केंद्र की निर्यात नीति का अब दिखने लगा है असर
नई दिल्ली (media saheb.com)। कोविड-19 महामारी से उत्पन्न लॉजिस्टिक्स संबंधी चुनौतियों के बावजूद, भारत के कृषि संबंधित तथा प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों में चालू वित्त वर्ष के पहले 10 महीनों (अप्रैल-जनवरी 2021-22) के दौरान पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में अमेरिकी डॉलर के लिहाज से 23 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई। केंद्र सरकार की निर्यात नीति का असर अब दिख रहा है। कृषि संबंधित तथा प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के दायरे के तहत उत्पादों का निर्यात अप्रैल-जनवरी 2020-21 के 15,974 मिलियन डॉलर से बढ़कर अप्रैल-जनवरी 2021-22 में 19,709 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने 2021-22 में एपीडा बास्केट उत्पादों के तहत निर्यात के लिए 23,713 मिलियन डॉलर का लक्ष्य निर्धारित किया है। चावल का निर्यात अप्रैल-जनवरी 2021-22 के दौरान 7696 मिलियन डॉलर के साथ विदेशी मुद्रा अर्जित करने में शीर्ष पर रहा जिसमें अप्रैल-जनवरी 2020-21 की अवधि के 6,793 मिलियन डॉलर की तुलना 13 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
गेहूं के निर्यात में अप्रैल-जनवरी 2021-22 के दौरान भारी वृद्धि दर्ज की गई जो पिछले वर्ष की समान अवधि के 358 मिलियन डॉलर की तुलना में 387 प्रतिशत उछल कर 1742 मिलियन डॉलर तक जा पहुंचा। अन्य मोटे अनाजों में अप्रैल-जनवरी 2021-22 के दौरान 66 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई जो अप्रैल-जनवरी 2020-21 के 527 मिलियन डॉलर की तुलना में 869 मिलियन डॉलर तक पहुंच गए। अप्रैल-जनवरी 2021-22 के दौरान मांस, डेयरी तथा पोल्ट्री उत्पादों के निर्यात में 13 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई जो 2020-21 की समान अवधि के 3005 मिलियन डॉलर की तुलना में बढ़ कर 3408 मिलियन डॉलर दर्ज किए गए। फलों तथा सब्जियों के निर्यात में 16 प्रतिशत की बढोतरी दर्ज की गई और अप्रैल-जनवरी 2021-22 के दौरान वे 1207 मिलियन डॉलर तक पहुंच गए जबकि अप्रैल-जनवरी 2020-21 के दौरान फलों तथा सब्जियों का निर्यात 1037 मिलियन डॉलर दर्ज किया गया था। प्रसंस्कृत फलों तथा सब्जियों का निर्यात वित्त वर्ष 2021-22 के पहले 10 महीनों के दौरान 1269 मिलियन डॉलर दर्ज किया गया जो वित्त वर्ष 2020-21 की समान अवधि के 1143 मिलियन डॉलर की तुलना में 11 प्रतिशत अधिक थे।
मोटे अनाज तैयारी तथा अन्य प्रसंस्कृत खाद्य मदों का निर्यात वित्त वर्ष 2021-22 के पहले 10 महीनों के दौरान 2956 मिलियन डॉलर दर्ज किया गया जो वित्त वर्ष 2020-21 के अप्रैल-जनवरी की अवधि के 2599 मिलियन डॉलर की तुलना में 14 प्रतिशत बढ़ गए। काजू के निर्यात में भी वित्त वर्ष 2020-21 के अप्रैल-जनवरी के निर्यात के मुकाबले वित्त वर्ष 2021-22 में 11 प्रतिशत की बढोत्तरी दर्ज की गई जो 383 मिलियन डॉलर तक पहुंच गए। कृषि निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि को देश के कृषि संबंधी तथा प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने पर जोर देने के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता के एक प्रमाण के रूप में देखा जा रहा है।
एपीडा के अध्यक्ष डॉ. एम अंगमुथु ने कहा, ‘‘हमने कृषि निर्यात नीति, 2018 के उद्वेश्य पर ध्यान देते हुए राज्य सरकारों के सहयोग से क्लस्टरों पर फोकस करने के द्वारा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अवसंरचना के सृजन पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखा है।‘‘ डॉ. अंगमुथु ने कहा, ‘‘हम पूर्वोत्तर तथा पहाड़ी राज्यों के अनूठे उत्पादों के साथ साथ भौगोलिक संकेतक पंजीकृत उत्पादों के निर्यात को भी बढ़ावा दे रहे हैं।‘‘ एपीडा कृषि निर्यात नीति के कार्यान्वयन के लिए राज्य सरकारों के साथ जृड़ी रही है। महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, केरल, नागालैंड, तमिलनाडु, असम, पंजाब, कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मणिपुर, सिक्किम, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, मिजोरम तथा मेघालय ने निर्यात के लिए राज्य विशिष्ट कार्य योजना को अंतिम रूप दे दिया है जबकि अन्य राज्य की कार्य योजनाएं कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। कृषि संबंधित तथा प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात में वृद्धि मुख्य रूप से विभिन्न देशों में बी2बी प्रदर्शनियों का आयोजन, भारतीय दूतावासों की सक्रिय भागीदारी के द्वारा उत्पाद विशिष्ट तथा सामान्य विपणन अभियान के माध्यम से नए संभावित बाजारों की खोज जैसी एपीडा द्वारा की गई विभिन्न पहलों के कारण हुई है।
एपीडा ने दुनिया भर में प्रमुख आयातक देशों के साथ कृषि संबंधी तथा खाद्य उत्पादों पर वर्चुअल क्रेता विक्रेता बैठकों का आयोजन करने के द्वारा भारत में भौगोलिक संकेतक (जीआई) पंजीकृत कृषि संबंधी तथा प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए भी कई कदम उठाये हैं। उत्पादों का निर्बाधित गुणवत्ता प्रमाणन सुनिश्चित करने के उद्वेश्य से, एपीडा ने भारत भर में 220 प्रयोगशालाओं को मान्यता प्रदान की है जिससे कि निर्यातकों को उत्पपादों की एक व्यापक श्रृंखला को परीक्षण की सेवाएं प्रदान की जा सके। एपीडा निर्यात परीक्षण तथा अपशिष्ट निगरानी योजनाओं के लिए मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं के उन्नयन तथा सुदृढ़ीकरण में भी सहायता करता है। एपीडा कृषि संबंधी उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी ढांचा विकास, गुणवत्ता सुधार तथा बाजार विकास की वित्तीय सहायता योजनाओं के तहत भी सहायता उपलब्ध कराता है। एपीडा अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेलों में निर्यातकों की सहभागिता का भी आयोजन करता है जो निर्यातकों को वैश्विक बाजारों में अपने खाद्य उत्पादों का विपणन करने के लिए एक मंच उपलब्ध कराता है। एपीडा कृषि निर्यातों को बढ़ावा देने के लिए आहार, जैविक विश्व कांग्रेस, बायोफैक इंडिया आदि जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों का भी आयोजन करता है। एपीडा अंतरराष्ट्रीय बाजार की गुणवत्ता आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बागवानी उत्पादों के लिए पैक-हाउस के पंजीकरण की पहल भी करता है। उदाहरण के लिए, मंगफली के छिलकों तथा ग्रेडिंग एवं प्रसंस्करण इकाइयों के लिए निर्यात इकाइयों के पंजीकरण का उद्वेश्य ईयू तथा गैर-ईयू देशों के लिए गुणवत्ता अनुपालन सुनिश्चित करना है।
एपीडा वैश्विक खाद्य सुरक्षा तथा गुणवत्ता आवश्यकताओं का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए मांस प्रंस्करण तथा बूचड़खानों का पंजीकरण करता है। एक अन्य प्रमुख पहल में, ट्रैसिएबिलिटी प्रणालियों का विकास तथा कार्यान्वयन शामिल है जो आयातक देशों की खाद्य सुरक्षा तथा गुणवत्ता अनुपालनों को सुनिश्चित करता है। निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एपीडा हितधारकों के बीच विभिन्न अंतरराष्ट्रीय व्यापार विश्लेषणात्मक सूचना, बाजार पहुंच जानकारी को संकलित एवं प्रसारित करता है तथा व्यापार पूछताछों को भी संबोधित करता है।