पुणे (mediasaheb.com)| देश के उच्च शिक्षित और चरित्रवान उम्मीदवार राजनीति में आए. अन्यथा बुरी प्रवृत्ति वाले प्रतिनिधि फिर आएंगे. हमारा संविधान सर्वोच्च है और हमें अभिव्यक्ति स्वतंत्रता का अधिकार है. विकसित भारत बनाने की जिम्मेदारी इसलिए युवाओं को उठाते हुए जनसेवा के लिए राजनीति में कूदे. ऐसी अपील केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री राममोहन नायडू किंजरापू ने भारतीय छात्र संसद में एकत्र हुए देश भर के युवा प्रतिनिधियों से की.
एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी, पुणे और एमआईटी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट, पुणे द्वारा आयोजित 14वीं भारतीय छात्र संसद में भारतीय संस्कृति या पश्चिमी ग्लैमरः भारतीय युवाओं की दुविधा विषय पर आयोजित एक संगोष्ठी में बोल रहे थे. इस समय लोकसभा के पूर्व अध्यक्षा सुमित्रा महाजन और एमआईटी डब्ल्यूपीयू के संस्थापक अध्यक्ष प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने केंद्रीय मंत्री नायडू किंजरापु को भारत अस्मिता जनप्रतिनिधी श्रेष्ठ पुरस्कार से सम्मानित किया.
इस मौके पर हिमालय प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया, सांसद अरुण गोविल, वरिष्ठ अभिनेत्री खुशबू सुंदर, पूर्व केंद्रीय मंत्री सी.पी. जोशी, आचार्य शिवम, भारतीय छात्र संसद के संस्थापक और विश्वविद्यालय के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. राहुल वि.कराड तथा यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. आर.एम.चिटणीस उपस्थित थे. राममोहन नायडू किंजरापू ने कहा, भारत की युवा पीढ़ी विश्व में अपना प्रभुत्व स्थापित कर रहा है. यह पीढ़ी विकसित भारत की रीढ़ है. यहां पर संत ज्ञानेश्वर महाराज के विचारों और शिक्षाओं से युवा पीढी को लाभ मिलेगा. आगे उन्होंने बताया कि, देश में उत्कृष्ट विमानन सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं और इसके लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे के निर्माण पर तेजी से काम चल रहा है. आने वाले दिनों में आप एविएशन सेक्टर में आमूलचूल परिवर्तन देखेंगे.
खुशबू सुंंदर ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी ने देश को विकसित बनाने का सपना देखा, जिसे सबको समर्थन करना चाहिए. भारत की युवा पीढी कल का भविष्य हैं. हम इस युवा पीढी की कठिनाईयों से भी परिचित हैं. ऐसे में हमें उचित सोच के साथ अपनी संस्कृति को बढाने के लिए काम करना चाहिए. कुलदीप सिंह पठानिया कहा, युवा पीढी को दोनों संस्कृतियों से श्रेष्ठ चीजें सीखनी चाहिए चाहे वह पश्चिमी संस्कृति हो या भारतीय संस्कृति.ऐसा करते समय हम भारतीय संस्कृति को कतई नहीं भूल सकते. इस संस्कृति ने भारतीयों को एक पहचान दी है. चूंकि पूरा विश्व हमारा परिवार है, इसलिए भारतीयों का यह कर्तव्य है कि हम पश्चिमी संस्कृति की तरह अन्य संस्कृतियों का भी सम्मान करें. हालांकि, इसके साथ ही हमें भारतीय संस्कृति के रूप में अपनी पहचान को भी बनाए रखना होगा.
डॉ. राहुल वि.कराड ने भारतीय छात्र संसद के आयोजन का उद्देश्य बताते हुए देश में सक्षम लोकतंत्र के निर्माण के लिए युवा पीढ़ी कोे शिक्षा और प्रशिक्षण की आवश्यकता होने बात कही. अभिनेता अरुण गोविल ने पश्चिमी और भारतीय संस्कृति का भेद बताया. भारतीय संस्कृति मानवता के साथ एक दूसरे के सुख दुख, धर्म, जाति और परंपरा जोडनेवाली है. सूत्रसंचालन प्रो.गौतम बापट ने किया