रायपुर(mediasaheb.com)– कलिंगा विश्वविद्यालय मध्य भारत का एक प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान है। नवाचार एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) के द्वारा बी प्लस ग्रेड प्राप्त हुआ है। यह छत्तीसगढ़ का एकमात्र निजी विश्वविद्यालय है, जो एनआईआरएफ रैंकिंग 2021 में उत्कृष्ट 151-200 विश्वविद्यालयों में सम्मिलित है। यहाँ पर वैश्विक मापदंड के अनुरूप उच्च गुणवत्तापूर्ण और बहु-विषयक अनुसंधान केंद्रित शिक्षा के साथ-साथ शिक्षकों और विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से प्रशिक्षित किया जाता है। इसी उद्देश्य के अंतर्गत कलिंगा विश्वविद्यालय में 14 जून से 27 जून तक द्विसाप्ताहिक संकाय संवर्द्धन कार्यक्रम (एफडीपी) का आयोजन किया गया। जिसमें विभिन्न विषयों के विद्वान वक्ता, शिक्षकों एवं शोधार्थियों को प्रशिक्षण दिया गया।
दो सप्ताह के एफडीपी के एक भाग के रूप में 25 जून 2022 को सिरपुर, छत्तीसगढ़ का शैक्षणिक भ्रमण आयोजित किया गया। अंतिम दिन एफडीपी 27 जून 2022 को सुबह 10 बजे कलिंगा विश्वविद्यालय परिसर में शुरू हुआ। सत्र की शुरुआत विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता डॉ. चंद्रकांत शर्मा द्वारा दिए गए स्वागत भाषण से हुई, स्वागत भाषण के बाद, कार्यक्रम का पहला सत्र शुरू हुआ। डॉ. एल.वी.के.एस भास्कर, डीन स्कूल ऑफ स्टडीज इन लाइफ साइंस, गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ के सत्र के द्वारा एक ऊर्जावान शुरुआत हुई। सत्र ष्सेल बायोलॉजी में हालिया प्रगतिष् के विषय से संबंधित था। उन्होंने छत्तीसगढ़ में सिकल सेल एनीमिया के निदान और अग्रिम उपचार और अनुसंधान के अवसरों के बारे में एक महान व्याख्यान दिया।
दूसरे सत्र का उद्बोधन डॉ. अंबर व्यास, सहायक प्रोफेसर, पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर द्वारा किया गया। उन्हांेने वर्तमान विज्ञान और नैनोमेडिसिन अनुसंधान पर बात की तथा ‘‘संकाय और शोधकर्ताओं के लिए वर्तमान अनुदान अवसरों’’ पर गहन अंतर्दृष्टि ज्ञान युक्त जानकारी दी।तीसरा और अंतिम सत्र डॉ. दिलीप कुमार बिशी, सहायक प्रोफेसर, रमा देवी महिला विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर, ओडिशा द्वारा ‘‘कैंसर चिकित्सा के लिए ऊतक इंजीनियरिंग और नैनोबायोटेक्नोलॉजी दृष्टिकोण’’ पर दिया गया था। उन्होंने विभिन्न सेल लाइनों के बारे में जानकारी दी और उन्हें विभिन्न परिस्थितियों में कैसे बनाए रखा जाए।
समापन समारोह विज्ञान के डीन डॉ चंद्रकांत शर्मा की ओर से धन्यवाद देते हुए समाप्त हुआ। उन्होंने इस एफडीपी के लिए अपना अनुभव साझा किया और कहा कि दो सप्ताह के दौरान सत्र अत्यंत जानकारीपूर्ण थे और प्रतिभागियों से सकारात्मक समीक्षा प्राप्त की। इस तरह का आयोजन सभी प्रतिभागियों के लिए इंटरैक्टिव और फायदेमंद था। एफडीपी का अंतिम दिन एक अंतःक्रियात्मक सत्र के साथ समाप्त हुआ, जहां प्रतिभागियों ने संसाधन व्यक्ति के साथ बातचीत की और उन्होंने प्रत्येक संदेह को परिश्रम से हल किया। प्रबंधन, कार्यक्रम के आयोजकों, अतिथि वक्ताओं, संकाय सदस्यों और तकनीकी टीम को धन्यवाद ज्ञापन के साथ सत्र का समापन किया।