बिलासपुर (mediasaheb.com)| फिल्म ‘अमर प्रेम‘ (१९७२)
आप से कहती है , प्रेम ,स्त्री पुरुष आकर्षण से कही ऊपर है , शाश्वत है, अमर है

गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने लिखा है “Love is an endless mystery , for it has nothing else to explain it “ प्रेम जीवन के संघर्ष में ,दुखद क्षणों में आत्मबल देता है, राजेश खन्ना का कालजयी डायलॉग, जो सिने प्रेमी कभी नहीं भूले पुष्पा! I hate tears
राजेश खन्ना की लोकप्रियता उन दिनों चरम पर थी, इस बांग्ला कहानी की जरुरत को पूरा करते राजेश जी ने पूरी फ़िल्म मे पारम्परिक बांग्ला परिधान श्वेत धोती कुर्ता पहना है, जबकि उन दिनों लड़कियां उनकी फोटो अपने पर्स मे रखती थी, तकिए के नीचे रखती थी, उफ़ ये लोकप्रियता ज़नाब और किसी को नसीब नहीं हुई किन्तु ये फ़िल्म शर्मीला टैगोर की है, पुष्पा का चरित्र ही फ़िल्म का केंद्र बिंदु है, महान बांग्ला कथाकार बिभूतिभूषण बंधोपाध्याय की लघुकथा ‘हिन्गेर कोचुरी’ पर, इस फिल्म से पहले बांग्ला में बनी थी फिल्म ‘निशी पदमा'(१९७०) , उतम कुमार का जानदार अभिनय और मन्ना डे की आवाज़ में गाये कालजयी गीत, उत्तम कुमार की उन दिनों कोई फ़िल्म असफल हो ये तो असंभव था | शक्ति सामंत ने इससे प्रभावित हो कर हिन्दी में बनाई, गांव से कोलकाता के बहु बाजार मे बैठने तक और फिर वृद्धा अवस्था मे दर दर की ठोकरे..
राजेश खन्ना व शर्मिला टैगोर के उम्दा अभिनय से सजी सुपर हिट फिल्म ‘ अमर प्रेम ‘, सारे गाने लाजवाब और कर्णप्रिय .. सौतेली माँ की बुरे व्यवहार त्रस्त मासूम बच्चा , पड़ोस में रहनेवाली नगर वधु से ममत्व पाता है,जब बड़ा होता है तो अपनी इस माँ को तलाशता है …
और फिल्म का मार्मिक अंत, आपके नेत्र सजल कर देगा .. जब वो बच्चा (विनोद मेहरा ) अपनी इस माँ को घर साथ ले जाने का आग्रह करता है, वो कोलकाता में दुर्गा पूजा का दिन है, जब भक्त माँ की मूर्ति को अपने घर लाते है…है ना अमर प्रेम
सारे गीत अमर

*संजय अनंत©*