नई दिल्ली, (media saheb.com) | विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति और रणनीति के क्षेत्र में चर्चित भारत-प्रशांत विचार को आसान शब्दों में समझाते हुए कहा कि वास्तव में यह हिंद महासागर और प्रशांत महासागर का मिलन है। इस क्षेत्र में शांति व स्थायित्व और मुक्त नौवहन दुनिया के व्यापक हितों में हैं।
विदेश मंत्री ने उद्योग व्यापार संगठन (CII) की साझेदारी शिखर वार्ता में भारत-प्रशांत अवधारणा और इस बारे में भारत की सोच का खुलासा किया।
उन्होंने कहा कि भारत-प्रशांत इस बात को जाहिर करता है कि दो महासागर के क्षेत्र अलग अलग नहीं हैं। यह एक समान जल क्षेत्र हैं। यह अफ्रीका, एशिया, यूरेशिया, ओसेनिया और अमेरिकी महाद्वीपों के तट तक फैले हैं। उन्होंने कहा कि वास्तव में भारत-प्रशांत विचार का जन्म अतीत में हो चुका है। यह आने वाले कल में निर्मित होने वाला विचार नहीं है।
जयशंकर ने कहा कि भारत-प्रशांत क्षेत्र के बढ़ते महत्व और इस क्षेत्र के देशों की भूमिका को भारत ने पहले ही पहचान लिया है। इस संबंध में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नवंबर 2019 में पूर्व एशिया शिखर वार्ता में पेश किए गए भारत-प्रशांत महासागरीय पहल (IPOI) का जिक्र किया। मोदी ने अपने संबोधन में इस पहल से सात बिन्दुओं का उल्लेख किया था। इस पर इस क्षेत्र के देश आपसी सहयोग कर सकते हैं। समुद्री सुरक्षा, समुद्री पारिस्थितिकी, समुद्री संसाधन, क्षमता निर्माण व संसाधन साझा करने से लेकर आपदा जोखिम न्यूनीकरण व प्रबंधन, विज्ञान, प्रौद्योगिकी व शैक्षणिक सहयोग और अंत में व्यापार, कनेक्टिविटी व समुद्री परिवहन तक शामिल हैं।
आईपीओआई किसी नई संस्था के गठन की पहल नहीं थी तथा इसमें दक्षिण पूर्व क्षेत्रीय सहयोग संगठन आसियान के देशों को केंद्रीय भूमिका निभानी थी।
जयशंकर ने अमेरिका की पहल पर शुरू की गई भारत-प्रशांत अवधारणा का जिक्र करते हुए कहा कि अलग-अलग देश अपने हितों और समझ के अनुसार इसकी व्याख्या कर रहे हैं। जहां तक भारत का सवाल है, वह इसे ‘पूर्व की ओर देखो’ और ‘पूर्व में सक्रियता बढ़ाओ’ की नीति के संदर्भ में देखता है। उन्होंने कहा कि वास्तव में भारत-प्रशांत क्षेत्र के साझा जल क्षेत्र और इसके महत्व को सबसे पहले भारत और जापान ने समझा। उसके बाद अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया का झुकाव इस ओर हुआ। बाद में पश्चिमी दुनिया के अनेक देशों तथा हाल में ब्रिटेन ने इसके साथ जुड़ने की बात कही।(हि.स.) (#thestates.news)