रायपुर। (media saheb.com) पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय की संगठन व्यवस्था में आयोजित राष्ट्रीय सेवा योजना के सात दिवसीय विशेष शिविर में योगा के साथ-साथ स्पोकन इंग्लिश की ट्रेनिंग भी दी जा र ही है। कैम्प के दूसरे दिन रविवार को भी अनेक रचनात्मक गतिविधियों का आयोजन सम्पन्न हुआ।
राष्ट्रीय सेवा योजना, जिला रायपुर के जिला संगठक डॉ. एल.एस. गजपाल ने बताया कि राष्ट्रीय सेवा योजना के राज्य स्तरीय विशेष शिविर 2022 के द्वितीय दिवस पर प्रातः 6 बजे योग गुरु हितेश तिवारी द्वारा शिविरार्थियों को योग, प्राणायाम की गतिविधियां कराई गईं। इसके साथ ही हार्ट फुलनेस द्वारा मेडीटेशन कराया गया। योगा के उपरांत सभी शिविरार्थियों को सात समूहों में विभाजित किया गया ताकि शिविर में आये विभिन्न विश्वविद्यालयों के स्वयंसेवक परस्पर सहयोग की भावना से कार्याे का संपादन कर सकंे। स्वयंसेवकों के सभी समुहों को उनके प्रभारी कार्यक्रम अधिकारियो के साथ परियोजना कार्य हेतु ग्रामीण क्षेत्र में भ्रमण पर ले जाया गया। प्रथम समूह द्वारा शिविर स्थल की साफ-सफाई की गई। द्वितीय समूह द्वारा चूना से शिविर स्थल व आस-पास के जगहों को चिन्हित किया गया।
तृतीय समूह द्वारा तालाबों में पचरी की सफाई का कार्य किया गया। चतुर्थ समूह द्वारा स्वच्छता कार्य सम्पन्न किया गया। पांचवें समूह द्वारा तालाब परिसर की साफ-सफाई की गई। छठवें समूह द्वारा मंदिर प्रांगण की साफ-सफाई तथा सातवें समूह द्वारा प्लास्टिक मुक्त अभियान चलाया गया।
बौद्धिक परिचर्चा के प्रथम सत्र में अशरफ हिंगोरा द्वारा स्पोकन इंग्लिश की कक्षा ली गई। द्वितीय सत्र में प्रो गिरिशकान्त पांडेय, कुलसचिव पं. रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी रायपुर का आगमन हुआ, उन्होंने स्वयंसेवको से कहा कि कोई भी देश वहाँ की संस्कृति, सभ्यता, परम्पराओं से निर्मित होता है, इसलिए हमें अपनी संस्कृति व परंपरा को अपनाए रखना चाहिये। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सेवा योजना हमे एकता सिखाता है। इसके साथ ही उन्होंने भारत के मौर्य काल सहित भारत का ऐतिहासिक वर्णन किया। कार्यक्रम का संचालन राजेन्द्र कुमार नायक कार्यक्रम अधिकारी संत गहिरा गुरु यूनिवर्सिटी सरगुजा व आभार प्रदर्शन डॉ रत्ना नशीने इंदिरा गाँधी कृषि यूनिवर्सिटी रायपुर ने किया। बौद्धिक सत्र के पश्चात स्वयंसेवकांे को पारंपरिक खेल, रुमाल झपट्टा, रस्साकसी का खेल खिलाया गया। द्वितीय दिवस की सांस्कृतिक संध्या में प्रत्येक यूनिवर्सिटी द्वारा छत्तीसगढ़ी लोक परंपराओं पर आधारित ददरिया, राउत नाचा, फागुन गीत, सामाजिक कुरीतियों पर आधारित नाटक आदि की प्रस्तुति दी गई।