नीट क्वालिफाई करके अब डॉक्टर बनेगी भिलाई की अमीशा
भिलाई.(media saheb.com) आजकल के युवाओं की जिंदगी जहां स्मार्ट फोन के इर्द-गिर्द नाचती है वहीं भिलाई की अमीशा का ध्यान केवल नीट की तैयारी पर केंद्रित रहा। अपने बचपन के डॉक्टर बनने के सपने को पूरा करने के लिए अमीशा मंडावी ने खुद का पर्सनल मोबाइल तक नहीं खरीदा। ताकि पढ़ाई में मोबाइल रूकावट न बने। दृढ़ संकल्प, कड़ी मेहनत और लगन की बदौलत दूसरे प्रयास में नीट क्वालिफाई करके अब सिम्स बिलासपुर में एडमिशन लेकर अमीशा अपने परिवार की पहली डॉक्टर बनेगी। अमीशा कहती है कि जब सारे दोस्त महंगे फोन लेकर सोशल मीडिया साइट्स पर बिजी रहते थे तब मैं दो साल तक केवल किताबों में उलझी रही। कई बार वो मुझे पढ़ाकू और बोरिंग बोलकर चिढ़ाते भी थे। उनकी इन बातों का मुझ पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ा, क्योंकि मैं जानती थी कि फोन तो कभी भी खरीद सकती हूं, लेकिन नीट क्वालिफाई करने का मौका चूक जाऊंगी तो जीवन में कभी डॉक्टर नहीं बन पाऊंगी। इसलिए खुद की पहचान बनाने के लिए दिन रात पढ़ाई करती थी। जिसका सुखद परिणाम आज एमबीबीएस की सीट के रूप में मिला है।
घर की आर्थिक परिस्थिति खराब थी इसलिए पापा पढ़ नहीं पाए पर मुझे किया प्रेरित
अमीशा ने बताया कि बीएसपी वर्कर पिता छत्तर सिंह घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण ज्यादा पढ़ नहीं पाए। आईटीआई करने के बाद उन्हें नौकरी ज्वाइन करनी पड़ी। पापा की ये सोच थी कि उनके बच्चे उच्च शिक्षा हासिल करें। इसलिए हर दिन मुझे प्रेरित किया कि तुम डॉक्टर बन सकती हो। उनके मोटिवेशन के कारण ही एक साल के ड्रॉप इयर में मैं खुद को इतना समय दे पाई। डिप्रेशन पर कंट्रोल कर पाई। जब मैंने नीट क्वालिफाई किया तो पिता ने गिफ्ट के रूप में मोबाइल फोन खरीदकर दिया है। एमबीबीएस के बाद मैं स्त्री रोग विशेषज्ञ बनना चाहती हूं। मुझे लगता है कि एक महिला डॉक्टर समाज में पीडि़त, शोषित महिला को ज्यादा अच्छी तरह समझकर उसे मेंटल और फिजिकल स्ट्रेंथ दे सकती है। महिलाओं और बच्चियों के लिए कुछ बेहतर करने का यह सबसे अच्छा रास्ता है।
सचदेवा के टीचर्स ने सिखाया खुद पर भरोसा करना
नीट की तैयारी के लिए सचदेवा भिलाई के एक्स स्टूडेंट ने मार्गदर्शन दिया। उन्होंने बताया कि यही एक कोचिंग हैं जहां पढ़ाई के साथ-साथ आपको मेंटल सपोर्ट भी मिलेगा। कोचिंग में पहले दिन कदम रखते ही ये बात सच साबित हुई। शुरूआत में टेस्ट सीरिज में काफी कम नंबर आते थे। तब यहां के टीचर्स ने मुझे हौसला दिया कि मैं भी टॉप 10 में आ सकती हूं। बार-बार जब अपनी फेल्यिर से निराश होती थी तब टीचर्स मुझसे कहते थे कि अगले टेस्ट में तुम बेहतर करोगी। ऐसा ही हुआ। धीरे-धीरे डाउट क्लीयर हुए और विषय की समझ बढ़ती चली गई।
भूलने की आदत पर काबू पाने जैन सर ने दिया नुस्खा
नीट की तैयारी के मिड सेशन में बहुत ज्यादा डिप्रेशन होने लगा। टेस्ट में पढ़ा हुआ लेसन भी भूल जाती थी। ऐसे में सचदेवा न्यू पीटी कॉलेज के डायरेक्टर चिरंजीव जैन सर ने मुझे भूलने की आदत पर काबू पाने के लिए अचूक नुस्खा दिया।(the states. news)