिए चिंता का विषय है। यह एक बड़ी चुनौती है और इसे प्राप्त करने के लिए आवश्यक है कि स्थानीय, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर मूलभूत मुद्दों की तुरंत पहचान की जाए। उन्होंने आह्वान किया कि शोधकर्ता और विद्वान एक साथ मिलकर सतत विकास के लिए इनोवेशन एवं उद्यमिता को बढ़ावा देने का पुनीत कार्य करें।
सम्मेलन का उद्घाटन इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ गवर्नेंस एंड लीडरशिप के चेयरमैन एवं ब्रिक्स चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (ब्रिक्स सीआईआई) के उपाध्यक्ष समीप शास्त्री ने किया। उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि इनोवेशन सभी क्षेत्र में हो रहे हैं और यह जानना आवश्यक है कि उद्यमिता के माध्यम से सतत विकास में किस तरह से सहयोग किया जा सकता है। समय तेजी से बदल रहा है और हमें इनोवेशन और उद्यमिता की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। आवश्यकता है कि युवा आगे आएं और अपने ज्ञान, इनोवेशन और उद्यमिता के माध्यम से तमाम समस्याओं का हल ढूंढें।
ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन के सहयोग से आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्देश्य इनोवेशन, उद्यमिता एवं प्रबंधन से जुड़े सभी स्टेक होल्डर्स को एक मंच पर लाना और सतत विकास में उनकी भूमिका पर चर्चा करना है।
सम्मेलन में आईसीआरसी, एआईएमए नई दिल्ली की निदेशक डॉ. अनुजा पांडे, उद्यमिता विकास संस्थान-अहमदाबाद के महानिदेशक प्रो. सुनील शुक्ला, भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) नई दिल्ली के वरिष्ठ सलाहकार श्री आर. साहा, आईआईएम-संबलपुर के निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) महादेव जायसवाल, ओपीजेयू के कुलपति डॉ. आर.डी. पाटीदार एवं सीआरई के निदेशक व ओपीजेयू में मेटालर्जिकल व मैटीरियल इंजीनियरिंग के विभागाध्यक्ष डॉ. अशोक श्रीवास्तव समेत अनेक गण्यमान्य लोग भाग ले रहे हैं।
इस अवसर पर डॉ. पाटीदार ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि सतत विकास के लिए इनोवेशन, उद्यमिता एवं प्रबंधन ने जीवन की गुणवत्ता पर ध्यान दिया है और किसी भी समाज के सर्वांगीण विकास की मांगों को परिभाषित करने के लिए महत्वपूर्ण आधारभूत तत्व के रूप में इनकी पहचान की गई है। उन्होंने बताया कि बहुत ही कम समय में रायगढ़ स्थित ओपीजेयू ने अनेक उपलब्धियां प्राप्त की हैं। इन उपलब्धियों को साझा करते हुए उन्होंने उद्योग-शैक्षिक संस्थान समन्वय (इंडस्ट्री-एकैडमिक कोऑर्डिनेशन), व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करते हुए पढ़ने-सीखने की प्रणाली (एक्सपीरिएंशियल लर्निंग मेथड्स) आदि पर प्रकाश डाला जो इनोवेशन, उद्यमिता व प्रबंधन को बढ़ावा देते हैं।
इस अवसर पर डॉ. अनुजा पांडे ने कहा कि नई शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप प्रबंधन शिक्षा को भारतीय वातावरण के अनुरूप व्यावहारिक बनाने का प्रयास किया जा रहा है। प्रो. सुनील शुक्ला ने कहा कि इनोवेशन, उद्ममिता और प्रबंधन के समेकित प्रयास के कारण ही आज भारतीय स्टार्टअप्स विश्व बाजार को अपनी सेवाएं दे रहे हैं और अपने-अपने क्षेत्र में अग्रणी हैं। आज आवश्यकता है कि हम सभी स्टार्टअप्स में योगदान के लिए आगे आने वाले अपने छात्रों को सही मार्गदर्शन देकर उनकी सफलता सुनिश्चित करने का प्रयास करें।
सम्मेलन में श्री आर. साहा ने कहा की उद्यमिता और इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। वैश्विक माहौल आज कलेक्टिव डिजाइनिंग एवं कलेक्टिव मॉडलिंग की मांग करता है तथा सतत विकास के लिए आवश्यक है कि हम अपने विवेक और ज्ञान का सही तरीके से उपयोग करें। प्रोफेसर (डॉ.) महादेव जायसवाल ने इस अवसर पर इनोवेशन रेगुलेशन पर प्रकाश डालते हुए अपने 3डी फ्रेमवर्क पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने डिसरप्सन थ्रू डिजिटलाइजेशन, डिसरप्सन थ्रू कार्बोनाइजेशन एवं डिसरप्सन थ्रू डेमोक्रेटाइजेशन को विस्तार से समझाया और क्रिप्टोकरेंसी एवं फ्लिप-क्लासरूम के बारे में भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा की सतत विकास के लिए “गोल्स” की चर्चा आवश्यक है और इसे ध्यान रखते हुए उन्होंने अपने संस्थान में 17 एसडीजी (सतत विकास लक्ष्य) को एक पाठ्यक्रम के रूप में शामिल किया है।
मुख्य अतिथि श्री समीप शास्त्री ने इस अवसर पर स्मारिका का विमोचन किया । कार्यक्रम के अंत में स्कूल ऑफ़ मैनेजमेंट के एसोसिएट डीन डॉ. शेषादेव नायक ने सभी अतिथियों, प्रतिभागियों एवं सहयोगियों का धन्यवाद किया। कार्यक्रम का संचालन स्कूल ऑफ़ मैनेजमेंट की एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉ रेखा शर्मा ने किया।(For English News : thestates.news)