जनेऊ तीन धागों वाला एक सूत्र होता है, जिसे संस्कृत में यज्ञोपवीत कहा जाता है। हिंदू धर्म में जनेऊ संस्कार का बड़ा महत्व है। साथ ही हिंदू शास्त्रों में इसके कई लाभ भी बताएं गए हैं। यह न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना गया है बल्कि, वैज्ञानिक दृष्टि से भी लाभकारी है। अपितु व्यक्ति द्वारा जनेऊ से जुड़े कुछ नियमों का ध्यान रखना भी आवश्यक है।
क्या होता है जनेऊ :- जनेऊ तीन धागों वाला एक सूत्र होता है, जिसे अपने बाएं कंधे के ऊपर से दायीं भुजा के नीचे तक पहना जाता है। यज्ञोपवीत के एक तार में तीन-तीन
तार होते हैं। इस तरह जनेऊ में कुल नौ तार होते हैं, जो शरीर के नौ द्वार का प्रतिनिधित्व करते हैं। वहीं, इसमें लगाई जाने वाली पांच गांठ ब्रह्म, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का प्रतीक मानी गई हैं।
तार होते हैं। इस तरह जनेऊ में कुल नौ तार होते हैं, जो शरीर के नौ द्वार का प्रतिनिधित्व करते हैं। वहीं, इसमें लगाई जाने वाली पांच गांठ ब्रह्म, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का प्रतीक मानी गई हैं।
मिलते हैं ये लाभ :- माना जाता है कि जनेऊ धारण करने से व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है। नकारात्मकता दूर बनी रहती है और उसके आस-पास बुरी शक्तियां
नहीं आती। साथ ही यह भी माना जाता है कि जनेऊ धारण करने वाले व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता बनी रहती है।
नहीं आती। साथ ही यह भी माना जाता है कि जनेऊ धारण करने वाले व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता बनी रहती है।
इन नियमों का अवश्य रखें ध्यान :- रखा जाना चाहिए, जिससे इसकी पवित्रता बनी रहें। जनेऊ से जुड़े नियमों का भी विशेष रूप से ध्यान मल-मूत्र विसर्जन के पूर्व दाहिने कान पर चढ़ा लें और हाथों को धोने के बाद ही इसे कान से उतारना चाहिए। यदि जनेऊ का कोई तार टूट गया है, तो इसे बदल लें। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि जनेऊ को तभी उतारना चाहिए जब आप नया यज्ञोपवीत धारण कर लें।