अब तक पांच हजार से अधिक किडनी प्रत्यारोपण कर चुके थे डॉ.एचएल त्रिवेदी
अहमदाबाद, (mediasaheb.com) | न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर के रोगियों और उनके रिश्तेदारों में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए चर्चित डॉ. एचएल त्रिवेदी का बुधवार को दोपहर निधन हो गया। अब तक 5 हजार से अधिक किडनी प्रत्यारोपण करने वाले पद्मश्री त्रिवेदी लंबे समय से बीमार थे। उनका शव संस्थान के संकुल में गुरुवार सुबह 8 से 11 बजे तक अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। अमेरिका के हाथों मारे गए मोस्ट वांटेड आतंकवादी ओसामा बिन लादेन की किडनी ट्रांसप्लांट के लिए उनके पास ऑफर आया था लेकिन डॉ. त्रिवेदी ने करोड़ों रुपये की पेशकश को ठुकरा दिया था।
गुजरात में अहमदाबाद का इंस्टिट्यूट ऑफ किडनी डिसीजेज ऐंड रिसर्च सेंटर (आईकेडीआरसी) देश का एकमात्र ऐसा सरकारी या निजी संस्थान है जहां रोबॉट की मदद से किडनी ट्रांसप्लांट होता है। आईकेडीआरसी की नींव पद्मश्री डॉ. एचएल त्रिवेदी ने 1981 में डाली थी। यहां 2013 से रोबॉट की मदद से अब तक दुनिया में सबसे ज्यादा किडनी ट्रांसप्लांट किया जा चुका है। डॉ. त्रिवेदी पिछले दो वर्षों से अस्पताल में भर्ती थे, लेकिन मंगलवार को उनकी हालत ज्यादा बिगड़ गई और उन्हें किडनी अस्पताल की तीसरी मंजिल पर आईसीयू में भर्ती कराया गया।
डॉ. हरगोविंद लक्ष्मी शंकर त्रिवेदी का जन्म 31 अगस्त, 1932 में चोरवाड़ तहसील हलवद, जिला सुरेंद्रनगर, गुजरात में हुआ था। उन्होंने प्री-मेडिकल, धर्मेंद्र सिंहजी कॉलेज, राजकोट से 1953 में, एमबीबीएस, बीजे मेडिकल कॉलेज, अहमदाबाद से 1963 में और ईसीएफएमजी 1963 में किया। उन्होंने 1963 से 1969 तक विदेश में विभिन्न चिकित्सा प्रशिक्षण प्राप्त किये। 1960-1962 तक बीजे मेडिकल कॉलेज, अहमदाबाद में प्रोफेसर रहे। 1970-1977 तक मैकमास्टर विश्वविद्यालय, कनाडा में प्रोफेसर और प्रशासक रहे। 1977-1981 तक फिर बीजे मेडिकल कॉलेज, अहमदाबाद में प्रोफेसर रहे। 1981 में उन्होंने आईकेडीआरसी की नींव डाली और चिकित्सा क्षेत्र में मानव गुर्दा प्रत्यारोपण के लिए दुनिया भर में अपनी पहचान बनाई। देश ही नहीं विदेशों से भी लोग गुर्दे की सर्जरी के लिये डॉ. एचएल त्रिवेदी के पास आते थे।
डॉ. त्रिवेदी ने एक साक्षात्कार में खुलासा किया था कि 2007 में दो-तीन लोग इंस्टीट्यूट ऑफ किडनी डिजीज एंड रिसर्च सेंटर (आईकेडीआरसी) का दौरा करने अहमदाबाद आए थे। डॉ. त्रिवेदी से मिलने के बाद उन्हें पाकिस्तान में एक मेडिकल कॉन्फ्रेंस में ले जाया गया और उस समय दुनिया भर में मोस्ट वांटेड आतंकवादी ओसामा बिन लादेन की दोनों किडनी फेल होने पर उसकी ट्रांसप्लांट सर्जरी करने और इसके लिए उन्हें करोड़ों रुपये की पेशकश भी की गई थी। डॉ. त्रिवेदी ने यह भी बताया था कि अलकायदा की टीम ने यह भी शर्त रखी थी कि उन्हें और उनकी मेडिकल टीम को लादेन की सर्जरी के लिए पाकिस्तान आना पड़ेगा। वहां से उन्हें एक अज्ञात स्थान पर ले जाया जाएगा और ऑपरेशन के लिए पर्याप्त सुविधा मुहैया कराई जाएगी। इस प्रस्ताव से भी डॉ. त्रिवेदी का विश्वास नहीं डगमगाया और वे दो घंटे तक उन लोगों के साथ उलझे रहे कि ऐसे आतंकी लोगों को क्या जवाब दिया जाए? इसके बाद उन्होंने ऐसा जवाब दिया कि जिसे सुनकर अल-कायदा के लोग भी परेशान हो गए।
डॉ. त्रिवेदी ने उन लोगों से कहा कि आखिर लादेन भी एक इंसान है, इसलिए डॉक्टर होने के नाते उसका ऑपरेशन करने से मना नहीं कर सकते लेकिन इसके लिए उनके पास केवल दो शर्तें हैं। पहली यह कि बिन लादेन को किडनी के ऑपरेशन के लिए अहमदाबाद के आईकेडीआरसी में भर्ती कराना पड़ेगा और दूसरी शर्त यह रखी कि उन्हें कोई पैसा नहीं चाहिए लेकिन वे लादेन की सर्जरी उसी शर्त पर करेंगे कि अल-कायदा सर्जरी के बाद भारत के साथ शत्रुतापूर्ण व्यवहार समाप्त कर दे। इसी के बाद फिर अल-कायदा के लोगों ने उनसे संपर्क नहीं किया और आखिरकार 2 मई 2011 को वह अमेरिका के हाथों मारा गया। (हि.स.)।