‘एमआईटी एडीटी’ में कर्तृत्ववान महिला पुरस्कारों का वितरण
पुणे (mediasaheb.com)| आज महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। वे उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही हैं और हर क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना रही हैं। बावजूद इसके, कार्यस्थलों पर महिलाओं को भेदभाव का सामना करना पड़ता है। फिर भी, यदि उन्हें सही समय पर अवसर और परिवार का मजबूत समर्थन मिले, तो वे किसी भी असंभव कार्य को संभव बना सकती हैं। महिलाओं में यह अद्भुत शक्ति होती है। यह विचार औद्योगिक शिक्षा मंडल शिक्षा समूह (एएसएम) की ट्रस्टी डॉ. प्रीति पाचपांडे ने व्यक्त किए।
वे एमआईटी आर्ट, डिज़ाइन और टेक्नोलॉजी विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आयोजित कर्तृत्ववान महिला पुरस्कार वितरण समारोह में बोल रही थीं। इस अवसर पर रिलायंस लाइफ साइंसेज की व्यावसायिक प्रमुख डॉ. शैलजा सक्सेना, एमआईटी एडीटी विश्वविद्यालय के प्र-कुलगुरु प्रो. डॉ. मोहित दुबे, एमआईटी स्कूल ऑफ बायो-इंजीनियरिंग की प्राचार्या डॉ. रेणु व्यास, डॉ. अश्विनी पेठे सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे।
इस मौके पर डॉ. शैलजा सक्सेना ने कहा कि, “जैसा कि विद्वानों ने कहा है, एक शिक्षित महिला दो परिवारों का उद्धार करती है। इसलिए, माता-पिता को बेटियों की शिक्षा में कोई कोताही नहीं बरतनी चाहिए। मैंने भी अपने शिशु के मात्र एक वर्ष के होने पर पीएचडी शोध कार्य शुरू किया। बच्चे की देखभाल के साथ शोध कार्य पूरा किया और कोविड काल में खुद की टेस्टिंग लैब भी स्थापित कर पाई, यह मेरे लिए गर्व की बात है। इससे स्पष्ट होता है कि मां बनने के बाद भी, यदि परिवार का समर्थन मिले तो महिलाएं समाज में बदलाव ला सकती हैं।”
कार्यक्रम की शुरुआत विश्वशांति प्रार्थना से हुई। इसके बाद विश्वविद्यालय के छात्रों ने महिलाओं पर आधारित नृत्य प्रदर्शन कर उपस्थित दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का समापन पसायदान के साथ किया गया।
कर्तृत्ववान महिलाओं का सम्मान
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को एमआईटी एडीटी द्वारा सम्मानित किया गया। इनमें सौ. गौरी देशपांडे, प्रतिमा जोशी, डॉ. अनिंदिता बैनर्जी, डॉ. सारिका भोसले-फुंदे, सौ. वृषाली खंडागळे, डॉ. पारुल गंजू, सौ. सुनीता शेंडे, सौ. वंदना येरमरकर, प्रो. निशिगंधा पटेल और डॉ. रीना पगारे का समावेश रहा।