रायपुर (mediasaheb.com)| नंदनवन जंगल सफारी और कलिंगा विश्वविद्यालय के ग्रीन क्लब ने मिलकर वन्यजीव सप्ताह 2024 का शुभारंभ कलिंगा विश्वविद्यालय में किया गया “सह- अस्तित्व के माध्यम से वन्यजीव संरक्षण।” इस कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने मानव और वन्यजीवों के बीच संतुलन के महत्व पर चर्चा की।
कार्यक्रम के पैनल चर्चा में श्री आर. के. सिंह, सेवानिवृत्त पीसीसीएफ एवं वन बल प्रमुख ने सह- अस्तित्व को पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने का मूल आधार बताया और वन्यजीवों के लिए संरक्षित क्षेत्रों के महत्व पर ज़ोर दिया।
श्री प्रेम कुमार, अतिरिक्त पीसीसीएफ (वन्यजीव), ने पृथ्वी पर जीवन के लंबे इतिहास पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, हमारी सभ्यता के इतिहास से पता चलता है कि मानव और वन्यजीवों के बीच संतुलन बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।
श्रीमती सतोविषा समाजदार, सीसीएफ (वन्यजीव) और उदंती-सितानदी टाइगर रिज़र्व की क्षेत्रीय निदेशक, ने मानव-वन्यजीव संघर्षों पर अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि कम वन वाले क्षेत्रों में अधिक संघर्ष होते हैं जबकि घने जंगलों में यह कम होता है। उन्होंने कहा, वन्यजीवों की आबादी बढ़ने के साथ साथ उनके रहवास छेत्र में कमी ना हो इसका ध्यान देने के आवश्यकता है l
डॉ. आर. जयकुमार, कलिंगा विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय के डीन, ने छत्तीसगढ़ में वन्यजीव सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने के अवसरों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि कैसे विश्वविद्यालय का पर्यावरण विज्ञान कार्यक्रम छात्रों को मधुमक्खी पालन और बागवानी जैसे क्षेत्रों में ज्ञान प्राप्त करने के अवसर प्रदान करता है।
अधिवक्ता मनुराज सिंह ने वन्यजीव संरक्षण में कानूनी ढांचे की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने नागरिकों और विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे वन्यजीव संरक्षण के लिए अपने कानूनी अधिकारों और जिम्मेदारियों से अवगत रहें।
नंदनवन जंगल सफारी के संचालक श्री धम्मशील गणवीर, ने कहा कि सफारी का मुख्य उद्देश्य लोगों को वन्यजीव संरक्षण के बारे में जागरूक करना है। उन्होंने कहा कि नंदनवन जंगल सफारी में, हम आगंतुकों को मानव विकास और वन्यजीव संरक्षण के बीच संतुलन के महत्व को समझाने का प्रयास करते हैं, जंगल सफारी के तीन प्रमुख उद्देश्य संरक्षण, प्रकृति शिक्षा और वन्यजीवों पर रिसर्च है।
कार्यक्रम का समापन कलिंगा विश्वविद्यालय के जीव विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज सिंह द्वारा ली गई मिशन लाइफ की शपथ और रंगोली प्रतियोगिता के साथ हुआ, जिसमें 17 अलग अलग समूहों में छात्रों ने वन्यजीव संरक्षण पर आधारित रंगोली बनाया, कार्यक्रम में कलिंगा विश्वविद्यालय के 200 से अधिक छात्रों और जंगल सफारी के स्टॉफ उपस्थित रहे।