इतिहास के पन्नों से…संजय अनंत का विशेष आलेख
बिलासपुर (mediasaheb.com), आज 21 अक्टूबर (1943 )के ही दिन वीर सुभाष ने स्वतंत्र भारत की प्रथम सरकार बनाई,जिसे विश्व के अनेक देश जो ब्रिटिश विरोधी थे, जैसे जर्मनी, जापान, इटली इत्यादि ने मान्यता दी। नेताजी सुभाषचंद्र बोस, हमारे राष्ट्रनायक, हमारे प्रथम प्रधानमंत्री… उनके सम्मान में हज़ारो कंठ से यहीं स्वर निकले *सुभाष जी सुभाष जी वो जान ए हिन्द आ गए है नाज़ जिस पर हिन्द को वो शान ए. हिन्द आ गए…भारत के प्रथम प्रधानमंत्री नेताजी सुभाषचंद्र बोस व उनकी सरकार( आज़ाद हिंद बैंक ) द्वारा जारी 1000 ,500 के नोट ( 21 अक्टूबर 1943 ),हमारे प्रथम प्रधानमंत्री ने अंदमान निकोबार में सबसे पहले झंडा फहराया ।
ये सच जो छुपाया गया, सुभाष जी को इतिहास के पन्नों में दफ़न करने की साज़िश नेहरू और उनकी पाली हुई टोली ने पूरे षड्यंत्र के साथ की, ब्रिटिश दस्तावेज़ ये बताते है की, नेहरू सरकार इस बात के लिए सहमत थी की ब्रिटिश साम्राज्य के सब से बड़े आतंकवादी वीर सुभाष यदि पकडे गए तो वो उन्हें ब्रिटेन को सौंप देंगे अर्बन नक्सली और वामपंथियो की टोली जिसे नेहरू ने देश की उच्च शैक्षणिक संस्थानो में स्थापित किया, हमेशा से सुभाष जी से नफ़रत करती थी।
भारत के वामपंथियों ने, कभी दूसरे विश्व युद्ध में ब्रिटिश सरकार का समर्थन किया था, जब सुभाष जी ने जापान की मदद से आज़ादी का प्रयास किया तो भारत के कम्युनिस्ट ,कामरेडों की टोली ने ˜the running dog of Japanese general Tojoa™, a˜the donkey carrying Tojoa™। कुत्ता कहाँ जब देश आज़ाद हुआ, तो सुभाष के योगदान को इस गद्दार टोली ने नेहरू की मदद से भुलाने का हर संभव प्रयास किया।
इस का सब से दुखद पहलु.. सुभाष को भूल, बंगाल और कोलकाता का भद्र लोक स्टालिन ,लेनिन ,मार्क्स की बात करने लगा सुनो कामरेड! तुम लोग ये भूल गए, सच कभी नहीं हारता, सुभाष महान थे ,जननायक थे ,वे हमारे हृदय में बसते है, कैसे निकालोगे उन्हें हमारे हृदय से नमन💐💐💐💐 *संजय ‘अनंत ‘©* #SubhashChandraBose #aazadhind