3 दिसम्बर 1952 बुधवार का दिन…
आज के ही दिन हिन्दी फिल्मों के गीतों का सब से लोकप्रिय कार्यक्रम बिनाका गीत माला पहली बार प्रसारित हुआ था
इस साल बिनाका गीत माला के सूत्रधार अमीन सयानी जी इस दुनियां से हमेशा के लिए रुख़सत हो गए, उनकी खनक दार आवाज़, गीतों को बड़े ही रोचक अंदाज़ से प्रस्तुत करना लाखो संगीत प्रेमियों को सम्मोहित करता था
आप में से जिन लोगो ने भी ” बिनाका गीतमाला ” सुना होगा , वे हम सब के अज़ीज़ पद्मश्री से सम्मानित , दिलो में राज करनेवाले आमीन सयानी साहब से परिचित होंगे
तो बहनों और भाइयो …
वो चिरपरिचित उनका अंदाज़ , वो गीत सुंनाने की अद्भुत शैली, एक सरल इन्सान, अपनी योग्यता से स्थान बनानेवाले।
सन 1977 में बिनाका गीत माला के जब 25 वर्ष पूरे हुए, तब वो देश का सब से लोकप्रिय कार्यक्रम था, तो उसे उस ज़माने के हिसाब से उसे शानदार सेलिब्रेट भी किया गया ,देव साहब सहित उस दौर के सभी बड़े सितारे आये थे कार्यक्रम में..
अब तो शायद ही हम में से कोई रेडिओ सीलोन सुनता होगा, किन्तु उस दौर में किसी गीत की लोकप्रियता इस बात से तय होती थी की बिनाका गीतमाला में आमीन सयानी साहब ने उसे किस पायदान पर रखा है,उस पुराने रेडिओ की बटनों को उमेठते,ताकि आवाज़ साफ सुनाई दे,अगले दिन दोस्तों से चर्चा होती , कौन सा गीत किस पायदान पर है
वो सुनहरा दौर अब सिर्फ यादो में है, ज़िन्दगी के बड़े ही खूबसूरत लम्हे …..
उन दिनों (१९८२ के पूर्व) हमारे शहर दूरदर्शन की पहुच नहीं थी, मनोरंजन का एकमात्र साधन था, रेडियो या ट्रांजिस्टर ”बिनाका गीत माला ” का बेसब्री से इंतजार रहता, अमीन सयानी साहब की जादुई आवाज़
” बहनों और भाइयो , आज पहली पायदान पर है …”, जो गीत पहले नंबर पर होता, उसके लिए बिगुल बजता
प्रसारण साफ नहीं होता , बार बार अपने ट्रांजिस्टर की बटन उमेठ आवाज़ साफ करने की कोशिश करते, खैर आज डिजिटल साउंड के ज़माने में ये सब हास्यास्पद लगेगा,
अमीन सयानी जी ने संसार छोड़ने के पहले एक महत्वपूर्ण कार्य किया उन्होंने अब तक प्रसारित गीतमाला को आधुनिक साउंड सिस्टम में पुनः रिकॉर्ड किया, ये गीता माला हिन्दी सिनेमा के संगीत से प्रेम करने वालो के लिए अनमोल खज़ाना है, नई पीढ़ी के लिए अनमोल विरासत
इस रिकॉर्डिंग में हमारे महान कलाकार, संगीत कार व गायको के दुर्लभ इंटरव्यू भी है
हेमंत कुमार मुकेश जी, राजकपूर देव साहब, सचिन देव बर्मन ,गीता दत्त, लता जी.. लगभग सभी सितारे
ये गीतमाला हमे बीते वक़्त की सुनहरी यादो में ले जाता है
गुज़ारा हुआ ज़माना आता नहीं दुबारा… 🎵
आज इतना ही, वरना ब्लॉग बहुत लम्बा हों जाएगा..
*डॉ संजय अनंत ©*