नीट क्वालिफाई करने वाले नक्सल प्रभावित बस्तर के शुभम की कहानी
भिलाई(media saheb.com) . देश में लाल सलाम और माओवादी हिंसा के लिए जाने-जाने वाला बस्तर संभाग बदलते वक्त के साथ अपनी शैक्षणिक प्रतिभाओं से भी नई पहचान बना रहा है। बचपन से एवरेज स्टूडेंट रहे नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग के कोण्डागांव जिले के शुभम प्रधान ने कोरोनाकाल में नीट क्वालिफाई किया है। इसके साथ ही वे अब अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेकर अपने परिवार के पहले डॉक्टर बनने जा रहे हैं। दूसरे अटेम्ट में नीट पास करने वाले शुभम का मानना है कि लाइफ में टैलेंट से ज्यादा हार्ड वर्क मायने रखता है। इसलिए उन्होंने पर्सेंटेंज की जगह नॉलेज पर फोकस किया। यही नॉलेज नीट की तैयारी में उनके काफी काम भी आया।
नहीं पता था नीट जैसा होता है कोई एग्जाम
शुभम ने बताया कि उन्होंने सीजी बोर्ड से 12 वीं बोर्ड की परीक्षा पास की है। उन्हें बोर्ड एग्जाम देने के बाद पता चला कि नीट जैसी कोई परीक्षा होती है। इसलिए पहला प्रयास केवल नीट के पैटर्न को जानने के लिए किया। बिना प्रिपरेशन एग्जाम में बैठने के कारण असफलता हाथ लगी। साथ ही समझ आया कि बहुत ज्यादा पढ़ाई भी करनी पड़ेगी। इसलिए वे कोचिंग के लिए भिलाई आ गए। यहां एक साल ड्रॉप लेकर तैयारी की। ड्रॉप सेशन के दौरान पहली बार घर से बाहर निकलकर हॉस्टल में एडजेस्ट करने में काफी परेशानी हुई। लक्ष्य बड़ा था तो घर से बाहर तो निकलना ही था। यही सोचकर खुद को मना लेते थे।
कोचिंग में आकर छोड़ दी तुक्का लगाने की आदत
एक्स स्टूडेंट से गाइडेंस लेकर सचदेवा में नीट की तैयारी के लिए एडमिशन लेने वाले शुभम ने बताया कि पहले वे हर सवाल का जबाव देने के लिए तुक्का लगाते थे। कोचिंग में जब टीचर्स ने बेसिक स्टडी से पढ़ाई शुरू कराई तो वो आदत भी धीरे-धीरे छोड़ दी। कोचिंग में बाकी स्टूडेंट को देखकर उनके साथ कॉम्पीटिशन करता था। टेस्ट सीरिज में एवरेज स्कोर के बावजूद हर प्रयास में कोशिश करता था कि अच्छे स्टूडेंट के साथ प्रतियोगिता कर सकूं। हिंदी मीडियम स्टूडेंट होने के नाते टीचर्स ने पढ़ाई में बहुत मदद की। अंग्रेजी को कभी खुद की कमजोरी नहीं बनने दिया। गेस्ट सेशन में डॉ. वेद प्रकाश की स्टोरी जानकर बहुत मोटिवेट हुआ। अच्छा लगता था जब सचदेवा के एक्स स्टूडेंट सफल डॉक्टर बनकर हमारे बीच में पहुंचते थे। बताते थे किस तरह इसी क्लास रूम में बैठकर उन्होंने अपनी पढ़ाई की थी।
काउंसलिंग सेशन में सचदेवा के डॉयरेक्टर चिरंजीव जैन सर ने मेरी बहुत सारी गलतियां बताई। वे बच्चों की न सिर्फ गलतियां पकड़ते थे बल्कि एक पैरेंट्स की तरह उन्हें सुधारने में भी बहुत मदद करते थे। उन्होंने मुझे बताया कि मैं जल्दबाजी बहुत करता हूं। साथ ही ओवर कॉन्फिडेंस रहता हूं। जिसके चलते आसान सवालों के भी गलत जवाब दे देता हूं। मैंने समय रहते अपनी गलतियां सुधारी। नीट के एग्जाम में ये मेरा प्लस प्वाइंट बना। किसी भी सवाल का उत्तर जल्दबाजी की बजाय तर्क से देना शुरू किया। मैं एमबीबीएस के बाद खुद का एक हॉस्पिटल खोलना चाहता हूं, क्योंकि बस्तर क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहद कमी है। आदिवासियों को उपचार के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।