नई दिल्ली (media saheb.com)। भारतीय वैज्ञानिकों ने कार्बन डाईऑक्साइड (CO2) के अवशोषण और उसका उपयोग करने के लिए नए ठोस अवशोषक (एडजौर्बेन्ट्स) को संश्लेषित करने की रणनीति की खोज की है। कार्बन के अवशोषण (कैप्चर) और उसका उपयोग, कार्बन डाईऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन को कम करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए अनुसंधान के बढ़ते क्षेत्र हैं। हालांकि इस बारे में बहुत सी औद्योगिक प्रविधियां पहले ही सामने आ चुकी हैं, किन्तु कोई भी तकनीक अब तक आर्थिक रूप से व्यवहार्य और पूर्ण कार्बन डाई ऑक्साइड के अवशोषण (कैप्चर और उसके उपयोग समाधान प्रदान नहीं कर सकी हैं। इसलिए, अनूठे ठोस अवशोषक पर मौलिक शोध कार्बन डाईऑक्साइड के अवशोषण कैप्चर और उसके उपयोग के लिए एक महत्वपूर्ण सामग्री की पेशकश कर सकता है।
भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर)-कोलकाता में प्रोफेसर राहुल बनर्जी के समूह ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के समर्थन से मिशन इनोवेशन कार्यक्रम के तहत भारत विशेष रूप से कार्बन डाईऑक्साइड के अवशोषण और उसके उपयोग के लिए के लिए अनूठे और लिए नए ठोस अवशोषक को संश्लेषित करने की रणनीति का प्रदर्शन किया है। प्रो. बनर्जी के समूह ने विशेष प्रकार के नैनोकणों या माइक्रोपार्टिकल्स की खोज की है जो अपने सूक्ष्म और मेसोपोरस रिक्त स्थानों में कार्बन डाईऑक्साइड का भंडारण कर सकते हैं। इसकी सतहों पर विशिष्ट भौतिक गुणों वाली नवीन सामग्रियों को संश्लेषित किया गया है और इसमें ‘जर्नल ऑफ अमेरिकन केमिकल सोसाइटी’ में प्रकाशित सीओएफ-ग्राफीन जानूस की पतली फिल्मों जैसे सरंध्र (पोरस) सहसंयोजी कार्बनिक ढांचे, नेचर केमिस्ट्री में प्रकाशित सरंध्र (पोरस) सहसंयोजी कार्बनिक ढांचे जैसे युग्म कार्बनिक नैनोट्यूब और ‘जर्नल ऑफ अमेरिकन केमिकल सोसाइटी’ में प्रकाशित सीओएफ लेपित जिओलाइट शामिल हैं।
ग्राफीन के रूप में 2-डी ग्राफीन शीट के विवेकपूर्ण विकल्प ने शोधकर्ताओं को सीओएफ-ग्राफीन जानूस की पतली फिल्मों को सीओएफ और ग्राफीन के बीच परस्पर क्रिया (गैर-सहसंयोजन) के माध्यम से डिजाइन करके बनाने में मदद की और डीसीएम-वाटर इंटरफेस में लचीली पोरस जानूस फिल्मों का विकास किया। नए डिज़ाइन किए गए सीओएफ-लेपित जिओलाइट्स अपने उच्च सतह क्षेत्र और बढ़ी हुई रासायनिक स्थिरता के कारण उद्योगों में कार्बन डाईऑक्साइड भंडारण के लिए एक उत्कृष्ट प्रत्याशी हो सकते हैं। सीओएफ लेपित जिओलाइट्स के लिए उच्च सीओ-2 तेज, कम सांद्रता वाले अम्लों (एसिड्स) के साथ उपचार के बाद भी इसे औद्योगिक उद्देश्यों के लिए उपयुक्त बनाता है। सीओएफएस कोटिंग ने नमी, कमजोर एसिड और पानी से जिओलाइट संरचना के क्षरण को रोका। सीओएफ कोटेड जिओलाइट के लिए 1 बार, 293 के पर कार्बन डाईऑक्साइड अपटेक डेटा 132 सीसी/जी है जो उसी स्थिति के तहत जिओलाइट के कार्बन डाईऑक्साइड अपटेक डेटा का स्थान ले लेता है।
राहुल बनर्जी के समूह ने हाल ही में अब तक अनुपलब्ध संरचना के साथ एक अनूठे बॉटम-अप दृष्टिकोण के माध्यम से पूरी तरह से सहसंयोजक बंधुआ कार्बनिक नैनोट्यूब (सीओएनटीएस) की खोज की है। यद्यपि शून्य-आयामी सहसंयोजक कार्बनिक केजेज और दो-एवं तीन-आयामी सहसंयोजक कार्बनिक ढांचे के बारे पहले जानकारी मिल गई थे, पर एक-आयामी कार्बनिक नैनोट्यूब का संश्लेषण अब तक सुना नहीं गया था। संश्लेषित सीओएनटीएस में क्रियाशीलता, सिंथेटिक स्थितियों और सरंध्रता में अनुरूप कार्बन नैनोट्यूब (सीएनटीएस) पर बढ़त दिखती है, और जो 321 m2 g-1 के बीटा सतह क्षेत्र को प्रदर्शित करता है। ये सभी 1 बार और 293 के पर 60-80 सीसी/जी-1 की कार्बन डाईऑक्साइड अपटेक अपटेक क्षमता के साथ कुशल कार्बन डाईऑक्साइड अवशोषण के लिए भी प्रत्याशी होने का वादा कर रहे हैं। इन सीओएनटीएस ने फोटोसेंसिटाइज़िंग क्षमता भी प्रदर्शित की है, जो अवशोषित वाले कार्बन डाईऑक्साइड को म्यूएमओएल जी-1 एच-1 (µmol g-1 h-1) दृश्य प्रकाश (400-700 एनएम) के विकिरण पर कार्बन मोनोंऑक्साइड (130-200) में बदल सकती है।