जैन जितेंद्र बरलोटा को क्यू त्याग पत्र देना पड़ा और त्याग पत्र वापस लेने के बाद वो क्यू सक्रिय नहीं थे ?
रायपुर, (media saheb.com) हालाकि ये जाड़े का मौसम है, पर राज्य में पारा तेजी से बढ़ता हि जा रहा है, दर असल प्रदेश में चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के चुनाव होने है, चुनाव की बढ़ती सर गर्मिया रोज़ दर रोज़ तेजी से बढ़ती हि जा रही है, बहराल चुनाव कि तिथि अभी निर्धारित नहीं है, पर प्रत्याशियों कि उठा-पटक युद्ध स्तर पर चल रही है, हालाकि अनुभव के आधार पर अमर पारवानी का पलड़ा काफी भरी माना जा रहा है, बीते कुछ वर्ष पहले अमर पारवानी के चेम्बर अध्यक्ष बनने के बाद उनकी बढ़ती लोकप्रियता और कुशल नेतृत्व को राजनीती के दिग्गज खिलाडी खुद को कहे जाने वाले भी भयभीत हो गए थे… उन्हें अपने राजनितिक वजूद पर खतरे के बादल मंडराते हुए नज़र आने लगे थे, तबसे ही श्री पारवानी को दुबारा मौका न मिले इसलिए वे हर प्रकार के हतकंडे को अपनाते हुए उन्हें रोकने में लगे हुए हैं और आज भी उनकी सफल कार्यशैली को पचा नहीं पा रहे है, इस बात को छत्तीसगढ़ चेम्बर के लगभग सभी सदस्य भली-भाती समझते हैं।
अमर पारवानी के सराहनीय कार्यकाल के बावजूद, जैन जितेंद्र बरलोटा को प्रत्याशी बनाया गया था, लेकिन उनका कार्यकाल पूर्ण रूप से विवादित रहा और फिर उनके बाद श्री सुन्दरनी के सगे भाई को चेम्बर का कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया गया, ताकि चेम्बर कि चाबी उन्ही कि जेब में ही रहें और वे अपने मुताबिक चेम्बर को चला सकें…. और अपनी राजनीतिक रोटियां सेक सके | अमर पारवानी जैसे व्यक्तित्व वाला व्यक्ति जिनका कार्यकाल व्यापारियों के साथ प्रदेशवासियों के लिए सम्मानीय व लाभकारी रहा, श्री पारवानी ने छत्तीसगढ़ चेम्बर के अध्यक्ष न होते हुये भी कैट के माध्यम से व्यापारी हितों कि हमेशा रक्षा की व काम किया|
श्री पारवानी जो प्रदेश के समस्त व्यापरियों को व्यक्तिगत रुप से पहचानते एवं सम्पर्क में रहते हैं, प्रदेश का चाहे कोई भी व्यापारी वर्ग हो छोटा या बड़ा सभी के तकलीफों में वे सामने खड़े होते आये हैं,यही खूबी अमर पारवानी को बाकी लोगो से अलग बनाती हैं, श्री पारवानी पर किसी भी राजनीतिक दल से नहीं हैं , जो केवल व्यापारी हित के लिए ही लड़ते आये हैं ।