नई दिल्ली, (mediasaheb.com)। राज्यसभा सदस्य अमर सिंह ने देश की मौजूदा अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की घेराबंदी करते हुए सीबीआई के हत्थे चढ़े पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम को बेनकाब किया है। बीमारी के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती अमर सिंह ने वीडियो जारी कर बदलहाल अर्थव्यवस्था के लिए सिर्फ और सिर्फ पी. चिदंबरम को दोषी ठहराया है। उन्होंने कहा है कि इसके सारे सबूत उनके पास हैं। राहुल गांधी जब कहें, वे उन्हें सार्वजनिक करने को तैयार हैं। सोशल मीडिया में वायरल इस वीडियो में अमर सिंह ने राहुल गांधी को सलाह दी है कि वह विपक्ष के जिम्मेदार नेता की हैसियत से भ्रष्टाचार के खिलाफ छेड़े गए मोदी सरकार के उपायों का समर्थन करें।
इस वीडियो में अमर सिंह ने भ्रष्टाचार के मकड़जाल को तार-तार करते हुए वीडियोकान के वेणुगोपाल धूत और रिलायंस के अनिल अंबानी को चिदंबरम का घनिष्ठ मित्र ठहराया है। उन्होंने आदरभाव से राहुल गांधी को संबोधित इस वीडियो में उनसे ‘कुछ’ आग्रह किए हैं। उन्होंने कहा है, “आपको कई बातों का पता नहीं है, संभव है। यह कोई व्यंग्य नहीं है। यह मेरा आपको सुझाव है। वीडियोकान के वेणुगोपाल धूत, रिलायंस के अनिल अंबानी जिन्हें आप मोदी जी का मित्र कहते हैं, वो सबसे अधिक घनिष्ठ मित्र आपके वित्तमंत्री चिदंबरम के हैं, इसके ठोस सबूत मेरे पास हैं, आप जिस दिन चाहेंगे उन्हें मैं सार्वजनिक कर दूंगा। और इसके अलावा भूषण स्टील, दीवान हाउसिंग, तमाम जो कारपोटेरट बैंक हैं उनको किस अवधि में रुपया दिया गया है कि अरबों-खरबों रुपया एनपीए हो गया है। वेणुगोपाल कौन सुविधा का इस्तेमाल कर चिदबरंम को पटाते थे, वो बोलने में भी शर्म आती है। इसके भी सबूत मेरे पास हैं।” लंबे समय तक सत्ता के गलियारों में सक्रिय रहे सांसद अमर सिंह ने राहुल गांधी को याद दिलाया है कि देश की मौजूदा अर्थव्यवस्था के लिए यूपीए टू के शासनकाल में अंधाधुंध बांटा गया रुपया ही प्रमुख कारक है।
उन्होंने कहा है, “और कुछ मत करिये राहुल जी। कृपया ये देखिये कि जो रुपया एनपीए हो गया है, जिसके लिए एनसीएलटी बनी है। जिसकी रिकवरी के लिए मोदी जी चिंतित हैं। वो तमाम राशियां किसके शासनकाल में, यूपीए टू के शासनकाल में किस व्यक्ति के अधीन अंधाधुंध उन रुपयों को बांटा गया है। अगर वो रुपये पी चिदंबरम के कार्यकाल में न बांटे गए हों तो एक श्वेतपत्र जारी करा दीजिए। अब बताइए मोदी जी क्या करें? आपके चिदंबरम जो अभी सीबीआई को कानून का पाठ पढ़ा रहे हैं, उन्होंने ये रुपया ऐसे बांटा है जैसे उनके बाप का माल हो, और जब एनपीए हो गया है और लोग दे दिए हैं मोदी जी के हाथ में कमान। इकोनॉमी डूब रही है। लेकिन इस डूबती हुई इकोनॉमी की जड़ में एक ही आदमी है- श्वेत लुंगीधारी भ्रष्ट चिंदबरम चिदंबरम चिंदबरम।”अमर सिंह ने इस वीडियो में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के कार्यकाल में सोने को गिरवी रखने को संदर्भ के रूप में गिनाया है।
उन्होंने सवाल किया है, “चंद्रशेखर जी ने भारत के सोने को गिरवी रखा था। क्या सोने को गिरवी रख दें मोदी जी? वर्तमान परिस्थिति में या देश की आर्थिक हालत को और डूबने दें मोदी जी? वर्तमान स्थिति में सिवाय इसके जो साधन हमारे देश की आंतरिक व्यवस्था में उपलब्ध हैं, उस साधन से हम कड़े नियंत्रण के साथ ऐसे भ्रष्ट उद्योगपतियों को जो लिये हुए ऋण को अपना रेवेन्यू रिसीट समझ कर अपने पिता का माल समझकर खा जाते हैं या फिर विदेश भाग जाते हैं और वहां बच जाते हैं। उनको पकड़-पकड़कर कौन ला रहा है? नीरव मोदी का आरोप आप लगा सकते हैं कि पकड़ा गया। विजय माल्या का आरोप लगा सकते हैं कि पकड़ा गया?”
सांसद अमर सिंह ने भारत की सर्जिकल स्ट्राइक और सबूत के मांगने के सवाल पर भी कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर करारा तंज कसा है। उन्होंने वीडियो में कहा है, “आपने तो कहा था कि वहां पर पुलवामा के बाद सर्जिकल स्ट्राइक हुई ही नहीं। अब पाकिस्तान मानता है कि स्ट्राइक हुई। अब हम कोई सोने का काम करें तो सबूत चाहिए। हम अगर शांति की बात करें तो सबूत चाहिए। हम जिंदा हैं इसका भी सबूत चाहिए। इसलिए अस्पताल की शैया से मैं बोल रहा हूं कि मैं अमर सिंह अभी जिंदा हूं। नहीं तो उसका भी सबूत मांगा जाएगा कि अमर सिंह जिंदा हैं कि मर गए? सबूत दो। इस तरह की राजनीति।”अमर सिंह आरोप-प्रत्यारोप के मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य से आहत दिखते हैं। वह वीडियो में इस राजनीति पर राहुल को सलाह देते हुए कहते हैं, “क्या वजह है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया, अभिषेक मनु सिंघवी जो आपके प्रखर वकील और प्रवक्ता हैं। जयराम रमेश आपके कोर ग्रुप के सदस्य, आपके इंटलैक्चुअल थिंक टैंक माने जाते थे।
सबके सुर में एक बदलाव आया है। आत्म विश्लेषण करें। परिस्थिति से पलायन न करें। अनायास दोष न दें किसी को। और देश के एक महत्वपूर्ण विपक्षी नेता के रूप में सरकार का भी सहयोग करें। अच्छी बातें हों तो उसे अच्छा कहें। बुरी बातें हों तो बुरा कहें। अपने सारे राजनीतिक जीवनकाल में मोदी जी के कार्यकाल की आर्थिक व्यवस्था के बारे में मैंने भी एक निषेधात्मक टिप्पणी की थी। हमारा किसी ने बुरा नहीं माना। बल्कि सरकार ने दो दिन बाद, नीति आयोग ने भी ये माना कि आर्थिक स्थिति खराब है। मोदी जी एक ऐसे नेता हैं, जीएसटी में गड़बड़ हुई सुनते हैं तो सुधार लेते हैं। टिके नहीं रहते, अड़े नहीं रहते, आर्थिक व्यवस्था खराब है तो तुरंत कदम उठाते हैं। टिके नहीं रहते, अड़े नहीं रहते, जिद्दी नहीं हैं। लचीले हैं। फलेक्सिबुल हैं। राष्ट्र का भला कैसे हो? इसके बारे में बराबर सोचते हैं और जरूरत होती है तो परिवर्तन करने के लिए तत्पर रहते हैं।” (हि.स.)