अंबिकापुर: (media saheb.com): अदाणी फाउंडेशन द्वारा ग्रामीण स्वच्छता हेतु “कचरा से कंचन” अभियान के तहत कूड़ा – कचरा प्रबंधन पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया| इसे दिनांक 22 और 23 फरवरी को राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आर आर वी यू एन एल) के परसा ईस्ट केते बासेन खुली खदान के पांच ग्राम पंचायतों परसा, साल्हि, बासेन, घाटबर्रा और फत्तेपुर में अलग-अलग आयोजित किया गया| जिसमें आसपास के गांव की स्व-सहायता समूहों की 60 से अधिक महिलाओं ने भाग लिया| कार्यशाला में सभी को सामाजिक, पर्यावरणीय और आर्थिक दृष्टिकोण से कचरा प्रबंधन का महत्व, कचरे के प्रकार, उसके संग्रह, छँटाई और उचित निपटान के तरीके तथा कचरे से खाद बनाना इत्यादि के बारे में बताया गया|
गौरतलब है,कि कचड़ा प्रबंधन स्वच्छ भारत अभियान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिससे न सिर्फ आस पास के पर्यावरण और वातावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है,अपितु लोगों को इस से होने वाली गम्भीर बीमारियों से बचाव में भी मदद मिलती है।
उल्लेखनीय है,कि आर आर वी यू एन एल द्वारा अपने निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व की प्रतिबद्धता के तहत आसपास के ग्रामों में शिक्षा, स्वास्थ्य, जीविकोपार्जन तथा अधोसंरचना विकास के विभिन्न कार्यक्रम अदाणी फाउंडेशन के द्वारा चलाता है|
अदाणी फाउंडेशन की इस पहल के लिए संबंधित ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधियों द्वारा उनके ग्राम को स्वच्छ रखने, ग्रामीणों में व्यवहार परिवर्तन और जन जागरूकता के लिए चलाये जा रहे प्रयासों की सराहना की। कार्यशाला में महिला उद्यमी बहुउद्देशीय सहकारी समिति की सदस्य श्रीमती बंधन पोर्ते और श्रीमती प्रमिला सिंह द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया गया। यह अभियान आसपास के अन्य ग्रामों में भी चलाया जायेगा|
अदाणी फाउंडेशन के बारे में:
1996 में स्थापित, अदाणी फाउंडेशन वर्तमान में 18 राज्यों में सक्रिय है, जिसमें देश भर के 2250 गाँव और कस्बे शामिल हैं। फाउंडेशन के पास प्रोफेशनल लोगों की टीम है, जो नवाचार, जन भागीदारी और सहयोग की भावना के साथ काम करती है। वार्षिक रूप से 3.2 मिलियन से अधिक लोगों के जीवन को प्रभावित करते हुए अदाणी फाउंडेशन चार प्रमुख क्षेत्रों- शिक्षा, सामुदायिक स्वास्थ्य, सतत आजीविका विकास और बुनियादी ढा़ंचे के विकास, पर ध्यान केंद्रित करने के साथ सामाजिक पूंजी बनाने की दिशा में काम करता है। अदाणी फाउंडेशन ग्रामीण और शहरी समुदायों के समावेशी विकास और टिकाऊ प्रगति के लिए कार्य करता है, और इस तरह, राष्ट्र-निर्माण में अपना योगदान देता है।